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बल्ला कांड: आकाश विजयवर्गीय जेल से हुए रिहा, कहा- 'जनता की भलाई के लिए करते रहेंगे काम' 

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 30, 2019 08:34 IST

शहर के गंजी कम्पाउंड क्षेत्र में एक जर्जर भवन ढहाने की मुहिम के विरोध के दौरान बुधवार को बड़े विवाद के बाद आकाश ने नगर निगम के एक अधिकारी को क्रिकेट के बैट से पीट दिया था।

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ठळक मुद्देआकाश (34) भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे व बीजेपी विधायक भी हैं।कैमरे में कैद पिटाई कांड में गिरफ्तारी के बाद विजयवर्गीय को बुधवार को यहां एक स्थानीय अदालत के सामने पेश किया गया था।

इंदौर नगर निगम के अधिकारी को क्रिकेट बैट से पीटने वाले बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय  रविवार (30 जून) को जेल से रिहा हो गए। जेल से रिहा होने के बाद उन्होंने कहा कि हम जनता की भलाई के लिए लगातार काम करते रहेंगे।   

इससे पहले  भोपाल की विशेष अदालत ने भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय को जमानत दे दी थी। लेकिन "लॉक-अप" के तय समय तक स्थानीय जेल प्रशासन को उनकी जमानत का अदालती आदेश नहीं मिल पाने के कारण विजयवर्गीय को कारागार में लगातार चौथी रात गुजारनी पड़ी।

जानिए क्या है पूरा मामला 

आकाश (34) भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे व बीजेपी विधायक भी हैं। शहर के गंजी कम्पाउंड क्षेत्र में एक जर्जर भवन ढहाने की मुहिम के विरोध के दौरान बुधवार को बड़े विवाद के बाद आकाश ने नगर निगम के एक अधिकारी को क्रिकेट के बैट से पीट दिया था।

कैमरे में कैद पिटाई कांड में गिरफ्तारी के बाद विजयवर्गीय को बुधवार को यहां एक स्थानीय अदालत के सामने पेश किया गया था। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद भाजपा विधायक की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके साथ ही, उन्हें 11 जुलाई तक न्यायिक हिरासत के तहत जिला जेल भेज दिया था। न्यायिक हिरासत के तहत जेल में बंद रहने के दौरान भाजपा विधायक को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ का पुतला जलाने के पुराने मामले में बृहस्पतिवार को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया था।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अघोषित बिजली कटौती को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं ने विजयवर्गीय की अगुवाई में चार जून को शहर के राजबाड़ा चौराहे पर प्रदर्शन के दौरान यह पुतला जलाया था. लेकिन इस प्रदर्शन के लिये प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गयी थी। लिहाजा विजयवर्गीय और भाजपा के अन्य प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भारतीय दण्ड विधान की धारा 188 (किसी सरकारी अधिकारी के आदेश की अवज्ञा) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। 

टॅग्स :भोपालइंदौरकैलाश विजयवर्गीय
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