त्रिपुरा में भाजपा की सहयोगी आईपीएफटी ने अलग जनजातीय राज्य की मांग की
By भाषा | Updated: July 23, 2021 15:23 IST2021-07-23T15:23:41+5:302021-07-23T15:23:41+5:30

त्रिपुरा में भाजपा की सहयोगी आईपीएफटी ने अलग जनजातीय राज्य की मांग की
अगरतला, 23 जुलाई सत्ताधारी भाजपा की सहयोगी इंडिजीनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने नयी दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और मौजूदा त्रिपुरा जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त जिला परिषद (टीटीएएडीसी) से काटकर अलग तिपरालैंड बनाने की मांग की। यह राज्य के भूभाग का दो तिहाई क्षेत्र है।
प्रदेश के वन मंत्री और आईपीएफटी के महासचिव मेवार कुमार जमातिया के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने बृहस्पतिवार को शाह से मुलाकात की और पांच सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।
तिपरालैंड नाम से पूर्ण राज्य की मांग के अलावा ज्ञापन में जनजातियों के विकास के लिये उच्च स्तरीय साधन समिति द्वारा रिपोर्ट पेश किए जाने, मूल निवासियों के लिये विशेष रोजगार अभियान चलाने, टीटीएएडीसी को और सशक्त बनाने के लिये छठी अनुसूची में संशोधन तथा संविधान की आठवीं अनुसूची में जनजातीय भाषा कोकबोरोक को शामिल किए जाने की मांग की गई है। प्रदेश की कुल आबादी में से लगभग एक तिहाई आबादी जनजातीय लोगों की है।
इस साल अप्रैल में हुए टीटीएएडीसी चुनावों में भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन को मिली हार के बाद आईपीएफटी का यह कदम आया है। इन चुनावों में प्रद्योत किशोर देब बर्मन के नेतृत्व वाले तिपरहा इंडिजीनियस प्रोग्रेसिव रीजनल एलायंस (टीआईपीआरए) को जीत मिली थी।
त्रिपुरा के अंतिम महाराज के पुत्र देब बर्मन ने बृहद तिपरालैंड की मांग की है, जिसमें न सिर्फ जनजातीय स्वायत्त जिलों में रहने वाली जनजातियों को शामिल करने की बात है बल्कि उन लोगों को भी शामिल करने की बात कही गई है, जो इन जिलों से बाहर समेत दूसरे राज्यों में रहते हैं।
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