बिहार चुनाव: तेजस्वी के नेतृत्व वाले महागठबंधन की कमजोर कड़ी साबित हुई कांग्रेस!
By स्वाति सिंह | Updated: November 10, 2020 22:55 IST2020-11-10T22:51:59+5:302020-11-10T22:55:47+5:30
कांग्रेस के सहयोगी राजद और वाम दलों से उसके प्रदर्शन की तुलना करें तो कुल उम्मीदवारों के मुकाबले सीटें जीतने की दर के मामले में पार्टी अपने सहयोगियों राजद और वाम दलों से काफी पीछे रह गई है।

कांग्रेस ने साल 2015 का विधानसभा चुनाव राजद एवं जद(यू) के गठबंधन में लड़ा था
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव में 70 विधानसभा सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी कांग्रेस करीब 20 सीटों पर जीत हासिल करती नजर आ रही है और इस तरह से वह महाठबंधन में कमजोर कड़ी दिखाई देती है। हालांकि, पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के हिस्से में बहुत ही मुश्किल सीटें आई थीं और ‘भाजपा एवं ओवैसी के गठबंधन’ से भी उसको नुकसान हुआ है।
कांग्रेस के सहयोगी राजद और वाम दलों से उसके प्रदर्शन की तुलना करें तो कुल उम्मीदवारों के मुकाबले सीटें जीतने की दर के मामले में पार्टी अपने सहयोगियों राजद और वाम दलों से काफी पीछे रह गई है। राजद कुल 144 सीटों पर चुनाव लड़ा और करीब 75 सीटें जीतता नजर आ रहा है वहीं वाम दल अपने खाते की कुल 29 सीटों में से 18 पर जीत दर्ज करते नजर आ रहे हैं।
दूसरी तरफ, कांग्रेस 70 में करीब 20 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। कांग्रेस के इस निराशाजनक प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा, ‘‘यह कहना उचित नहीं है कि कांग्रेस महागठबंधन की कमजोर कड़ी साबित हुई है। हमारे हिस्से में जो 70 सीटें आई थीं उनमें 67 सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में राजग आगे था। भाजपा और ओवैसी के गठबंधन जैसे कारण भी हैं जिनसे हमें नुकसान हुआ है।’’
उन्होंने यह दावा भी किया, ‘‘कम मतों के अंतर वाली कुछ सीटों पर कांग्रेस और सहयोगी दलों के उम्मीदवारों को हराया गया है। चुनाव आयोग को इस पर तत्काल उचित कदम उठाना चाहिए।’’ कांग्रेस ने साल 2015 का विधानसभा चुनाव राजद एवं जद(यू) के गठबंधन में लड़ा था और उसे 27 सीटें हासिल हुई थीं। इससे पहले कांग्रेस ने 2010 का चुनाव अकेले लड़ा था और उसे निराशा हाथ लगी थी। तब उसको सिर्फ 2.9 फीसदी वोट और चार सीटें मिली थीं।