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Bihar Elections 2020: पहले चरण का मतदान खत्म, एनडीए की बढ़ी हैं धड़कनें, फिर भी उम्मीद बरकरार

By एस पी सिन्हा | Updated: October 29, 2020 16:07 IST

बिहार विधानसभा चुनावः सभी दल अपने-अपने पोलिंग एजेंट से बूथवार फीडबैक लेकर इसके विश्लेषण में व्यस्त हैं. पूरे दिन मिले फीडबैक को भी चर्चा में प्रमुखता से शामिल किया जा रहा है. सभी इस आकलन में जुटे हैं कि कौन किसपर भारी पडे़गा? 

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ठळक मुद्देचुनाव के पहले चरण की 71 सीटों पर बुधवार को मतदान खत्म हो गया. ऐसे में अब बड़ी पार्टी भाजपा की निगाहें दूसरे और तीसरे चरण की सीटों पर आ गई है. भाजपा आखिरी के दोनों चरण के लिए पहले से और अधिक ताकत झोकने के लिए तैयार है. मसौढ़ी में विकास पर चर्चा रही या फिर रोजगार पर वोटरों की बात थी इस पर खूब फीडबैक लिया गया.

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान खत्म होने और अंदर की जानकारियां सामने आते ही कई पार्टियों की चिंता बढ़ गई हैं. समीकरणों पर सभी दलों में बैठकें शुरू हो गई हैं.

किस मतदान केन्द्र पर कितने आए और कौन आए, इसके आधार पर गुणा भाग किया जा रहा है. सभी दल अपने-अपने पोलिंग एजेंट से बूथवार फीडबैक लेकर इसके विश्लेषण में व्यस्त हैं. पूरे दिन मिले फीडबैक को भी चर्चा में प्रमुखता से शामिल किया जा रहा है. सभी इस आकलन में जुटे हैं कि कौन किसपर भारी पडे़गा? 

यहां बता दें कि चुनाव के पहले चरण की 71 सीटों पर बुधवार को मतदान खत्म हो गया. ऐसे में अब बड़ी पार्टी भाजपा की निगाहें दूसरे और तीसरे चरण की सीटों पर आ गई है. भाजपा आखिरी के दोनों चरण के लिए पहले से और अधिक ताकत झोकने के लिए तैयार है. पार्टियां भी सीट के हिसाब से गुणा-भाग कर रही हैं.

मसलन, पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में दोनों गठबंधन के प्रत्याशी एक ही जाति के थे. यहां किस तरह के समीकरण ने काम किया इस पर चर्चा की जा रही है. मसौढ़ी में विकास पर चर्चा रही या फिर रोजगार पर वोटरों की बात थी इस पर खूब फीडबैक लिया गया. सभी अपनी सुविधा के हिसाब पर इस पर चर्चा कर रहे हैं.

महिलाओं की लंबी कतार जब बूथों पर नजर आई तो...

मतदान के प्रतिशत पर भी चर्चा हुई. महिलाओं की लंबी कतार जब बूथों पर नजर आई तो बाहर से यह पता लगाने की खूब कोशिश हुई कि कतार में किस जाति की महिलाएं अधिक थीं. दिलचस्प बात यह थी कि दोनों गठबंधनों की जाति के हिसाब से जो समीकरण थे उसे ताक पर रख दोनों के वोट बैंक वाले एक साथ बूथ पर मतदान को आए. वोट डालकर साथ में ही निकले. ऐसे में यह तय करने में काफी परेशानी हुई कि किसने किसको वोट किया? 

सूत्रों का कहना है कि पार्टी नेताओं को एनडीए की मुख्य सहयोगी जदयू की जमीनी रिपोर्ट के बारे में कुछ निगेटिव इनपुट मिले हैं. ऐसे में भाजपा और ज्यादा ताकत झोंककर चुनाव में एनडीए को किसी भी तरह के नुकसान से बचाना चाहती है. बिहार में कुल 243 में से अभी तीन और सात नवंबर को कुल 172 सीटों पर मतदान होना है.

भाजपा दूसरे और तीसरे चरण में अपने 30 स्टार प्रचारकों से अधिक से अधिक सभाएं कराने की तैयारी में

भाजपा दूसरे और तीसरे चरण में अपने 30 स्टार प्रचारकों से अधिक से अधिक सभाएं कराने की तैयारी में है. घर-घर जाकर प्रचार के लिए भी विशेष तौर पर रणनीति बनाई जा रही है. कुछ स्टार प्रचारकों के कोरोना पॉजिटिव होने के कारण बीजेपी के चुनाव प्रबंधन पर कुछ असर पड़ा है.

इससे पार्टी की चिंता गई है. लेकिन, कोरोना पॉजिटिव होने के कारण आइसोलेशन में गए सुशील मोदी, शाहनवाज हुसैन, राजीव प्रताप रूडी जैसे नेताओं की भरपाई दूसरे स्टार प्रचारकों से भाजपा करने में जुटी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक नवंबर और तीन नवंबर को रैलियां कर दूसरे और तीसरे चरण के चुनावों के लिए माहौल बनाएंगे.

इसबीच चर्चा में जब जमुई सीट पर चर्चा हुई तो जाति का मामला सामने आ गया. इस बीच यह बात भी आ गई कि एक प्रत्याशी से नाराजगी इस तरह की थी कि उसके कोर वोट ही उससे बिदके रहे. ऐसे में गणित किस तरह से काम करेगा इस पर खूब बातें हो रही हैं. वहीं शेखपुरा जिले की दो सीट में किसे कंफर्म मान लिया जाए इस पर दोनों गठबंधन अपना गणित लगा रहे हैं. नवादा जिले में पुराने क्षत्रपों का परेशानी पर भी गुना-भाग लगाया जा रहा है.

औरंगाबाद में फिफ्टी-फिफ्टी पर लॉक करने की बात सामने आ रही है तो कभी एक को एक सीट अधिक आंका जा रहा है. सासाराम पर यह बात हो रही है, पर ठीक से नंबर नहीं तय हो पा रहे हैं. वोटकटवा पर भी समीकरण तय हो रहे हैं. किसी ने खूब काटा तो वह किसे नुकसान कर डाला इस पर भी विमर्श चल रहा है.

पूरी चर्चा में दिलचस्प बात दोनों गठबंधनों के बीच यह है कि वे अपने-अपने कोर वोटरों पर ज्यादा केंद्रित कर रहे हैं. इसबीच भाजपा सूत्रों का कहना है कि बिहार के कुछ क्षेत्रों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू को लेकर एंटी इन्कमबेंसी फैक्टर दिख रहा है. हालांकि, लोग जदयू से भले नाराज हैं, लेकिन भाजपा से नहीं. ऐसे में पार्टी अधिक से अधिक जनसंपर्क और सभाओं के जरिए डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश में है.

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