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झारखंड विधानसभा में बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग को लेकर BJP का हंगामा

By एस पी सिन्हा | Updated: March 2, 2020 17:23 IST

झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्रनाथ महतो ने पहले 12.30 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी. लेकिन जैसे ही सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, भाजपा विधायकों ने शून्यकाल में भी हंगामा जारी रखा.

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ठळक मुद्देबीजेपी के विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर जमकर हंगामा किया. भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया. 

झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन भी भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर जमकर हंगामा किया. भाजपा विधायकों ने बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर मान्यता नहीं देने का विरोध कर रहे थे. सभी विधायकों ने सदन के बाहर और भीतर प्रदर्शन किया. उनका कहना था कि जबतक विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता नहीं दे देते, तब तक हम सदन नहीं चलने देंगे. भाजपा ने विधानसभा अध्यक्ष पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया. 

हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्रनाथ महतो ने पहले 12.30 बजे तक के लिए सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी. लेकिन जैसे ही सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, भाजपा विधायकों ने शून्यकाल में भी हंगामा जारी रखा. इस दौरान पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा समेत कई ‌विधायक वेल तक में पहुंच गये. इसी दौरान हेमंत सोरेन सरकार ने आज विधानसभा में हंगामे के बीच आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया. मंत्री रामेश्वर उरांव ने राज्य की आर्थिक स्थिति पर एक श्वेत पत्र जारी किया. सत्ता पक्ष के विधायकों ने भाजपा विधायकों का प्रतिवाद किया और जवाबी कार्रवाई में वे भी वेल में आकर हंगामा करने लगे. इसी दौरान सरकार ने वर्ष 2019-20 का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट सदन के पटल पर रखा. मंत्री रामेश्वर उरांव ने श्वेत पत्र जारी किया. इस दौरान विपक्षी दल भाजपा ने सदन के अंदर और बाहर जमकर हंगामा किया. 

हंगामे की वजह से विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर 2:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया कि भाजपा को इस मामले में न्याय मिलेगा, लेकिन इसके लिए उन्हें इंतजार करना होगा. विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने यह भी कहा कि न्याय मिलने में वक्त लगेगा. दबाव से न्याय नहीं मिलेगा. वहीं, भाजपा विधायक अनंत ओझा ने कहा की विधानसभा अध्यक्ष को अगर लगता है कि बाबूलाल मरांडी को भजपा विधायक दल का नेता बनाना व्यवस्था का उल्लंघन है तो वह इस आधार पर निर्णय लें क्योंकि बगैर नेता प्रतिपक्ष के सदन कैसे चल सकता है? उन्होंने कहा बिना कैप्टन विपक्ष की राजनीति कैसे होगी?

वहीं, भाजपा विधायक बिरंचि नारायण ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष, स्पीकर कम झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता के तौर पर राजनीत करते दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब झारखंड विकास मोर्चा के दो विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस में शामिल हो गए हैं, तब बाबूलाल मरांडी का भाजपा में शामिल होना कैसे गलत हो सकता है? उन्होंने कहा विपक्ष के नेता की भूमिका पहरेदार की होती है. विधानसभा अध्यक्ष को इस संबंध में तत्काल निर्णय लेना चाहिए और जब तक बाबूलाल मरांडी को विपक्ष के नेता के तौर पर मान्यता नहीं मिलती तब तक भाजपा सदन नहीं चलने देगी. जबकि कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने कहा कि बाबूलाल मरांडी को विधायकी से इस्तीफा दे देना चाहिए. झाविमो का भाजपा में विलय असंवैधानिक है. आजसू विधायक सुदेश महतो ने स्पीकर से इस मसले पर जल्द निर्णय लेने की मांग की. इससे पहले शुक्रवार को भी बजट सत्र के पहले दिन इसी मुद्दे पर भाजपा विधायकों ने वेल में उतरकर हंगामा किया था. 

यहां बता दें कि झाविमो का भाजपा में विलय के बाद पार्टी ने बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष चुना है. लेकिन स्पीकर ने इसका ऐलान नहीं किया है. इस बीच राज्य निर्वाचन आयोग के पत्र पर विधानसभा सचिवालय ने जवाब दिया है कि सदन में झाविमो के तीन विधायक हैं. झाविमो के विलय को लेकर विधानसभा में अब भी मामला लंबित है. झाविमो के दो विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने कांग्रेस में शामिल होकर पार्टी के कांग्रेस में विलय का दावा किया है. विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा विधायकों को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने. भाजपा नेता इस बात पर अड़े हैं कि बाबूलाल को विपक्ष के नेता का दर्जा दिया जाये और उन्हें नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठने की अनुमति दी जाये. लेकिन, विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि अब तक इस पर फैसला नहीं हुआ है और जब तक वह कोई फैसला नहीं ले लेते, बाबूलाल को ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी के नेता सुदेश महतो के साथ ही बैठना पड़ेगा.

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