पटनाः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के ब्राह्मण विरोधी बयान पर तूफान मचा हुआ है और लोग काफी आक्रोशित हैं. जिसके बाद जीतन राम मांझी की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं. आज कुछ ब्राह्मण संगठनों ने मांझी के पटना स्थित आवास पर शुद्धिकरण और पूजा-पाठ करने की घोषणा कर दी थी.
इसको देखते हुए बिहार पुलिस ने मांझी के घर के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी है. जीतन राम मांझी के आवास के आसपास का इलाका छावनी में तब्दील हो गया है. प्रदर्शनकारियों के आने की स्थिति में उन्हें रोकने के लिए बैरिकेडिंग की तैयारी भी पुलिस ने कर रखी है. किसी प्रकार के विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस पूरी तरह से चाक चौबंद नजर आ रही है.
स्थानीय थाने के बड़े अधिकारी खुद पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं. इसबीच जीतन राम मांझी की ओर से दिए गए विवादित बयान को लेकर उनके खिलाफ बिहार के तीन जिलों में परिवाद दर्ज कराया गया है. मांझी के विरुद्ध जाति विशेष के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने एवं सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने का आरोप लगाते हुए नालंदा, कटिहार और औरंगाबाद में परिवाद दर्ज कराया गया है.
उधर, जीतन राम मांझी ने बोधगया में अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन करते हुए धमकी भरे अंदाज में कहा कि कई लोग मेरी जीभ उखाड़ लेने के लिए 11 लाख रुपया इनाम रखे हैं तो कई लोग मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन मैं धमकी से डरने वाला नहीं हूं. हमने उन भ्रष्ट और व्यभिचारी पंडितों के बारे में कहा है, जो रात के अंधेरों में शराब पीते हैं.
मांस खाते हैं और ब्राह्मण के नाम पर लोगों को बेवकूफ बनाते हैं. ब्राह्मणों की धमकी से बौखलाए मांझी ने कहा कि पहले मैं इस बात के लिए पहले ही माफी मांग चुका था, लेकिन इसके बाद भी मुझे धमकी दी जा रही है. अब मैं साफ कहता हूं कि वह लोग हरामी होते हैं. यह बात मैं एक बार नहीं बल्कि सैकडों बार कहूंगा. उन्होंने कहा कि कई ब्राह्मण ऐसे हैं, जिन्हें ब्रह्म का ज्ञान नहीं होता.
वे जाति के नाम पर समाज में इज्जत पाते हैं और मांस-मदिरा का प्रयोग करते हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि ब्राह्मणों के प्रति मेरी आस्था है. जो ब्रह्म को जानते हैं, वहीं असली ब्राह्मण हैं. आज ब्राह्मण के नाम पर कई लोग पोती-पतरा लेकर निकल जाते हैं, लेकिन उन्हें तनिक भी ज्ञान नहीं होता. इतना ही नहीं, वे मांस और मदिरा का उपभोग करते हैं.
ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए. हम वैसे लोगों को पुजारी नहीं कहेंगे. मांझी ने कहा कि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि लोग मेरे बारे में क्या कह रहे हैं. अगर वह मेरी जीभ काटने चाहते हैं, तो आ जाएं, देख लूंगा. मांझी ने कहा कि मेरा विरोध ब्राह्मणों के खिलाफ नहीं रहा है बल्कि ब्राह्मणवाद को लेकर रहा है. मनुवाद को लेकर रहा है.
जिस तरह से सनातन धर्म के अंत के बाद मनुवाद का आरंभ हुआ मेरा विरोध उसको लेकर है. इस दौरान उन्होंने भाजपा नेता गजेंद्र झा को पार्टी को निष्कासित किए जाने को लेकर असंतोष जाहिर किया. उन्होंने बताया कि यूपी से राजन तिवारी ने धमकी दी है. उसी तरह भाजपा के पूर्व सांसद ने भी अंजाम भुगतने को लेकर भी धमकी दी है.
मांझी ने कहा कि 1956 में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने बौद्ध धर्म को अपनाया था. हालांकि, वे पहले से हिंदू थे. उन्होंने कहा कि हमने भुइयां संघ की बैठक में यह कहा था कि आजकल मूसहर टोली में भी सत्यनारायण भगवान की पूजा होने लगी है, लेकिन जो पूजा कराने वाले लोग हैं, वह दक्ष नहीं होते. ऐसे अज्ञानी ब्राह्मणों को शर्म आनी चाहिए.
जीतनराम मांझी ने ब्राह्मणों को लेकर अपशब्द का इस्तेमाल भी किया. उस अपशब्द के बारे में कहा कि यह शब्द मगध में प्रचलित है, इसलिए हमने इसका प्रयोग किया था. जीतनराम मांझी ने कहा कि 41 साल के राजनीतिक जीवन में हम ने ऐसा नहीं देखा. उन्होंने फिर दोहराया कि रामायण महाकाव्य है, लेकिन उसमें राम का चरित्र काल्पनिक है.
एक सवाल पर उन्होंने कहा कि मुकदमाबाजी होते रहते हैं, इससे डरने की जरूरत नहीं हैं. बता दें कि ब्राह्मणों में आक्रोश के वजह से खुलकर ब्राह्मण समाज जीतन राम मांझी का विरोध कर रहा है. राजनैतिक बिगडते समीकरण को देखकर जीतन राम मांझी सकते में आ चुके हैं. अपने दिए गए बयान पर कभी पलटते नजर आते हैं तो कभी रफू करते दिखते हैं.
ऐसे में जीतन राम मांझी का अगड़ी जातियों से मोह भंग होता दिख रहा है, यही वजह है कि अपने दिए गए अनर्गल बयान को पैच अप करने के लिए हर बार माफी मांगते दिख रहे हैं तो कहीं सफाई देते नजर आ रहे हैं. इन सबके बीच जीतन राम मांझी की जुबान काटने वाले को 11 लाख रुपये देने का एलान करने वाले भाजपा नेता गजेंद्र झा को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है.
दरअसल, भाजपा ने गजेंद्र झा से पंद्रह दिन में स्पष्टीकरण देने को कहा था, लेकिन गजेंद्र अपने बयान पर टिके रहे थे. बाद में पार्टी ने उनपर कार्रवाई करते हुए उन्हें बाहर करने का निर्णय सुनाया है. इधर, ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी ब्राह्मणों के विषय में इसी प्रकार का अनर्गल बयानबाजी की थी, बाद में उनका विनाश हो गया. अब पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के साथ भी विनाश काले विपरीत बुद्धि वाली कहावत चरितार्थ होती दिख रही है.