आर्थिक हालात पर मनमोहन सिंह के बयान को लेकर बोली बीजेपी, उनके शासनकाल में अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचा
By भाषा | Updated: September 2, 2019 16:23 IST2019-09-02T16:23:24+5:302019-09-02T16:23:24+5:30
बीजेपी का कहना है कि मनमोहन सिंह थे तो अर्थशास्त्री, लेकिन जिन लोगों ने पर्दे के पीछे से उन्हें निर्देशित किया, उससे भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद को बढ़ावा मिला और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा।

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भाजपा ने देश की आर्थिक हालत बेहद चिंताजनक होने के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए सोमवार को कहा कि सिंह के दस साल के शासनकाल में भ्रष्टाचार, भाई भतीजावाद के कारण अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंचा जबकि मोदी सरकार के दौरान अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत हुआ और दुनिया में देश की विश्वसनीयता कायम हुई है।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने संवाददाताओं से कहा कि मनमोहन सिंह पूर्व प्रधानमंत्री है और उम्र में भी काफी बड़े हैं। लेकिन, 10 वर्षों के दीर्घ कालखंड में उनके प्रधानमंत्रित्व काल में भारत को जिस प्रकार आगे बढ़ना चाहिए था, वह आगे नहीं बढ़ा।
उन्होंने आरोप लगाया कि वह (मनमोहन सिंह) थे तो अर्थशास्त्री, लेकिन जिन लोगों ने पर्दे के पीछे से उन्हें निर्देशित किया, उससे भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद को बढ़ावा मिला और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा। पात्रा ने कहा कि मोदी सरकार के दौरान अर्थव्यवस्था का आधार मजबूत हुआ और दुनिया में देश की विश्वसनीयता कायम हुई है।
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था दुनिया में पांचवे स्थान पर पहुंच गई है । भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल में जो घोषणाएं की हैं, उनसे अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि बैंकों के विलय की घोषणा के साथ आने वाले पांच वर्षों में आधारभूत संरचना क्षेत्र में 100 लाख करोड़ रूपये का निवेश तथा आटोमोबाइल क्षेत्र का भी ध्यान रखा गया है।
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर घटकर पांच प्रतिशत पर आने के बीच पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नरेंद्र मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था कि आर्थिक हालात ‘बेहद चिंताजनक’ हैं और यह नरमी मोदी सरकार के तमाम कुप्रबंधनों का परिणाम है।
पूर्व प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा थाा कि पहली तिमाही में 5 फीसदी की जीडीपी वृद्धि दर दर्शाती है कि हम लंबे समय तक बने रहने वाली आर्थिक नरमी के दौर में हैं।