बिहार: अब धोखेबाज प्रेमियों-दुष्कर्मियों की खैर नहीं, डीएनए की जांच से दोषियों को सजा दिलाने में जुटी पुलिस

By एस पी सिन्हा | Updated: December 29, 2019 06:05 IST2019-12-29T06:05:53+5:302019-12-29T06:05:53+5:30

ऐसे लोगों के खिलाफ थाने, महिला आयोग होते हुए अदालत तक मामले पहुंच रहे हैं. पहले तो ये किसी न किसी तरह बच निकलते थे पर अब फॉरेंसिक लैब में ऐसे पापियों के चेहरे बेनकाब होने लगे हैं और कई बेगुनाहों को इंसाफ भी मिलने लगा है. 

Bihar: Now fraudulent lovers-misdemeanors are not well | बिहार: अब धोखेबाज प्रेमियों-दुष्कर्मियों की खैर नहीं, डीएनए की जांच से दोषियों को सजा दिलाने में जुटी पुलिस

बिहार: अब धोखेबाज प्रेमियों-दुष्कर्मियों की खैर नहीं, डीएनए की जांच से दोषियों को सजा दिलाने में जुटी पुलिस

Highlightsवर्ष 2018 में पटना स्थित एफएसएल में दुष्कर्म के 27 मामलों में डीएनए जांच की गई. च के दौरान 21 मामलों में आरोपितों के खिलाफ आरोप सही साबित हुए.

बिहार में अब धोखेबाज प्रेमियों-दुष्कर्मियों की खैर नही. यह ठानकर फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) डीएनए से पापियों का सबूत सबके सामने लाने में जुटी हुई है. अब इस काम में तेजी लाई गई है. ऐसे में अब धोखेबाज प्रेमियों और दुष्कर्मियों का बच पाना मुश्किल है. कारण कि पहले ऐसा नहीं होता था और कई मामलों में सबूत के अभाव में पापी छूट जाते थे. पर पिछले साल हुई डीएनए जांच में 27 में 21 आरोपियों के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले हैं.

ऐसे में बताया जा रहा है कि इससे न सिर्फ मामले सुलझे, बल्कि पुख्ता सबूत मिलने से सजा दिलाने में भी मदद मिली. जबकि कई बेगुनाहों को इंसाफ भी मिल रहा है. कारण कि बिहार में प्रेम के बाद शादी के सपने दिखाकर यौन शोषण करने वाले बहुत हैं. ऐसे लोगों के खिलाफ थाने, महिला आयोग होते हुए अदालत तक मामले पहुंच रहे हैं. पहले तो ये किसी न किसी तरह बच निकलते थे पर अब फॉरेंसिक लैब में ऐसे पापियों के चेहरे बेनकाब होने लगे हैं और कई बेगुनाहों को इंसाफ भी मिलने लगा है. 

वर्ष 2018 में पटना स्थित एफएसएल में दुष्कर्म के 27 मामलों में डीएनए जांच की गई. जांच के दौरान 21 मामलों में आरोपितों के खिलाफ आरोप सही साबित हुए. पीडिताओं के कपडे से लिए गए स्वाब और आरोपितों के खून के नमूने के डीएनए का मिलान हो गया. वहीं, छह मामलों में आरोपितों के डीएनए का मिलान नहीं हुआ. यानी दुष्कर्म के इन मामलों में आरोपों की बायोलॉजिकल पुष्टि नहीं हुई. 

दुष्कर्म के मामलों में डीएनए का मिलान करना आरोपित के खिलाफ बडा साक्ष्य माना जाता है. पिछले साल फुलवारीशरीफ थाना क्षेत्र में हुए दुष्कर्म के एक मामले में डीएनए का मिलान हुआ, जिससे आरोपी के खिलाफ पुलिस को पुख्ता साक्ष्य मिल गए. 

जानकारों के अनुसार डीएनए जांच की प्रक्रिया जटिल होती है. इसके लिए दो नमूने भेजे जाते हैं. पहले सैंपलिंग की जाती है. इसके बाद कोशिका के अंदर से दोनों का डीएनए लिया जाता है. इसके बाद कोशिकाओं से लिए गए डीएनए की मिलान प्रक्रिया शुरू होती है. गया में मां-बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले में भी डीएनए जांच की गई थी. इस कांड में गिरफ्तार 15 अभियुक्तों के खून के नमूने एफएसएल भेजे गए थे. 

इनमें दो अभियुक्तों का डीएनए पीडिताओं के कपडे से लिए गए स्वाब से मिल गया था. इसी तरह फुलवारीशरीफ में नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपित के खून का नमूना मिलान कर गया. स्कूल संचालक पर अपने स्कूल की छात्रा के साथ दुष्कर्म का आरोप है. लडकी गर्भवती हो गई. भ्रूण से डीएनए का मिलान हुआ. जिससे आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत मिल गया. अब इस मामले की ट्रायल जारी है. उसी तरह से कुछ वर्ष पहले पूर्णिया और दरभंगा से जुडे तीन मामलों में डीएनए जांच ने गुत्थी को सुलझाने में मदद की थी. ये ऐसे मामले थे, जिसमें युवती से प्रेमी ने यौन संबध बना रखा था पर गर्भ धारण होने के बाद पिता होने के फर्ज से मुकर गया. 

कोर्ट के आदेश पर नवजात और आरोपितों की डीएनए जांच कराई गई थी. तीनों मामलों में प्रेमी का झूठ पकडा गया. एडीजी, सीआईडी विनय कुमार के अनुसार अपराधियों को सजा दिलाने के लिए जरूरी है कि पुलिस की जांच भी मजबूत और ठोस साक्ष्यों पर हो. डीएनए जांच इसमें मददगार है, क्योंकि इससे निर्णायक पहचान स्थापित होती है. अदालत भी डीएनए जांच की रिपोर्ट को अति विश्वसनीय मानती है. ऐसे में आरोपियों का बच पाना मुश्किल होता है.

Web Title: Bihar: Now fraudulent lovers-misdemeanors are not well

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे

टॅग्स :Biharबिहार