पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव अब अंतिम दौर में है. आज दूसरे चरण के मतदान की समाप्ति की ओर है. इस चुनाव में प्रदेश में अलग-अलग कई मोर्चे बन चुके हैं.
बडे़ दलों के बीच गठबंधन होने की वजह से दर्जनों विधायक और सैकड़ों कार्यकर्त्ता चुनाव मैदान से बाहर हो चुके हैं. 5 साल का इंतजार राजनीति में भला कौन करता है. जिनको अपने दल से टिकट नहीं मिला, वो बगावत कर दूसरे दल का दामन थाम लिया और उनका सिम्बल लेकर चुनाव मैदान में उतरे. ऐसे में कई ऐसी सीटें हैं जहां बगावत करने वाले प्रत्याशी अपने ही दल का खेल बिगाड़ सकते हैं.
बागी उम्मीदवार सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन दोनों के लिए चुनौती बने हुए हैं. समझौते में कम सीट मिलने और दावेदारों की भारी संख्या ने खासतौर से भाजपा, जदयू और राजद के लिए नई चुनौती खड़ा कर दिये हैं. इस बार बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर 6 गठबंधन बने.
ऐसे में सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्षी महागठबंधन में शामिल दलों के लिए बागी बड़ा सिरदर्द बन गये हैं. बागियों के लिए ढेर सारे विकल्प होने के कारण इस बार इन्हें रोकना इन दलों के लिए आसान नहीं रहा. इस बार इन दलों के बागियों के सामने लोजपा, एआईएमआईएम-बसपा-रालोसपा-एसजेडी गठबंधन जैसे कई अहम विकल्प रहे.
बागियों के लिए जाप और भीम आर्मी गठबंधन भी एक बड़ा विकल्प के रूप में सामने आया. इसतरह से हर दल में बगावात है. हर दल के लिए बागी एक बडी चुनौती बने हुए हैं. इस बगावत से किसको कितना नुकशान और किसको कितना फायदा होगा, अभी ये बता पाना मुश्किल है. लेकिन एनडीए के लिए खासतौर पर जदयू, हम और वीआईपी के उम्मीदवारों के लिए लोजपा के उम्मीदवार सबसे बड़ी चुनौती बने हुए हैं.