लोकसभा चुनाव में बिहार में कांग्रेस को राजग के हाथों मिली करारी हार का असर अब महागठबंधन पर भी पड़ता दिखाई दे रहा है. एक ओर जहां राजद के नेता और पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को अपनी ही पार्टी के नेताओं की नाराजगी का सामना करना पड रहा है, तो वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस ने भी अब राजद से अलग होने के संकेत दे दिए हैं.
बताया जाता है कि कांग्रेस बिहार में राजद से अलग राजनीतिक भविष्य तलाशने की कोशिश में लग गई है. हाल में हुए लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों पर एनडीए को 39 सीटों पर जीत हासिल हुई थी और गठबंधन के पास केवल एक सीट ही आई थी. खास बात यह है कि इस एक सीट पर भी जनता ने राजद के नेता पर नहीं कांग्रेस के प्रत्याशी पर भरोसा दिखाया. उल्लेखनीय है कि किशनगंज सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज कराई है. अभी तक के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है जब आरजेडी अपना खाता भी नहीं खोल पाई है. कांग्रेस की ओर से हाल ही में एक बयान जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि पिछले कुछ चुनावों पर नजर डालें तो राजद के साथ रहकर कांग्रेस को किसी भी तरह का कोई फायदा नहीं हुआ है. राजद के साथ जुड़ने से कांग्रेस को नुकसान हुआ और उसका अपना जनाधार भी खत्म हो गया है.
कांग्रेस का मानना है कि अगर बिहार में वह राजद से अलग हो जाती है, तो मुस्लिम वोटर उसकी ओर खिसक जाएंगे. लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद राजद के अंदर जिस तरह के हालात बन रहे हैं, उसके मुताबिक अगर कांग्रेस उससे अलग होती है तो राजद के कई बडे़ नेता कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं. कयास लगाया जा रहा है कि पप्पू यादव जैसे नेता बहुत जल्द कांग्रेस के साथ जुड़ने का ऐलान कर सकते हैं. इसके साथ कांग्रेस, कीर्ति झा आजाद, तारीक अनवर और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे बडे़ चेहरों को सामने रखकर अपनी खोई साख वापस पा सकती है.