बिहार: मंत्रिमंडल विस्तार के बाद गर्मायी सियासत, विधान परिषद की रिक्त 12 सीटों के लिए लॉबिंग तेज
By एस पी सिन्हा | Updated: February 13, 2021 16:05 IST2021-02-13T16:01:20+5:302021-02-13T16:05:32+5:30
भाजपा-जदयू के बीच राज्यपाल कोटे से 12 विधान पार्षदों के मनोनयन का मामला भी सुलझ गया है...

बिहार: मंत्रिमंडल विस्तार के बाद गर्मायी सियासत, विधान परिषद की रिक्त 12 सीटों के लिए लॉबिंग तेज
बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब राज्यपाल के मनोनयन वाली विधान परिषद की बारह सीटों को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है. इसी क्रम में विधान परिषद की रिक्त 12 सीटों के लिए लॉबिंग तेज हो गई है. राज्यपाल कोटे की ये सीटें पिछले साल मई से ही खाली हैं. भाजपा और जदयू नेताओं ने अपनी-अपनी दावेदारी के लिए ताकत झोंक दी है. हालांकि. कहा जा रहा है कि भाजपा-जदयू के बीच राज्यपाल कोटे से 12 विधान पार्षदों के मनोनयन का मामला भी सुलझ गया है. पिछले 9 महीने से ये मामला फंसा हुआ था.
वैसे दिल्ली से लौटने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि अब एमएलसी के मनोनयन में ज्यादा लेट नहीं होगा. सरकार में शामिल दो मंत्रियों जदयू के अशोक चौधरी और भाजपा के जनक राम का उच्च सदन के लिए मनोनयन पहले से ही तय है. शेष दस सीटों को लेकर दावेदारी का दौर चरम पर है. हम प्रमुख जीतनराम मांझी और वीआइपी सुप्रीमो मुकेश सहनी भी अपने चहेतों के लिए दबाव बनाए हुए हैं. हालांकि गुंजाइश नहीं दिख रही है. वहीं, भाजपा और जदयू के नेता अब अपनी दावेदारी के लिए पूरी ताकत झोंके हुए हैं.
कई नेता लगातार पटना में कैंप भी कर रहे हैं. 75 सदस्यीय विधान परिषद में पांच श्रेणी के पद हैं. पहला 27 एमएलसी विधानसभा कोटे से चुने जाते हैं. दूसरा 24 एमएलसी स्थानीय प्राधिकार कोटे से चुन कर आते हैं. छह-छह सीटें शिक्षक और स्नातक कोटे की हैं. वहीं, 12 सीटें राज्यपाल मनोनयन कोटे की है. वर्तमान में 16 सीटें रिक्त है. इसमें 12 सीटें राज्यपाल मनोनयन कोटे की है, जबकि चार सीटें स्थानीय प्राधिकार कोटे की है. ऐसे में मनोयन के दौरान किनके नामों पर मुहर लगेगी और किस दल के तरफ से कितने चेहरों को इस बार मौका मिलेगा ये अभी भी सामने नहीं आया है.
यहां बता दें कि सुशील मोदी के राज्यसभा जाने और विनोद नारायण झा के विधायक बनने के बाद विधानसभा कोटे की खाली दोनों सीटें भाजपा के खाते में गई. मंत्री शाहनवाज हुसैन और पशुपालन मंत्री मुकेश सहनी भाजपा कोटे से एमएलसी मनोनीत हो चुके हैं. ऐसे में राज्यपाल कोटे की सीटों पर भाजपा और जदयू से छह-छह एमएलसी का मनोनयन तय माना जा रहा है. सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार के मंत्री जनक राम, सुशील चौधरी, देवेश कुमार, प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश वर्मा, राधा मोहन शर्मा, प्रमोद चंद्रवंशी, बेबी कुमारी, मुख्यालय प्रभारी सुरेश रूंगटा, मधुबनी के पूर्व जिलाध्यक्ष घनश्याम ठाकुर और प्रदेश प्रशिक्षण प्रभारी मृत्युंजय झा, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल शर्मा के अलावा पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा और पूर्व मंत्री निखिल चौधरी का नाम पार्टी रणनीतिकारों की सुझाव सूची में शीर्ष पर है. भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के करीबी राजेंद्र गुप्ता की भी चर्चा है. भाजपा अतिपिछडा मोर्चा के अध्यक्ष जयनाथ चौहान भी प्रमुख दावेदारों में हैं. हालांकि ये केवल कयास मात्र ही हैं. वहीं भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी के अलावा जदयू की ओर से पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष ललन सर्राफ, पूर्व एमएलसी संजय गांधी के नाम की चर्चा है. भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी के अलावा जदयू की ओर से पार्टी के प्रदेश कोषाध्यक्ष ललन सर्राफ, पूर्व एमएलसी संजय गांधी के नाम की चर्चा है. जदयू की ओर से शेष तीन सीटों पर चौकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं.
इसबीच, कांग्रेस ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि उन्हें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि परिषद की जिस कोटे की सीट हो उसी कोटे से बिहार विधान परिषद के सदस्य मनोनीत किए जाने चाहिए. कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद्र मिश्रा ने कहा है कि अगर कोई कृषि सलाहकार है तो उसे कृषि क्षेत्र से जो वैज्ञानिक सलाहकार है, उसे विज्ञान के क्षेत्र से और कला के पारखी को कला के क्षेत्र से मनोनीत किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो कि दूसरे कैटेगरी के लोगों में किसी राजनीतिक दल के प्रतिनिधि का मनोनयन हो. प्रेमचन्द मिश्र ने कहा कि न्यस्यालय ने कर्नाटक के संदर्भ में हाल ही में यह आदेश दिया है कि मनोनीत सदस्यों को मंत्री नहीं बनाया जाना चाहिए.