तेलंगाना उपचुनाव में जीत से बढ़ा भाजपा का मनोबल, टीआरएस के लिए नींद से जागने का मौका

By भाषा | Updated: November 11, 2020 19:39 IST2020-11-11T19:39:29+5:302020-11-11T19:39:29+5:30

BJP's morale boosted by victory in Telangana by-election, opportunity for TRS to wake up from sleep | तेलंगाना उपचुनाव में जीत से बढ़ा भाजपा का मनोबल, टीआरएस के लिए नींद से जागने का मौका

तेलंगाना उपचुनाव में जीत से बढ़ा भाजपा का मनोबल, टीआरएस के लिए नींद से जागने का मौका

हैदराबाद, 11 नवंबर तेलंगाना की दुब्बक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को मिली विजय से पार्टी का मनोबल बढ़ा है और सत्ताधारी दल तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के लिए यह नींद से जागने का मौका है।

मंगलवार को घोषित किये गए उपचुनाव के नतीजों में, भाजपा उम्मीदवार एम रघुनंदन राव ने टीआरएस की अपनी निकटम प्रतिद्वंद्वी एस सुजाता को 1,079 मतों से पराजित किया।

सुजाता के पति एस रामलिंगा रेड्डी की स्वास्थ्य कारणों से अगस्त में हुई मौत के बाद यह सीट रिक्त हो गई थी जिसके चलते उपचुनाव कराना पड़ा।

उपचुनाव के परिणाम से टीआरएस सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि 119 सदस्यीय विधानसभा में पार्टी के 100 विधायक हैं।

हालांकि एक सीट पर भाजपा की जीत से राज्य की राजनीतिक स्थिति प्रभावित नहीं होगी लेकिन दुब्बक की सीट टीआरएस का गढ़ रही है और यह मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के गृह जिले सिद्दिपेट का एक हिस्सा है।

रामलिंगा ने 2018 विधानसभा चुनाव में टीआरएस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और 62,000 मतों से जीत हासिल की थी।

उस समय भाजपा के रघुनंदन राव को 22,595 मत मिले थे। राव को अब 63,352 मत मिले हैं और उन्होंने जीत हासिल की है।

दुब्बक सीट पर भाजपा की जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि वर्तमान में राज्य की राजनीति पर टीआरएस का शिकंजा काफी मजबूत है।

पार्टी ने 2018 के विधानसभा और पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव तथा स्थानीय निकाय चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन किया था।

भाजपा द्वारा दुब्बक सीट पर विजय प्राप्त करना सत्ताधारी दल के किले में सेंध लगाने जैसा है, विशेषकर सिद्दिपेट जिले में जो मुख्यमंत्री का गृह जिला है।

राजनीतिक विश्लेषक और पत्रकारिता के प्रोफेसर के नागेश्वर का मानना है कि एक उपचुनाव के नतीजे से राज्य की राजनीति नहीं पलटने वाली।

उन्होंने कहा कि दुब्बक पर भाजपा की जीत को न तो नकारा जा सकता है न ही उसे आवश्कयता से अधिक महत्व देने की जरूरत है।

उन्होंने यहां पीटीआई-भाषा से कहा, “यदि ऐसा ही होता तो भाजपा ने 2012 में महबूबनगर की सीट जीती थी। इसका 2014 के चुनाव पर क्या प्रभाव पड़ा? (जब तेलंगाना बनने के बाद टीआरएस सत्ता में आई थी।) क्या भाजपा ने महबूबनगर की सीट पुनः जीती? महबूबनगर सीट जीतने की बात तो छोड़िये, वह तीसरे स्थान पर आ गई।”

नागेश्वर ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र एक ऐसे पड़ाव पर पहुंच चुका है जहां हर चुनाव विशेष है।

उन्होंने कहा कि एक उपचुनाव से राज्य की राजनीति नहीं बदलेगी लेकिन इसे हल्के में भी नहीं लिया जा सकता क्योंकि भाजपा ने अपने मतों की संख्या तीन गुना तक बढ़ा ली है।

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