विधायकों की पिटाई, विधान परिषद में जमकर हंगामा, गालीगलौज और हाथापाई, मुख्यमंत्री ने जताया खेद  

By एस पी सिन्हा | Updated: March 24, 2021 20:11 IST2021-03-24T20:09:55+5:302021-03-24T20:11:17+5:30

मुख्‍यंमत्री नीतीश कुमार के सामने ही सदन में जदयू के संजय कुमार सिंह और राजद के सुबोध कुमार के बीच तू-तू मैं-मैं हो गई.

bihar Legislative Council abuse and scuffle Chief Minister nitish kumar expressed regret rjd bjp jdu | विधायकों की पिटाई, विधान परिषद में जमकर हंगामा, गालीगलौज और हाथापाई, मुख्यमंत्री ने जताया खेद  

सत्ता पक्ष के सदस्य आसन के सामने आए और विरोध जताया.

Highlightsदिलीप जायसवाल और संजीव कुमार सिंह ने बीच-बचाव किया. सुबोध कुमार ने मुख्‍यमंत्री को चूड़ी दिखाई. मुख्‍यमंत्री को चूड़ी पहनने को कहा.

पटनाः बिहार विधानसभा में मंगलवार को हुए हंगामे के बीच विधायकों की पिटाई का मामला आज बिहार विधान परिषद में भी उठा.

पुलिस विधेयक को लेकर विधान परिषद में भयंकर बवाल हो गया. उस वक्त सदन में मौजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिफर पड़े. विधान परिषद की कार्यवाही बुधवार सुबह हुई तो हंगामे के कारण स्थगित हो गई. इस दौरान पक्ष और विपक्ष के विधान पार्षद एक दूसरे से भिड़ गए.

सत्ता पक्ष और विपक्ष के पार्षद देखते ही देखते एक दूसरे से भिड़ गए. माहौल इतना गर्म हो गया कि गालीगलौज और हाथापाई की नौबत फिर से आ गई. यह वाकया उसवक्त हुआ जब परिषद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुस्से में बोल रहे थे. मुख्‍यंमत्री नीतीश कुमार के सामने ही सदन में जदयू के संजय कुमार सिंह और राजद के सुबोध कुमार के बीच तू-तू मैं-मैं हो गई. अपशब्दों का भी प्रयोग किया गया. इसबीच दिलीप जायसवाल और संजीव कुमार सिंह ने बीच-बचाव किया. वहीं सदन में सुबोध कुमार ने मुख्‍यमंत्री को चूड़ी दिखाई. उन्‍होंने मुख्‍यमंत्री को चूड़ी पहनने को कहा.

इसी बात पर सत्ता पक्ष के सदस्य आसन के सामने आए और विरोध जताया. दरअसल, राजद के सदस्य विधानसभा में विधायकों की पिटाई का विरोध कर रहे थे. सदन की कार्यवाही के दौरान राजद के सुबोध राय बीच में खडे़ होकर बोलने लगे. उन्होंने कहा कि विधायकों को पीटा गया है. उनका क्या वैल्यू रह जायेगा. सुबोध राय का विरोध देख जदयू के नीरज कुमार और संजय सिंह भी खडे़ होकर इस बात का विरोध करने लगे कि राजद सदस्य शब्दों की मर्यादा भूल रहे हैं. देखते ही देखते परिषद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी खडे़ होकर बोलने लगे. इस दौरान वह काफी आक्रोश में दिखे.

उन्होंने कहा कि विपक्ष के विधायक विधनसभा में गुंडागर्दी किये. वे लोग याद करें कि क्या हुआ था. जनता भी देखी है. विपक्षियों को जनता भी ठीक से जवाब देगी. आगबबूला नीतीश ने उंगली दिखाते हुए कांग्रेस के नेताओं को कहा कि वे भी राजद के चक्कर में पड़कर अपने आप को बर्बाद कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने विधानसभा में विपक्ष की गैरहाजिरी की चर्चा करते हुए कहा कि देखिए वहां क्या हुआ, वहां क्या संख्या है और यहां क्या संख्या है. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम शांति व्यवस्था में विश्वास रखते हैं.

जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बोल ही रहे थे कि जदयू के संजय सिंह और भाजपा के घनश्याम ठाकुर आपे से बाहर हो गए और अपनी सीट से उठकर सीधे राजद सदस्य के पास चले गए. पक्ष और विपक्ष के नेता इतना गर्म हो गए कि सभापति भी अपनी सीट से उठ गए और उनलोगों को समझाने लगे. उनसे बैठने का आग्रह करने लगे. लेकिन इसके बावजूद भी संजय सिंह और घनश्याम ठाकुर अपनी सीट पर नहीं गए और वे राजद के सुबोध राय और सुनील सिंह से उलझने लगे. एक दूसरे को उंगली दिखाने लगे.

हालांकि इस दौरान रामचंद्र पूर्वे और सत्ता पक्ष के दिलीप जायसवाल ने नेताओं को समझाकर उन्हें वापस भेजा. इसबीच विधानसभा में हुई घटना और बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल बिल के विरोध में विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया. वॉकआउट कर सदन के बाहर आए राजद के रामचंद्र पूर्वे ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा  कि सरकार सरासर गलत कर रही है.

जब यह कानून लागू नहीं हुआ है तो यह रवैया है और जब कानून लागू कर दिया जाएगा तो सरकार क्या करेगी? उन्होंने कहा कि बिहार सरकार की यह पुलिस पीपुल्स फ्रेंडली होने का नाटक करती है. सदन में पुलिस का घुसपैठ हुआ है. माननीय सदस्यों को पीटा गया. महिला विधायकों के साथ छेडखानी की गई. यह कहां का लोकतंत्र का नियम है.

इससे पहले विधान परिषद की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस के प्रेमचंद मिश्रा ने इस मामले पर कार्यस्थगन की सूचना दी. प्रेमचंद मिश्रा ने आरोप लगाया कि बिहार विधानसभा में जिस तरह पुलिस बुलाकर विधायकों की पिटाई कराई गई, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और इस मामले में सदन के अंदर चर्चा होनी चाहिए.

कांग्रेस की तरफ से दी गई कार्य स्थगन सूचना को सभापति अवधेश नारायण सिंह ने अस्वीकृत कर दिया. जिसके बाद राजद के सदस्य भी खडे हो गए और सदन के वेल में पहुंच गए और जोरदार हंगामा होने लगा. विधान परिषद में हंगामे को देखते हुए कार्यकारी सभापति अवधेश नारायण सिंह ने सदन की कार्यवाही 2:30 बजे तक के स्थगित कर दी. 

वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस घटना को लेकर अपना खेद जाहिर किया है. उन्होंने कहा सरकार कभी सदन के फैसलों में दखल नहीं देती है. उन्होंने विधान परिषद में बजट सत्र के अंतिम दिन कराए गए फोटो शूट के दौरान यह बात कही. उन्होंने कहा कि सदन में जो हुआ वो सही नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि पता नहीं विपक्ष क्या करना चाहता है. जानें कौन उन्हें (तेजस्वी यादव) सलाह दे रहा है. बिहार सशस्त्र पुलिस बिल का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कानून कोई भी बनाता है, उस पर चर्चा होती है, लेकिन सदन में आखिरी समय ऐसा क्यों हुआ यह मेरी समझ से परे है.

उन्होंने कहा कि विरोधी दल के विधायक ने जिस तरह का व्यवहार किया है इसपर अध्यक्ष ही कार्रवाई कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि विधानसभा मे अध्यक्ष और विधान परिषद में सभापति का अधिकार होता है कि वे किसी तरह की कार्रवाई करने के लिए खुद से फैसला लें. सरकार का किसी तरह का कोई अधिकार नही होता है. अध्यक्ष किसी प्रकार की कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होता है.

नीतीश कुमार ने कहा कि विधायकों के साथ जिस तरह का व्यवहार हुआ वह चिंताजनक है. उन्होंने तेजस्वी यादव के बोलने नहीं देने के आरोपो को निंदनीय करार देते हुए कहा कि विपक्ष ने सदन में विधेयक को पारित होने से रोकने के लिए घंटों तक अध्यक्ष को उनके ही चैंबर में बंद कर दिया. यह कहां तक जायज था. सभी मीडिया ने इसे दिखाया. इस दौरान उन्होंने नए विधायकों के लिए सदन के काम को अच्छी तरह से समझने के लिए सेमिनार आयोजन करने की बात कही.

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