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बिहार चुनाव 2020: कोरोना की काली छाया के बीच सोशल मीडिया पर प्रचार करेगी जेडीयू

By भाषा | Updated: June 13, 2020 12:00 IST

बिहार में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. जेडीयू-बीजेपी-एलजेपी एनडीए के बैनर तले चुनाव लड़ेगी

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ठळक मुद्देकुछ दिनों पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नीतीश कुमार को चुनाव चेहरा घोषित किया है.इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी गठबंधन में जेडीयू के बराबर सीट मांग सकती है.कोरोना वायरस के बीच जहां बीजेपी वर्चुअल रैलियां कर रही हैं, वहीं जेडीयू अपना ध्यान सोशल मीडिया पर लगाएगी

बिहार में विधानसभा चुनाव कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते प्रतिबंधों के बीच ही संपन्न होंगे। इस बात को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) ने अपने कार्यकर्ताओं से सोशल मीडिया पर अपनी मौजदूगी बढ़ाने और पहली बार मतदान करने वालों पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है। शुक्रवार को संपन्न हुए छह दिन के “डिजिटल सम्मेलन” के दौरान जद(यू) के जमीनी कार्यकर्ताओं को कुमार से प्राप्त निर्देशों में व्हाट्सऐप ग्रुप और फेसबुक पेज बनाना शामिल है जो पार्टी और जनता के बीच संवाद के माध्यम के तौर पर काम कर सकें।

अपने आधिकारिक आवास से और विश्वस्त सहयोगियों की उपस्थिति में इस छह दिवसीय कार्यक्रम के दौरान कुमार ने बिहार के सभी 38 जिलों में जमीनी स्तर पर काम कर रहे पार्टी के कार्यकर्तां के साथ रायशुमारी की। राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य एवं पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संजय कुमार झा ने शुक्रवार को अपनी आरंभिक टिप्पणी में कहा, “18 से 24 साल की उम्र के 70 प्रशित से अधिक युवक एवं युवतियां, व्हाट्सऐप और फेसबुक पर बहुत सक्रिय रहते हैं।”

उन्होंने कहा, “इस ऑनलाइन उपस्थिति का हमें लाभ लेना है। इन युवाओं को बिहार की उस वक्त की स्थितियों के बारे में नहीं पता होगा जब नीतीश कुमार ने कार्यभार संभाला था।” झा ने कहा, “कुछ दशक पहले, जब हम विद्यार्थी थे, मगध क्षेत्र नरसंहारों की वजह से हमेशा खबरों में रहता था जो अब बीती बात हो गई है।” उन्होंने कहा कि उसकी तुलना आज की स्थिति से करिए जब जहानाबाद और औरंगाबाद जिलों के विद्यार्थी राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षाओं में अव्वल आ रहे हैं। झा ने कहा, “साइकिल और यूनिफॉर्म जैसी योजनाओं की वजह से लड़कियों का जीवन बदल गया है। युवा इसे बेहतर तरीके से समझ पाएंगे जब उन्हें पता चलेगा कि पूर्व में स्थितियां कैसी थीं।”

बीते रविवार को पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मुख्यमंत्री और उनके साथियों की बातों में कुमार के “सुशासन’’ और पूर्व के ‘‘जंगल राज” के बीच की गई तुलना हावी रही। “भय बनाम भरोसा’’ जैसे नारों वाले पार्टी के पोस्टर और कुमार का अपना कथन जिसे वह बार-बार दोहराते हैं कि, “जो हाल में मतदान करने वाली उम्र में पहुंचे हैं वे 2005 में बहुत छोटे रहे होंगे और उन्हें बताने की जरूरत है कि उन्हें विरासत में क्या मिला है”- इस बात का पर्याप्त संकेत देते हैं कि सत्तारूढ़ पार्टी सूबे में एक वक्त ताकतवर रही राजद की विफलताओं को दिखाकर अपना पलड़ा भारी करने की मंशा रखती है। इसके अलावा पार्टी उन उपलब्धियों का भी उल्लेख करेगी जो उसने सत्ता में आने के बाद से हासिल की है।

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