नई दिल्लीः लोकतांत्रिक जनता दल (लोजद) के संस्थापक शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव कांग्रेस में शामिल हो गई हैं। वह बिहार में चुनाव लड़ेंगी।
कांग्रेस के टिकट पर मधेपुरा के बिहारीगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकती हैं। सुभाषिनी यादव हरियाणा के एक राजनीतिक परिवार की बहू हैं। वह लगातार मधेपुरा की दौरा करती रहती हैं। मधेपुरा से कई दफा शरद यादव ने चुनाव लड़ा है। वह फिलहाल हरियाणा न रहकर बिहार के मधेपुरा रह रही हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ सकती हैं
लोकतांत्रिक जनता दल के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव की पुत्री सुभाषिनी यादव बुधवार को कांग्रेस में शामिल हो गयी। उनके साथ ही लोजपा के वरिष्ठ नेता काली पांडे भी कांग्रेस में शामिल हो गए। माना जा रहा है कि सुभाषिनी बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ सकती हैं। सुभाषिनी और काली पांडे ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं पवन खेड़ा, देवेंद्र यादव और अजय कपूर की मौजूदगी में पार्टी की सदस्यता ली।
हाल ही में उन्होंने पिता शरद यादव के स्वास्थ्य की जानकारी देते हुए कहा था पीएम की आभारी हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की आभारी हूं, जिन्होंने न केवल मेरे पिता के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ की है बल्कि अस्पताल के अधिकारियों के साथ भी नियमित संपर्क में हैं।
चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव तीन चरणों में कराने की घोषणा की है। मतदान 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 10 नवंबर को होगी। पार्टी ने बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल (यूनाइटेड) प्रमुख नीतीश कुमार से उनके हाथ मिलाने के बारे में अटकलों को ‘अफवाह’ बताते हुए खारिज कर दिया और इसे ‘‘पूरी तरह से झूठा एवं बेबुनियाद’’ बताया।
इस मौके पर कांग्रेस प्रवक्ता खेड़ा ने कहा, ‘‘हमें गर्व है कि सुभाषिनी यादव कांग्रेस में शामिल हुई हैं। उनके पिता का भारत के संसदीय लोकतंत्र में बहुत बड़ा योगदान है।’’ गौरतलब है कि शरद यादव अपनी पार्टी गठित करने से पहले जद(यू) में थे और उन्होंने पार्टी का अध्यक्ष रहने के साथ कई वर्षों तक राजग के संयोजक की भूमिका भी निभाई।
वर्ष 2017 में पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण शरद यादव को जद (यू) से निकाल दिया गया था। इसके बाद उन्होंने लोकतांत्रिक जनता दल का गठन किया। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वह महागठबंधन का हिस्सा थे और इसी के बैनर तले मधेपुरा से चुनाव भी लड़ा था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।