बिहारः सभी मठ-मंदिरों को कराना होगा ऑनलाइन पंजीकरण, नीतीश सरकार ने जारी किया निर्देश
By एस पी सिन्हा | Updated: July 2, 2022 15:55 IST2022-07-02T15:54:16+5:302022-07-02T15:55:06+5:30
बिहार के के कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने आज कहा कि अगर मंदिर और मठ 15 जुलाई तक बीएसआरटीसी में अपना पंजीकरण कराने में विफल रहते हैं तो राज्य सरकार को मजबूरन अन्य प्रशासनिक विकल्प तलाशना पड़ेगा.

वैशाली जिले में सबसे ज्यादा 438 अपंजीकृत मंदिर और मठ मौजूद हैं, जबकि औरंगाबाद एकमात्र ऐसा जिला है जहां कोई अपंजीकृत मंदिर नहीं है.
पटनाः बिहार सरकार ने सभी 38 जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि मंदिरों और मठों के पंजीकरण की प्रक्रिया 15 जुलाई तक पूरी कर ली जाए. बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद(बीएसआरटीसी) से जुडे मठ-मंदिरों की जानकारी ऑनलाइन वेबसाइट पर मिलेगी.
राज्य के कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने आज कहा कि अगर मंदिर और मठ 15 जुलाई तक बीएसआरटीसी में अपना पंजीकरण कराने में विफल रहते हैं तो राज्य सरकार को मजबूरन अन्य प्रशासनिक विकल्प तलाशना पड़ेगा. मंत्री ने कहा कि बिहार देश का पहला राज्य है, जहां सरकार ने इस तरह की कवायद शुरू की है.
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को मंदिरों, मठों और न्यासों की सभी संपत्ति की जानकारी 15 दिनों के भीतर बीएसआरटीसी की वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी. विधि विभाग ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजा है. मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 15 जुलाई के बाद बीएसआरटीसी की वेबसाइट का उद्घाटन करेंगे.
प्रमोद कुमार ने कहा कि बिहार में सभी सार्वजनिक मंदिरों, मठों, ट्रस्टों और धर्मशालाओं को बिहार हिंदू धार्मिक ट्रस्ट अधिनियम-1950 के अनुसार बीएसआरटीसी के साथ पंजीकृत कराना होगा. उन्होंने कहा कि मंदिर की संपत्ति को अनधिकृत दावों से बचाने के लिए यह निर्णय लिया गया है क्योंकि पुजारियों द्वारा संपत्ति की खरीद-फरोख्त में बडे़ पैमाने पर अनियमितताएं पाई गई हैं.
आंकडों के अनुसार राज्य के 35 जिलों में 2,512 अपंजीकृत मंदिर और मठ हैं, जिनके पास लगभग 4,321.64 एकड़ जमीन है. मंत्री ने कहा कि सरकार जल्द ही 2,499 पंजीकृत मंदिरों और मठों की बाड़बंदी की प्रक्रिया शुरू करेगी. इन मठ-मंदिरों के पास 18,456.95 एकड़ जमीन है. भूखंड को अतिक्रमण से बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है. वैशाली जिले में सबसे ज्यादा 438 अपंजीकृत मंदिर और मठ मौजूद हैं, जबकि औरंगाबाद एकमात्र ऐसा जिला है जहां कोई अपंजीकृत मंदिर नहीं है.