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'सालों तक यौन संबंधों के बाद शादी से इनकार करना धोखेबाजी नहीं,' बॉम्बे हाई कोर्ट ने 25 साल बाद शख्स को किया बरी

By विनीत कुमार | Updated: December 23, 2021 14:45 IST

बॉम्बे हाई कोर्ट ने 25 साल पुराने एक मामले में पालघर के शख्स को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि कई सालों तक सहमति से यौन संबंध के बाद शादी से इनकार कोई अपराध नहीं है।

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ठळक मुद्दे1996 के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला, शख्स को धोखेबाजी से आरोपों से बरी किया।कोर्ट ने कहा कि इस बात के सबूत नहीं हैं कि महिला ने गलतफहमी में शारीरिक संबंध के लिए सहमति दी थी।कोर्ट के अनुसार केवल शादी से इनकार करना अपराध नहीं हो सकता है।

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने करीब 25 साल बाद पालघर के एक शख्स को एक महिला से धोखेबाजी करने के आरोपों से बरी कर दिया। महिला ने आरोप लगाया था कि शख्स ने उससे शादी करने के बहाने उसके साथ यौन संबंध बनाए थे।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने शख्स को यह कहते हुए बरी किया कि चूंकि 'यह साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि महिला ने गलतफहमी में शारीरिक संबंध के लिए सहमति दी थी...ऐसे में केवल शादी से इनकार करना आईपीसी की धारा 417 के तहत अपराध नहीं है।'

1996 में महिला ने दर्ज कराई थी एफआईआर

महिला ने 1996 में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि आरोपी ने शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। बाद में उसने उससे शादी करने से इनकार कर दिया।

महिला द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के आधार पर आरोपी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) और 417 (धोखाधड़ी) के तहत मामला दर्ज किया गया था। सुनवाई के दौरान आरोपी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया था।

तीन साल की सुनवाई के बाद पालघर में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने आरोपी को आईपीसी की धारा 417 के तहत दोषी ठहराया। इसके बाद शख्स को एक साल के कारावास की सजा सुनाई गई और उस पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने महिला समेत आठ गवाहों से पूछताछ की थी।

'केवल शादी से इनकार करना अपराध नहीं'

बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई महिला ने बताया कि आरोपी उसे जानता था। उसने कहा कि उसके और आरोपी के तीन साल से अधिक समय तक यौन संबंध रहे। महिला की बहन ने भी कोर्ट को बताया कि दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा था। बॉम्बे हाईकोर्ट की जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने आरोपी द्वारा दायर अपील पर कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूत बताते हैं कि दोनों के बीच यौन संबंध सहमति से बनते रहे थे।

जस्टिस प्रभुदेसाई ने कहा, 'आरोपी को आईपीसी की धारा 417 के तहत अपराध का दोषी ठहराया गया है, क्योंकि उसने शादी करने से इनकार कर दिया था। सवाल यह है कि क्या ऐसी परिस्थितियों में शादी से इनकार करना धोखाधड़ी का अपराध है।'

टॅग्स :बॉम्बे हाई कोर्टरेप
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