बिहार: लॉकडाउन कानून की धज्जियां उड़ते देख पटना HC में दायर किया गया PIL, याचिकाकर्ता ने कहा-ढिलाई से बढ़े मरीज, निगरानी की मांग
By एस पी सिन्हा | Updated: April 27, 2020 18:04 IST2020-04-27T18:02:10+5:302020-04-27T18:04:49+5:30
केंद्रीय गृह मंत्रालय के 15 अप्रैल के रिवाइज़्ड गाइडलाइन में साफ तौर पर मना किया गया है कि किसी राज्य या यूनियन टेरिटरी के घोषित हुए कोरोना के अतिसंवेदनशील इलाकों, कॉंटेन्मेंट जोन, रेड जोन में 20 अप्रैल से होने वाली लॉक डाउन की ढिलाई लागू नहीं होगी.

केंद्र सरकार के गाइडलाइन के उल्लंघन में पटना में रेड जोन इलाकों में भी अतिरिक्त सेवाओं को शुरू करने की ढील 20 अप्रैल के बाद से दे दी है.
पटना: कोरोना के जारी कहर के बीच लागू किये गये लॉकडाउन के दौरान बिहार सरकार द्वारा ढिलाई देने के मामलें में पटना हाईकोर्ट जनहित याचिका दायर की गई है. अधिवक्ता विकास कुमार ने ये जनहित याचिका दायर करते कहा कि 20 अप्रैल के बाद कि ढील देने से मात्र 7 दिनों में सूबे के कोरोना संक्रमित की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. इस जनहित याचिका में कोरोना से लड़ने की राज्य सरकार की कार्यवाहियों की मॉनिटरिंग करने का पटना हाई कोर्ट से अनुरोध किया है.
यहां उल्लेखनीय है कि कोरोना का संकट बिहार में तेजी से बढ़ते ही जा रहा है. ऐसे में पटना हाई कोर्ट से गुहार लगाई गई है. राज्य में आपात सेवा के साथ केंद्र सरकार से मंजूर हुई अतिरिक्त सेवाओं को पटना के रेड ज़ोन इलाकों में भी राज्य सरकार द्वारा मंजूरी दिए जाने और उससे कोरोना संक्रमित मरीजों के अचानक इजाफा होने की ओर पटना हाई कोर्ट का ध्यान आकर्षित करते हुए पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता विकास कुमार ने मुख्य न्यायाधीश सहित सभी न्यायाधीशों को एक पत्र लिखकर पटना सहित पूरे बिहार को कोरोना महामारी से बचाने की गुहार लगाया है. अधिवक्ता विकास कुमार ने 26 अप्रैल को व्हाट्सएप्प पर लिखे पत्र के जरिये मीडिया के खबरों का हवाला देते हुए हाई कोर्ट को बताया कि पटना में कोरोना संक्रमित की संख्या एकाएक बढकर 33 और पूरे सूबे में बढकर 277 तक आ पहुंची है.
वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय गृह मंत्रालय के 15 अप्रैल के रिवाइज़्ड गाइडलाइन में साफ तौर पर मना किया गया है कि किसी राज्य या यूनियन टेरिटरी के घोषित हुए कोरोना के अतिसंवेदनशील इलाकों, कॉंटेन्मेंट जोन, रेड जोन में 20 अप्रैल से होने वाली लॉक डाउन की ढिलाई लागू नहीं होगी.
इसके बावजूद राज्य सरकार ने केंद्र सरकार के गाइडलाइन के उल्लंघन में पटना में रेड जोन इलाकों में भी अतिरिक्त सेवाओं को शुरू करने की ढील 20 अप्रैल के बाद से दे दी है. नतीजा यह है कि कोरोना के अति संवेदनशील इलाकों के आसपास सरकारी के साथ-साथ अन्य दफ्तर और दुकाने खुल गईं. वहीं दूसरी ओर कोरोना संक्रमित की संख्या में एकाएक बहुत इजाफा हुआ.
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का ध्यान एक और सरकारी लापरवाही की तरफ आकर्षित किया है. अधिवक्ता विकास कुमार ने बताया है कि सरकारी महकमे में गैर आवश्यक सेवाओं वाले विभाग के मुख्यालयों में तृतीय, चतुर्थ श्रेणी कर्मी और संविदा पर बहाल अफसर और कर्मियों को हफ्ते में सिर्फ दो दिन (रोटेशन पर ) काम करने का केंद्र और राज्य सरकार का निर्देश है. लेकिन इसका अनुपालन में सम्बन्धित वर्क रोस्टर को, राज्य सरकार के गैर आवश्यक सेवाओं वाले कई विभाग मसलन, वन एवं पर्यावरण विभाग अपने मुख्यालय स्तर पर अब तक लागू नही कर पाए हैं. नतीजतन इन महकमो के अफसर और कर्मियों को पटना में रेड ज़ोन होते हुए भी रोज़ाना दफ्तर आना पडता है. इस तरह से राज्य सरकार की लापरवाही से कोरोना फैलने का खतरा बढता ही जा रहा है.
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इस पत्र को पीआईएल में तब्दील कर मामले पर फौरन संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार के कोरोना से निपटने संबंधित कार्य कलापों की मॉनिटरिंग की गुहार लगाई है.
एडवोकेट विकास के हवाले से जानकारी मिली कि उनके ऑनलाइन पत्र पर मुख्य न्यायाधीश और पटना हाई कोर्ट प्रशासन के प्रतिक्रिया के बारे में सोमवार शाम तक महानिबंधक कार्यालय से मिलेगी. यहां बता दें कि बिहार सरकार ने सूबे में किताब दुकानों को खोलने की मंजूरी दे दी है. जिसेक बाद से किताब के दुकानों पर अभिभावकों की भीड जुटनी शुरू हो गई है. लोग बच्चों के किताबों के लिए दुकान पर पहुंच रहे हैं. लेकिन सरकार ने जो सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेंन करने की बात कही थी वो पालन होता दिखाई नहीं दे रहा है.
आज दुकान खुलते ही अभिभावक बच्चों के किताबों के लिए सुबह से ही दुकानों पर जुट गए. जिससे देखते ही देखते लंबी लाइन लग गई. भीड़ के कारण लोग परेशान दिखाई दे रहे हैं. वहीं दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न होना पटना के लोगों के लिए खतरे की घंटी हो सकती है. बता दें कि गृह मंत्रालय के आदेश के बाद बिहार सरकार के भी गृह विभाग ने सूबे में बिजली पंखे की दुकानों को खोलने की मंजूरी दे दी थी. लेकिन उसके लिए कई शर्तें लागू की थी. पर आज पटना के कई दुकानों में शर्तें पालन होती नहीं दिखी.