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बिहार विधानसभाः तेजस्वी यादव ने उठाया सवाल, विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर दोषियों को बर्खास्त करने की मांग की 

By एस पी सिन्हा | Updated: April 5, 2021 20:54 IST

विपक्ष के माननीय सदस्यों के साथ बर्बर हिंसा का प्रयोग कर सदन के अंदर सैकड़ों पुलिस बल की उपस्थिति में जिस तरीके से विधेयक पारित कराया गया, उसे किसी भी तरह से सामान्य लोकतांत्रिक घटना नहीं माना जा सकता.

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ठळक मुद्देकर्तव्यों का ही तो निर्वहन कर रहे थे, जिसकी वो सदस्य बनते समय शपथ लेते है. संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा करने का ही तो प्रयास कर रहे थे.पुलिस प्रशासन द्वारा लिसा का जो नंगा नाच किया गया यह विशेष पुलिस बल को विशेष अधिकार देने के खतरे का एक झांकी भर है.

पटनाः बिहार विधानसभा में विधायकों की पिटाई के मामले को एक बार फिर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने उठाया है.

उन्होंने बीते 23 मार्च को विधानसभा में पुलिस कार्रवाई और विधायकों के साथ मारपीट मामले में विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है. उन्होंने पुलिसिया मारपीट के साक्ष्यों से जुड़ी सीडी भी भेजा है और दोषियों को बर्खास्त करने की मांग की है.

वहीं, तेजस्वी ने अपने ट्वीटर हैंडलर पर डालते हुए लिखा कि लोकतांत्रिक मर्यादाओं को तार-तार करते हुए 23 मार्च को बिहार विधानसभा के अंदर इतिहास में पहली बार मुख्यमंत्री के इशारे पर विपक्ष के माननीय सदस्यों के साथ बर्बरतापूर्ण मारपीट की गई इसी संदर्भ में विधानसभा अध्यक्ष महोदय को साक्ष्य सहित पत्र लिख दोषियों को बर्खास्त करने की मांग की.

उन्होंने पत्र में लिखा है कि नीतीश सरकार द्वारा राज्य की जनता पर "बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस विधेयक-2021 थोपने के कम में विपक्ष के माननीय सदस्यों के साथ बर्बर हिंसा का प्रयोग कर सदन के अंदर सैकड़ों पुलिस बल की उपस्थिति में जिस तरीके से विधेयक पारित कराया गया, उसे किसी भी तरह से सामान्य लोकतांत्रिक घटना नहीं माना जा सकता.

विपक्ष के निहत्थे माननीय सदस्यगण शांतिपूर्ण ढंग से धरना-प्रदर्शन करते हुए अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग कर विरोध कर रहे थे तो सत्य को सामने लाने का संविधान प्रदत्त अपने कर्तव्यों का ही तो निर्वहन कर रहे थे, जिसकी वो सदस्य बनते समय शपथ लेते है. वो संविधान एवं लोकतंत्र की रक्षा करने का ही तो प्रयास कर रहे थे.

लेकिन सरकार के इशारे घर पुलिस प्रशासन द्वारा लिसा का जो नंगा नाच किया गया यह विशेष पुलिस बल को विशेष अधिकार देने के खतरे का एक झांकी भर है. माननीय महिला विधायकों के साथ जो अवर्णनीय दुर्व्यवहार किया गया उसने तो लोकतंत्र की सारी स्थापित मर्यादाओं को तार-तार कर दिया जोकि संसदीय लोकतंत्र में न तो कहीं देखा गया और न ही कहीं सुना गया. कितने माननीय के तो हाथ-पैर तोड़ दिए गए. ऐसे में विधानसभा को जालियांवाला बाग बनाने का प्रयास करने वाले अधिकारियों को हम बर्खास्त करने की मांग करते हैं.

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