पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव का रंग धीरे-धीरे और भी गहरा होते जा रहा है. इस बार बिहार के चुनाव में 134 सीटों पर लोजपा उम्मीदवार मैदान में हैं. इनमें से केवल छह सीटें ही ऐसी हैं, जहां भाजपा के प्रत्याशी के खिलाफ लोजपा उम्मीदवार भी मैदान में हैं.
हालांकि राघोपुर में उम्मीदवार देकर चिराग पासवान फंस गए हैं. एक तरफ वे भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार देते हैं दूसरी तरफ वे भाजपा के ही साथ मिलकर सरकार बनाने की बात कर रहे हैं. ऐसे में जानकारों का कहना है कि चिराग पासवान की इस रणनीति से उनके हिडेन एजेंडे की पोल खुल गई है और सबकुछ पानी की तरह साफ हो गया है, क्योंकि बिहार के लोग समझने लगे हैं कि चिराग पासवान इस चुनाव में किसके लिए काम कर रहे.
तेजस्वी यादव राघोपुर से ही चुनाव लड़ रहे हैं. भाजपा भी वहां मजबूती से चुनाव लड़ रही, लेकिन लोजपा ने वहां से उम्मीदवार उतार कर भाजपा की लड़ाई को कमजोर कर दिया है. जदयू के साथ-साथ भाजपा ने भी चिराग पर लगातार हमला बोल रही है और कह रही है कि लोजपा बेकार की बातें कर रही है.
भाजपा नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि दोस्ती और दुश्मनी साथ-साथ नहीं चल सकती
भाजपा नेतृत्व ने स्पष्ट किया है कि दोस्ती और दुश्मनी साथ-साथ नहीं चल सकती. बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए से अलग होने के बावजूद भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा करने वाले लोजपा प्रमुख चिराग पासवान के लिए दूसरा चरण बेहद महत्वपूर्ण है. दूसरे चरण के 94 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को मतदान होना है, लेकिन भाजपा के मुकाबले लोजपा 5 विधानसभा सीटों पर इस चरण में फ्रेंडली फाइट करती नजर आएगी.
लोजपा ने 134 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, इनमें से 6 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां उसके उम्मीदवार भाजपा के खिलाफ मैदान में हैं. इन छह में पांच सीटों पर दूसरे चरण में ही चुनाव है. ऐसे में जब लोजपा ऐलान कर चुकी है कि उसके उम्मीदवार जीतने के बाद भाजपा का समर्थन देंगे, तब इन दोनों दलों को क्या प्रदर्शन होता है, यह देखना काफी दिलचस्प होगा. दूसरे चरण में दोनों दलों के उम्मीदवार गोविंदगंज, लालगंज, राघोपुर, रोसडा और भागलपुर में खडे हैं. इनमें दो गोविंदगंज और लालगंज लोजपा की सीटिंग सीट है.
विधायक राजकुमार साह व गोविंदगंज से विधायक राजू तिवारी लोजपा से मैदान
लालगंज से विधायक राजकुमार साह व गोविंदगंज से विधायक राजू तिवारी लोजपा से मैदान में हैं. लोजपा की दोनों सीटिंग सीटों पर भी दूसरे चरण में ही चुनाव है. इस लिहाज से भी उसके लिए यह चरण महत्वपूर्ण है. रोसड़ा से रामविलास पासवान के भतीजे और समस्तीपुर सांसद प्रिंस राज के बडे़ भाई लोजपा उम्मीदवार हैं. इसके अलावा लोजपा ने भाजपा के खिलाफ राघोपुर में भी उम्मीदवार दिया है.
यहां उम्मीदवार देने के पीछे चिराग का तर्क तेजस्वी यादव के खिलाफ उम्मीदवार देने का है. राघोपुर से राजद के तेजस्वी प्रसाद यादव भी मैदान में है. तेजस्वी यादव महागठबंधन का चेहरा हैं. अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी है कि फ्रेंडली फाइट में भाजपा और लोजपा के बीच मुकाबला होगा. यहां पर लोजपा के उम्मीदवार के प्रदर्शन पर भी सबकी निगाहें होंगी.
इनसबके बीच चिराग पासवान अपने आप को भाजपा का नजदीकी बता कर नीतीश कुमार पर हमले कर रहे. इधर एनडीए के नेता लगातार चिराग की पार्टी लोजपा को वोटकटवा बता रहे हैं. साथ ही यह भी कहा जा रहा कि चिराग पासवान का तेजस्वी यादव के साथ मिलीभगत है.
तेजस्वी के इशारे पर चिराग पासवान काम कर रहे
जदयू नेताओं का सीधा आरोप है, तेजस्वी के इशारे पर चिराग पासवान काम कर रहे हैं. इसी वजह से लोजपा ने जदयू प्रत्याशी के खिलाफ उम्मीदवार दिया है. एनडीए नेता लगातार यह कह रहे कि अगर तेजस्वी यादव से चिराग की सेटिंग नहीं है तो फिर राघोपुर जहां से वे चुनावी मैदान में हैं वहां से भी चिराग पासवान ने भाजपा के खिलाफ प्रत्याशी क्यों उतारे हैं?
इससे साफ है कि चिराग पासवान की लालू परिवार से सेटिंग है. वहीं, जदयू नेताओं के साथ-साथ जीतनराम मांझी के द्वारा चिराग पासवान की पोल-खोल लगातार जारी है. जदयू नेता लगातार यह बता रहे कि चिराग पासवान एनडीए कैंडिडेट को हराने का ठेका लिये हैं. ऐसे में बिहार के लोगों को इनके बहकावे में नहीं आना चाहिए.
एनडीए नेताओं ने कहा कि चिराग का चेहरा पूरी तरह से बेनकाब हो चुका है. इसके बाद बैकफूट पर आये चिराग पासवान ने फिर से नया दांव खेला है. आज सुबह-सुबह लोजपा ने नया नारा दिया....चिराग पासवान का नया नारा है ''नीतीश कुआं तो तेजस्वी खाई-लोजपा-भाजपा सरकार बनाई''. इस बार उन्होंने नीतीश कुमार के साथ-साथ तेजस्वी यादव को भी लपेटे में लिया. चिराग ने नीतीश कुमार को कुआं तो तेजस्वी को खाई करार दिया. नारे में लोजपा-भाजपा सरकार बनाने की भी बात कही गई है.