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भाजपा नेता सोलंकी ने पेगासस मामले में जांच का समर्थन किया

By भाषा | Updated: August 2, 2021 20:10 IST

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(दिलीप मोटवानी)

भोपाल, दो अगस्त पूर्व राज्यपाल एवं वरिष्ठ भाजपा नेता कप्तान सिंह सोलंकी ने पेगासस जासूसी मामले में जांच का समर्थन करते हुए सोमवार को कहा कि संसद का गतिरोध दूर करने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष को आपसी बातचीत से कोई रास्ता निकालना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि लोकतंत्र की भलाई के लिए संसद में विधेयक चर्चा के बाद पारित होने चाहिए।

हरियाणा और त्रिपुरा के राज्यपाल रह चुके सोलंकी ने पीटीआई-भाषा को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ‘‘ लोकतंत्र आपसी विश्वास पर टिका है और दूसरा इसकी निजता की सुरक्षा होनी चाहिए। ये पेगासस का मुद्दा विदेशी एजेंसियों ने उठाया है। इसमें दोनों पक्षों के सांसदों, पत्रकारों सहित कई लोगों के नाम हैं। इससे एक प्रकार का अविश्वास पैदा हो गया है। इसमें असलियत क्या है, इसकी जांच करनी चाहिए। जिन दो एजेंसियों ने यह समाचार छापा है, उनसे इसका स्रोत पूछा जाना चाहिए, ताकि यदि कुछ है तो सामने आएगा और अगर वह झूठ है तो उसका पर्दाफाश होगा और यह खत्म हो जाएगा।’’

पेगासस के मुद्दे पर जांच का समर्थन करने के साथ ही सोलंकी ने यह भी कहा, ‘‘ इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत ने विचार किया है। इसलिए इसे अदालत के निर्णय पर छोड़ देना चाहिए।’’

इस सवाल पर कि विपक्ष की मांग के मुताबिक क्या इस मामले की जांच किसी संयुक्त संसदीय समिति से कराई जानी चाहिए, सोलंकी ने कहा, ‘‘ देखिये ये सत्ता पक्ष का विषय है कि वह इसपर क्या निर्णय लेता है क्योंकि इसकी जो बारीकियां हैं, सत्ता पक्ष ज्यादा जानता है। लेकिन मैं इतना जानता हूं कि इसपर जो अविश्वास खड़ा हुआ है, इसे दूर करने के लिए सबको मिलकर कोई रास्ता निकालना चाहिए और परिणाम यह होना चाहिए कि संसद में विधेयक चर्चा व बहस से पारित हों।’’

यह पूछे जाने पर कि संसद में गतिरोध के लिए सत्तारूढ़ दल या विपक्ष में से वह किसे अधिक जिम्मेदार मानते हैं, सोलंकी ने कहा, ‘‘सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है। दोनों को इस बात के लिए सहमत होना चाहिए कि विधेयक पास करने के लिए संसद में चर्चा होनी चाहिए। उसके लिए क्या रास्ता हो सकता है, उसपर बात करनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पेगासस मामले की जांच कराना सरकार पर निर्भर करता है लेकिन हमारा एक ही उद्देश्य होना चाहिए कि सदन व्यवस्थित रूप से चले। सदन का गतिरोध रुग्णता का परिचायक है और संसद का गतिरोध लोकतंत्र के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।’’

हालांकि साथ ही सोलंकी ने यह भी कहा कि यदि विपक्ष सदन में गतिरोध जारी रखता है तो सरकार के पास भी बिना चर्चा के विधेयक पारित कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता है।

उनके विभिन्न ट्वीट को लेकर मीडिया के एक वर्ग द्वारा उन्हें भाजपा नीत केंद्र सरकार के खिलाफ पेश किए जाने के मुद्दे पर 82 वर्षीय सोलंकी ने कहा कि ऐसा कोई सवाल ही पैदा नहीं होता क्योंकि पार्टी ने उन्हें बहुत कुछ दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मेरे ट्वीट सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी सांसदों, दोनों के लिए हैं। उन्हें निर्वाचित प्रतिनिधि के तौर पर अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और संसद में गतिरोध दूर कर बहस में भाग लेना चाहिए, ताकि विधेयकों को बिना बहस के बजाय चर्चा व विचार-विमर्श के साथ पारित किया जाए।’’

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों पर किसान आंदोलन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा इसपर संज्ञान लिए जाने और इसमें कमियों की जांच के लिए एक समिति गठित किए जाने के बाद किसानों सहित सभी पक्षों को अब शीर्ष अदालत के निर्णय का इंतजार कर उसे मंजूर करना चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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