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भारत का पहला बजट पेश करने वाला बाद में बना पाकिस्तान का प्रधानमंत्री, 'हिंदू विरोधी' बजट का हुआ था दावा

By पल्लवी कुमारी | Updated: January 26, 2019 15:54 IST

भारतीय बजट का इतिहास (History of Union Budget): लियाकत अली खान (Liaquat Ali Khan), जिन्होंने आजादी के पहले भारत का पहला बजट पेश किया था। वे आजादी के पहले पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार के वित्तमंत्री थे।

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संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से 13 फरवरी तक चलने वाल है। नरेन्द्र मोदी सरकार के वित्तमंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को अंतरिम बजट पेश करेंगे। लेकिन इस स्टोरी में हम आने वाले बजट की उम्मीदों पर नहीं बल्कि बजट के इतिहास के बारे में आपको बताएंगे। भारत में बजट की कहानी 19वीं सदी से शुरू होती है। भारत का पहला बजट 1946 में पेश किया गया था। जी, हां 1946 यानी भारत में बजट का इतिहास आजादी के पहले का है।

लियाकत अली खान ने पेश किया भारत का पहला बजट 

1946 का बजट लियाकत अली खान ने पेश किया था। जो बाद में पाकिस्तान के आजाद होने के बाद वहां के पहले प्रधानमंत्री बने थे। लियाकत अली खान सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में गठित अंतरिम सरकार के वित्तमंत्री थे। बीबीसी के मुताबिक लियाकत अली खान ने दो फरवरी 1946 को उसी भवन में बजट पेश किया था, जिसे आज के डेट में संसद भवन कहा जाता है। हालांकि उस वक्त इस इमारत को सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के नाम से जाना जाता था।

कैसा था लियाकत अली खान द्वारा पेश किया बजट 

लियाकत अली खान पहली बजट के पेश होने के बाद, उसे 'सोशलिस्ट बजट' बताया था। लेकिन देश की जनता उनके इस बजट से काफी नाखुश थी। अली खान इस बात के आरोप भी लगे कि टैक्स के सारे नियमों को बहुत ही कठोर रखे हैं। जिससे देश के व्यापारियों को काफी नुकसान पहुंचा था। इस बजट में इस बात के लिए जांच आयोग बनाने की भी बात कही गई थी, जो देश में टैक्स चोरी करते हैं। असल में अली खान ने व्यापारियों पर एक लाख रुपये के फायदे पर 25 प्रतिशत टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा था। इसके अलावा कॉरपोरेट टैक्स को दोगुना कर दिया गया था। 

क्या सच में 'हिन्दू विरोधी' था बजट? 

बीबीसी के मुताबिक, लियाकत अली खान पर उस वक्त ये आरोप लगाए गए थे कि उनके द्वारा पेश किया गया बजट पूर्ण रूप से 'हिन्दू विरोधी बजट' था। अंतरिम सरकार के अहम सदस्य ने अपनी राय देते हुए कहा था कि अली खान ने घनश्याम दास बिड़ला, जमनालाल बजाज और वालचंद जैसे हिंदू व्यापारियों को टारगेट करने के लिए सोची-समझी प्लानिंग के तहत इस बजट को पेश किया था। ये सभी बिजनेसमैन देश की आजादी में कांग्रेस को आर्थिक रूप से मदद करते थे। हालांकि इस फैसले का असर तो मुस्लिम व्यापारियों पर भी पड़ता लेकिन उस वक्त जिन बिजनेसमैन का ज्यादा नाम था, वो हिन्दू ही थे।

कैसे बने लियाकत अली खान वितमंत्री

आजादी के पहले मोहम्मद अली जिन्ना के बाद लिकायत अली खान ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के सबसे बड़े नेता मानें जाते थे। जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में, जब अंतरिम सरकार का गठन हो रहा था तब, ऑल इंडिया मुस्लिम लीग ने अपनी ओर लिकायत अली खान को अपनी ओर से भेजा था। जिसके बाद उन्हे वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी।

लियाकत अली खान का परिचय

लियाकत अली खान मोहम्मद अली जिन्ना के बेहद करीबी मानें जाते थे। आजादी के पहले मोहम्मद अली जिन्ना के बाद लिकायत अली खान ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के सबसे बड़े नेता मानें जाते थे। लियाकत अली खान बंटवारे से पहले यूपी के मेरठ और मुजफ्फरनगर सीट के लिए चुनाव भी लड़ते थे। इनका संबंध करनाल के राज परिवार से था। एक अक्टूबर 1895 को करनाल में जन्मे अली खान ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय लॉ की डिग्री ली है। इसके बाद ब्रिटिश सरकार की मदद से वो आक्सफोर्ड में पढ़ाई करने गए थे। लियाकत अली खान का परिवार अंग्रेजों से अच्छे संबंध रखता था।

पाकिस्तान के 'नेहरु' थे लियाकत अली खान

देश के बंटवारे के बाद लियाकत पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री बने थे। लियाकत अली खान की साल 1951 में रावलपिंडी की एक जनसभा में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 

कहा जाता है कि लियाकत अली खान पाकिस्तान के 'जवाहरलाल नेहरु' थे। मोहम्मद अली जिन्ना और लियाकत अली खान के बीच वही संबंध थे जो, भारत में नेहरू और माहात्मा गांधी के बीच थे। 

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