बिहार में संवैधानिक संकट के आसार, विधानसभा अध्यक्ष ने किया ऐलान नहीं देंगे इस्तीफा

By एस पी सिन्हा | Updated: August 23, 2022 21:34 IST2022-08-23T21:27:01+5:302022-08-23T21:34:40+5:30

महागठबंधन की ओर से दिए गए अविश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि जो उन्हें नोटिस दी गई है वह नियमों और प्रावधान के खिलाफ है। अविश्वास प्रस्ताव को मैं अस्वीकार करता हूं और मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। 

bihar political crisis vidhan sabha speaker Vijay Kumar Sinha denies his resignation | बिहार में संवैधानिक संकट के आसार, विधानसभा अध्यक्ष ने किया ऐलान नहीं देंगे इस्तीफा

बिहार में संवैधानिक संकट के आसार, विधानसभा अध्यक्ष ने किया ऐलान नहीं देंगे इस्तीफा

Highlightsविजय कुमार सिन्हा ने अपने खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कियास्पीकर ने कहा- अविश्वास प्रस्ताव को मैं अस्वीकार करता हूं और मैं इस्तीफा नहीं दूंगासरकार की ओर से मौजूदा अध्यक्ष को हटाने की नोटिस का संकल्प की सूचना दी जा चुकी है।

पटना: बिहार में बड़े संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। बिहार में महागठबंधन की नई सरकार बन जाने के बाद करीब 12 दिन बीत जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने अपने खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। 

महागठबंधन की ओर से दिए गए अविश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि जो उन्हें नोटिस दी गई है वह नियमों और प्रावधान के खिलाफ है। अविश्वास प्रस्ताव को मैं अस्वीकार करता हूं और मैं इस्तीफा नहीं दूंगा। 

प्रेस सलाहकार की बैठक में मीडिया को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सदन की बात सदन में करेंगे। लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ व्यवस्था नहीं है। विगत दिनों सत्ता को बचाए रखने के लिए जो कुछ भी हुआ उसपर इस समय कुछ भी कहना उचित नहीं है। लेकिन इस क्रम में विधायिका की प्रतिष्ठा पर जो प्रश्न खड़ा किया गया है। उस पर चुप रहना अनुचित है। अध्यक्ष संसदीय नियमों तथा परंपराओं का संरक्षक है। यह केवल पद नहीं बल्कि एक न्यास का अंगरक्षक है। 

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि इसलिए इस दायित्व के साथ जब तक बंधे हैं तब तक अपने व्यक्तिगत सम्मान से ऊपर लोकतंत्र की गरिमा को सुरक्षित रखना मेरा कर्तव्य हैं। इसलिए जब विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, तब मैंने अपने ऊपर विश्वास की कमी के रूप में नहीं देखा। 

अविश्वास का प्रस्ताव का जो नोटिस सभा सचिवालय को दिया गया, उसमें नियमों और प्रावधानों की अनदेखी की गयी है। इसलिए इस नोटिस को अस्वीकृत करना मेरा स्वाभाविक जिम्मेवारी है। उन्होंने कहा कि आसन से बंधे होने के कारण से नोटिस में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण और निराधार आरोप लगाए गए हैं जो व्यक्तिगत स्तर के हैं। 

उन्होंने कहा कि कल सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा नहीं होगी। सदन में पहले सरकार का काम होगा। यानी सरकार को जो बहुमत हासिल करना है उसकी प्रक्रिया होगी। उसके बाद आगे कोई बात होगी। अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बुधवार को कोई वोटिंग नहीं होगी।

आज विशेष सत्र को लेकर मुख्य सचिव, डीजीपी और आला अधिकारियों के साथ विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बैठक की और सुरक्षा और अन्य इंतजामों को लेकर सख्त निर्देश भी दिए।  विधानसभा अध्यक्ष ने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया है कि विधायकों के साथ कोई बाहरी आदमी भी ना आ जाए, इस पर नजर रखा जाए। 

वहीं डीजीपी एसके सिंघल ने बताया कि सारी तैयारियां कर ली गई हैं। कहीं से कोई दिक्कत की बात अबतक सामने नहीं आई है। सदन की बैठक के दौरान तैयारियां और बढ़ा दी जाती हैं। 

उधर, विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने भी विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के एलान के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव नियमों के तहत लाया गया है और उस पर 14 दिनों के अंदर चर्चा और वोटिंग कराना होगा। लिहाजा 24 अगस्त को जब विधानसभा की कार्रवाई होगी तो विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा अपने आसन पर नहीं बैठ सकते। 

दरअसल, इसी महीने 10 अगस्त मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़कर सात पार्टी के महागठबंधन के साथ मिलकर प्रदेश में नई सरकार बना ली थी। नई सरकार के गठन के तुरंत बाद महागठबंधन के 40 से अधिक विधायकों ने विजय सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। 
बिहार के 243 सदस्यीय विधानसभा में महागठबंधन के 164 विधायक हैं, जहां अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए एक साधारण बहुमत की आवश्यकता है। अब लोगों की निगाहें 24 अगस्त बुधवार से आरंभ हो रही दो दिवसीय विधानमंडल के सत्र पर टिकी हैं। दो दिनों का यह विशेष सत्र 24 और 25 अगस्त को होनी है। 

संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली की धारा 20 के अनुसार विधानसभा की कार्यसूची विधानसभा के सचिव सदन नेता से विमर्श कर तय करेंगे और सदस्यों को सूचित करेंगे। 

मौजूदा अध्यक्ष को हटाने की नोटिस का संकल्प की सूचना दी जा चुकी है। इसके 14 दिन पूरे हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में सदन की सर्वोच्च प्राथमिकता अध्यक्ष को पद से हटाने वाले संकल्प को लाए जाने की होगी। कारण, जिस सभा के अधिकांश सदस्यों का आसन पर विश्वास नहीं है, वह अध्यक्ष एक भी कार्रवाई कैसे संपादित कर सकता है?

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