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बदलाव के जरिए वापसी की तैयारी में जुटी बसपा, नगरीय निकाय चुनाव के लिए सगंठन की मजबूती पर जोर

By राजेंद्र पाराशर | Updated: July 3, 2019 19:47 IST

विधानसभा और लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद मध्यप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी फिर से अपने वोट बैंक को बंटोरने की तैयारी में जुट गई है.

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ठळक मुद्देविधानसभा और लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद बसपा ने लगातार अपने प्रदेश अध्यक्ष बदले हैं. पिप्पल ने कमान संभालने के बाद संगठन को पहले तो आठ जोनों में बांटा. बसपा के पूर्व में छह जोन हुआ करते थे

भोपाल, 3 जुलाईः विधानसभा और लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद मध्यप्रदेश में बहुजन समाज पार्टी फिर से अपने वोट बैंक को बंटोरने की तैयारी में जुट गई है. बसपा ने इसके लिए संगठन में बदलाव किया और कार्यकर्ताओं को सक्रिय करते हुए संगठन को मजबूत करने की कवायद तेज कर दी है.

विधानसभा और लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद बसपा ने लगातार अपने प्रदेश अध्यक्ष बदले हैं. विधानसभा चुनाव में हार के बाद जब प्रदेश अध्यक्ष बदला तो बसपा सुप्रीमो को उम्मीद थी कि संगठन में मजबूती आएगी और लोकसभा चुनाव में इसका फायदा मिलेगा. मगर ऐसा नहीं हुआ. लोकसभा चुनाव में उसका मत प्रतिशत गिरा तो फिर से प्रदेश अध्यक्ष बदलकर युवा नेता रमाकांत पिप्पल को प्रदेश की कमान सौंपी. साथ ही उन्हें संगठन में बदलाव की जिम्मेदारी भी दी गई. 

पिप्पल ने कमान संभालने के बाद संगठन को पहले तो आठ जोनों में बांटा. बसपा के पूर्व में छह जोन हुआ करते थे, इसके बाद उन्होंने जोनवार बैठकों का सिलसिला शुरु किया और मैदान स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने में जुट गए. पिप्पल को बसपा सुप्रीमों ने प्रदेश में बसपा के बिखरे वोट बैंक को वापस बसपा के पक्ष में लाने की जिम्मेदारी दी है. साथ ही यह निर्देश दिए हैं कि नगरीय निकाय चुनाव में इसका परिणाम भी दिखाई देना चाहिए. पिप्पल के साथ बसपा के समन्वयक महेश आर्य को भी मायावती ने जिम्मेदारी सौंपकर मैदानी कार्यकर्ताओं में फिर से जोश भरने को कहा है.

उल्लेखनीय है कि विधानसभा और लोकसभा की हार से बसपा के मैदानी कार्यकर्ताओं में मायूसी छा गई है. विधानसभा चुनाव में पार्टी को उम्मीद थी कि सत्ता की चाबी उसके हाथ में होगी, लेकिन उसकी जमीन ही खिसक गई. चार सीटों से घटकर वह दो पर आ गई.

सपा के साथ गठबंधन से नहीं मिला फायदा

बहुजन समाज पार्टी ने प्रदेश में लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा था, मगर इस गठबंधन का फायदा उसे नहीं मिला, बल्कि बसपा के अपने मैदानी कार्यकर्ता निराश हुए थे. चुनाव परिणाम के बाद जब ये बात सामने आई तो मायावती ने प्रदेश संगठन में बदलाव किया और नगरीय निकाय चुनाव के लिए संगठन को मजबूत करते हुए तैयारी करने का निर्देश प्रदेश अध्यक्ष पिप्पल को दिया. बसपा का अब पूरा फोकस राज्य के नगरीय निकाय चुनाव पर है. बसपा इन चुनाव में जीत हासिल कर कार्यकर्ताओं में फिर से जोश भरने का प्रयास कर संगठन को मजबूत करने की कोशिश में जुटी हुई है.

टॅग्स :मध्य प्रदेशबहुजन समाज पार्टी (बसपा)
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