नई दिल्लीः बिहार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पारा तेज़ी से चढ़ रहा है। कांग्रेस अपने गठबंधन के साथियों के साथ ज़ोर-शोर से प्रचार में जुट गयी है, क्योंकि उसे भरोसा है कि बिहार की जनता इस बार बदलाव करके ही दम लेगी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 23 अक्टूबर से चुनाव प्रचार अभियान में जुटेंगे, फिलहाल राहुल 8-10 चुनाव रैलियों को संबोधित करेंगे और उनके निशाने पर मोदी, नीतीश और बिहार सरकार होगी। 28 अक्टूबर को प्रथम चरण का मतदान होना हैं जहाँ कांग्रेस ने अपने 21 उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है।
पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉक्टर शकील अहमद के अनुसार पहले चरण में ही कांग्रेस अपने बढ़त बना लेगी। उनको उम्मीद है की 21 में से कम से कम 15 उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधान सभा पहुँचेंगे। दूसरे चरण का मतदान 3 नवंबर को होना है जिसमें पार्टी के 24 उम्मीदवार मैदान में हैं, पार्टी का अनुमान है कि 24 उम्मीदवारों में से 16 उम्मीदवार जीत हासिल करेंगे।
अंतिम चरण का मतदान 7 नवंबर को होना है, कांग्रेस ने अंतिम चरण में 25 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं तथा पार्टी को उम्मीद है कि कम से कम 16 उम्मीदवार तीसरे चरण में भी जीत हासिल करेंगे। कांग्रेस की इस उम्मीद के पीछे नितीश कुमार सरकार की विफलताएं और अमित शाह की गलत चुनावी रणनीति होगी।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने टिप्पणी की कि रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद, भाजपा ने जिस तरह लोजपा के साथ छिपा हुआ गठबंधन किया है उससे बिहार के मतदाताओं में भारी असमंजस पैदा हो गया है। दूसरी ओर नीतीश कुमार भाजपा की रणनीति को लेकर अंदर ही अंदर आशंकित हैं। उनकी आशंका का बड़ा कारण चुनाव के बाद भाजपा और लोजपा के हाथ मिलाने को लेकर है।
कांग्रेस और महा गठबंधन इसका पूरा लाभ प्रचार अभियान में उठा रहा है तथा लोगों को समझाने में जुटा है कि भाजपा दोहरी राजनीति कर रही है, जिसका व्यापक असर हो रहा है। माना जा रहा है कि कांग्रेस , वामदल और राजद के धुआंधार प्रचार से भाजपा और नीतीश घबराये हुए हैं, जिसकी पुष्टि भाजपा के एक राज्यसभा सदस्य ने बात चीत के दौरान की। उन्होंने स्वीकार किया कि लोजपा के साथ भाजपा ने जो खेल खेलने की कोशिश की है उससे चुनाव परिणामों में भाजपा और नीतीश को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।