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बिहार विधानसभा उपचुनावः बगावत पर उतरे लालू यादव के पुत्र तेजप्रताप, मां राबड़ी की बात नहीं माने, कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन, प्रचार करेंगे

By एस पी सिन्हा | Updated: October 16, 2021 20:33 IST

Bihar assembly by-election: तेजप्रताप यादव के विरोध के मुखर होते स्वर को लेकर राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने पटना आने से मना कर दिया है.

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ठळक मुद्देलालू प्रसाद यादव को उम्मीद थी कि पटना पहुंचकर राबड़ी देवी सबकुछ ठीक कर लेंगी.कांग्रेस ने बिहार में महागठबंधन के खत्म हो जाने का भी ऐलान कर रखा है.राबड़ी देवी पटना पहुंचते ही सबसे पहले तेजप्रताप के आवास पर गईं थीं.

पटनाः राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बडे़ बेटे तेजप्रताप यादव ने एकबार फिर से राजद के खिलाफ खुले तौर पर विद्रोह का ऐलान कर दिया है. लिहाजा पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी एकबार फिर दिल्ली से पटना लौट आई हैं.

 

इसके पहले भी राबड़ी देवी भी पटना आई थीं, उसवक्त उन्होंने तेजप्रताप को समझाने का प्रयास किया था. इसबीच तेजप्रताप ने बिहार में दो सीटों पर हो रहे विधानसभा उप चुनाव में एक सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार को समर्थन करने का ऐलान कर दिया है. तेजप्रताप ने उसी कांग्रेस के उम्मीदवार को समर्थन करने का ऐलान किया है, जो विधानसभा उप चुनाव में तेजस्वी और लालू को जी भर के कोस रही है.

कांग्रेस ने बिहार में महागठबंधन के खत्म हो जाने का भी ऐलान कर रखा है. इसी सिलसिले में यह भी चर्चा हो रही है कि पार्टी में तेजप्रताप के विरोध के मुखर होते स्वर को लेकर लालू प्रसाद यादव ने पटना आने से मना कर दिया है. ऐसे लोगों का मानना है कि लालू प्रसाद यादव को उम्मीद थी कि पटना पहुंचकर राबड़ी देवी सबकुछ ठीक कर लेंगी.

यही कारण है कि राबड़ी देवी पटना पहुंचते ही सबसे पहले तेजप्रताप के आवास पर गईं थीं. लेकिन तेजप्रताप उनके आने से पहले ही आवास छोड़कर निकल गये थे. हालांकि बाद में तेजप्रताप ने बताया कि मां से उनकी बात हो चुकी है. बावजूद इसके तेजप्रताप ने अपने संगठन छात्र जनशक्ति परिषद की ओर से पत्र जारी किया है. ये पत्र खुद तेजप्रताप की ओर से जारी किया गया है.

तेजप्रताप ने कहा है कि विधानसभा की दो सीटों के लिए हो रहे उप चुनाव में छात्र जनशक्ति परिषद कुशेश्वरस्थान से कांग्रेस के उम्मीदवार अतिरेक कुमार को अपना समर्थन देगी. तेजप्रताप ने कहा है कि उनका संगठन जी-जान से अतिरेक कुमार को जीत दिलाने के लिए काम करेगा. हालांकि इसी पत्र में उन्होंने तारापुर से राजद उम्मीदवार अरुण कुमार साह को भी समर्थन देने का एलान किया है.

पिछले दो-तीन महीने से राजद से अलग होकर काम कर रहे तेजप्रताप ने अपना एक संगठन छात्र जनशक्ति परिषद का गठन किया है. हालांकि पहले ये कहा गया कि यह गैर राजनीतिक संगठन है. लेकिन तेजप्रताप के परिषद ने राजनीतिक संगठन के तौर पर काम करना शुरू कर दिया है. इससे पहले तेजप्रताप के छात्र जनशक्ति परिषद ने तारापुर सीट से अपना उम्मीदवार संजय यादव को उतारा था.

संजय यादव ने नामांकन के बाद कहा था कि वे तेजप्रताप के उम्मीदवार हैं और उनके निर्देश पर ही नामांकन किया है. ये अलग बात है कि अगले ही दिन तेजप्रताप के उम्मीदवार ने पाला बदल लिया और तेजस्वी से मिलकर खुद को राजद का वफादार सिपाही बता दिया. संजय यादव ने नामांकन भी वापस ले लिया. बाद में तेजप्रताप ने इस मामले से पल्ला झाड़ लिया.

उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव के सलाहकार उनके खिलाफ घटिया स्क्रिप्ट रच रहे हैं. तेजप्रताप ने कहा कि संजय यादव को तारापुर से मैदान में उतारने में उनकी कोई भूमिका नहीं थी. वैसे आज जो पत्र तेजप्रताप ने जारी किया है, उससे इतना तो साफ हो गया है कि वे खुलकर सामने आ गये हैं. उनके पत्र से स्पष्ट हो गया है कि राजद से उनका नाता टूट गया है.

भले ही वे तकनीकी तौर पर राजद के विधायक हों, लेकिन वे छात्र जनशक्ति परिषद के जरिये राजनीति करेंगे. तेजप्रपात ने ये भी साफ कर दिया है कि वे राजद के खिलाफ राजनीति करने में भी पीछे नहीं रहेंगे. दरअसल, बिहार में दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है जो जदयू से लेकर राजद और कांग्रेस के लिए जीवन मरण का सवाल बन गया है.

इस उप चुनाव के लिए अहम बात ये भी रही है कि राजद ने कांग्रेस के एक सीट पर दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया. इसके बाद कांग्रेस ने राजद के खिलाफ जमकर बयानबाजी की. कांग्रेस ने दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिया. कांग्रेस ने यहां तक कह दिया कि उसकी मदद के बगैर तेजस्वी का मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा नहीं होगा.

तेजप्रताप ने उसी कांग्रेस को अपना समर्थन दे दिया है. तेजप्रताप पहले से ही कांग्रेस के संपर्क में थे. उप चुनाव की शुरुआत से कांग्रेस के नेता अशोक राम कह रहे थे कि तेजप्रताप ने उनसे वादा किया है कि वे कांग्रेस का समर्थन करेंगे. तेजप्रताप उस वक्त इसका खंडन कर रहे थे. लेकिन अब तेजप्रताप ने जो पत्र जारी किया है उससे साफ हो गया है कि वे सोची समझी रणनीति के तहत पहले से ही काम कर रहे थे.

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