पटना: बिहार में लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद अब इस पर सियासत शुरू हो गई है. सरकार के इस निर्णय के बाद अब विपक्ष के साथ-साथ सत्तापक्ष के सहयोगी दल ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
इसी क्रम में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक बार फिर से नीतीश कुमार को अपने निशाने पर लेते हुए जबर्दस्त तंज कसा है. उन्होंने नीतीश कुमार के इस फैसले को निम्नस्तरीय नौटंकी करार दिया है. वहीं, सहयोगी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) पार्टी ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है.
राज्य में 15 मई तक लॉकडाउन लगाने जाने के फैसले के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आरोप लगाया है कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे पर वे काम कर रहे थे. तभी पांच राज्यों के चुनाव नतीजे आने के बाद सरकार ने अब बिहार में लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया है.
तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा कि इस तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, '15 दिन से समूचा विपक्ष लॉकडाउन करने की मांग कर रहा था, लेकिन छोटे साहब अपने बडे साहब के आदेश का पालन कर रहे थे कि 2 मई तक लॉकडाउन नहीं करना है. अब जब गांव-गांव, टोला-टोला संक्रमण फैल गया तब दिखावा कर रहे हैं. इस संकट काल में तो निम्नस्तरीय नौटंकी और राजनीति से बाहर आइये, बाज आइए.'
तेजस्वी ने ट्विटर पर यह भी लिखा, 'माननीय पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार की अव्यवस्था, कुप्रबंधन, उदासीनता, लापरवाही, सुविधाओं, जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता इत्यादि को लेकर विगत दिनों में जिन विशेषणों का प्रयोग किया है उसे सुन 16 वर्षों के मुख्यमंत्री को चुल्लू भर पानी में डूब जाना चाहिए. मुख्यमंत्री साहब, जंगलराज की खुदाई करो ना?'
तेजस्वी का कहना है कि जब राज्य में स्थिति अनकंट्रोल होने लगी तब आनन-फानन में क्राइसेस मैनेजमेंट की बैठक में 15 दिनों का लॉकडाउन लगाने का फैसला लिया गया.
लोजपा और 'हम' ने भी लॉकडाउन को लेकर दागे सवाल
वहीं, लोजपा ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बिहार में हाईकोर्ट के हस्तक्षेप व प्रदेश सरकार को फटकार मिलने के बाद लॉकडाउन लगाया गया है. अगर लॉकडाउन कुछ दिन पूर्व में लगाया गया होता तो कई जाने बचाई जा सकती थी.
वहीं, 'हम' पार्टी ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सरकार के फैसले का विरोध किया है. हम ने कहा कि, इस निर्णय के बाद कहीं ना कहीं गरीब तबका निराश होगा क्योंकि गरीब कोरोना से बच भी सकता है, लेकिन वह भूख से मर सकता है. न्यायालय ने टिप्पणी जरूर की है, लेकिन न्यायालय को गरीबों का भी ख्याल रखना चाहिए था.
'हम' का कहना है कि सरकार के इस फैसले से मजदूर और गरीब प्रभावित होने और वे कोरोना से तो बच सकते हैं, लेकिन भूख से नहीं.