लाइव न्यूज़ :

बंबई उच्च न्यायालय ने बच्ची से बलात्कार, हत्या के दोषी के मृत्युदंड की पुष्टि की

By भाषा | Updated: November 25, 2021 18:00 IST

Open in App

मुंबई, 25 नवंबर बंबई उच्च न्यायालय ने तीन साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या के जुर्म में 30 वर्षीय व्यक्ति को दी गई मौत की सजा को बृहस्पतिवार को बरकरार रखते हुए कहा कि दोषी ने एक भीषण और बर्बर कृत्य किया तथा बालिका की सुरक्षा समाज में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

न्यायमूर्ति साधना जाधव और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने मार्च 2019 में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत मामलों की सुनवाई के लिए निर्धारित एक विशेष अदालत द्वारा रामकीरत गौड़ को सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि की।

पीठ ने कहा कि दोषी द्वारा किया गया कृत्य ‘‘भीषण, बर्बर और मानव चेतना को झकझोर देने वाला’’ था, और यह ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ की श्रेणी में आता है। अदालत ने कहा, ‘‘एक बालिका की सुरक्षा समाज के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘आरोपी का कृत्य वीभत्स था और उसने राक्षसी रवैया दिखाया। यह एक जघन्य अपराध है। यह अकल्पनीय है कि अपने पालतू जानवर के साथ खेलने वाली हंसमुख, खिलखिलाती बच्ची एक आदमी में वासना की भावनाओं को भड़काएगी, जो खुद दो बेटियों और एक बेटे का पिता है।’’ अदालत ने कहा कि उसने व्यक्तिगत रूप से आरोपी से बात की और उसने कोई पछतावा नहीं प्रकट किया।

ठाणे जिले में सितंबर 2013 में पीड़िता के घर के आसपास की एक इमारत में चौकीदार के रूप में काम करने वाले गौड़ पर तीन साल की बच्ची से बलात्कार करने और फिर उसकी हत्या करने का आरोप था। बच्ची का शव पास के तालाब से बरामद किया गया था।

अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘‘गुलाब की एक कली खिलने से पहले ही कुचल दी गई, एक पतंग जब उड़ने वाली थी तो उसकी डोर कट गई, एक फूल को कुचल दिया गया।’’

अदालत ने कहा कि एक बच्ची अपने छोटे कुत्ते के साथ खेल रही थी और मासूम जब अपनी ही दुनिया में मगन थी, तब उसे देखकर एक धूर्त आदमी की वासना की आग भड़क उठी। पीठ ने कहा कि अंत्यपरीक्षण रिपोर्ट के अनुसार, बच्ची को मारने से पहले उससे बेरहमी से मारपीट की गई थी।

पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य के अनुसार, दोषी को आखिरी बार उस बच्ची के साथ देखा गया था जो उसके तुरंत बाद मृत मिली थी और कुत्ता दोषी के घर के बगल में एक कमरे की खिड़की से बंधा पाया गया था।

अदालत ने फैसले में कहा, ‘‘मौजूदा मामले में दोषी के राक्षसी कृत्य को देखते हुए यह स्पष्ट है कि अपीलकर्ता (गौड़) ने एक पल के लिए भी बच्ची के अनमोल जीवन के बारे में नहीं सोचा। उसे एक पल के लिए भी अहसास नहीं हुआ कि वह खुद दो बेटियों का पिता है, जिनकी आगे की जिंदगी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेटसबसे आगे विराट कोहली, 20 बार प्लेयर ऑफ़ द सीरीज पुरस्कार, देखिए लिस्ट में किसे पीछे छोड़ा

ज़रा हटकेShocking Video: तंदूरी रोटी बनाते समय थूक रहा था अहमद, वीडियो वायरल होने पर अरेस्ट

क्राइम अलर्ट4 महिला सहित 9 अरेस्ट, घर में सेक्स रैकेट, 24400 की नकदी, आपतिजनक सामग्री ओर तीन मोटर साइकिल बरामद

क्रिकेटYashasvi Jaiswal maiden century: टेस्ट, टी20 और वनडे में शतक लगाने वाले छठे भारतीय, 111 गेंद में 100 रन

क्रिकेटVIRAT KOHLI IND vs SA 3rd ODI: 3 मैच, 258 गेंद, 305 रन, 12 छक्के और 24 चौके, रांची, रायपुर और विशाखापत्तनम में किंग विराट कोहली का बल्ला

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत