पटनाः बिहार महागठबंधन सरकार में हलचल तेज है। बिहार के कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा सौंप दे दिया है। सुधाकर सिंह लगातार नीतीश सरकार पर हमला कर रहे थे। सुधाकर के पिता जगदानंद सिंह राजद के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
राष्ट्रीय जनता दल के बिहार अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा कि किसी को किसानों और उनके साथ हो रहे अन्याय के लिए खड़े होने की जरूरत है। कृषि मंत्री ने इसे उठाया। हत्या मंडी कानून (कृषि उत्पाद विपणन समिति अधिनियम) ने राज्य के किसानों को तबाह कर दिया है।
सुधाकर सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके पिता एवं राष्ट्रीय जनता दल की बिहार इकाई के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने रविवार को यह जानकारी दी। सुधारक सिंह के हाल ही में अपने विभाग में भ्रष्टाचार की बात स्वीकार करने से प्रदेश की नवगठित महागठबंधन सरकार को काफी फजीहत झेलनी पड़ी थी।
जगदानंद सिंह ने कहा कि कृषि मंत्री ‘किसानों के हक में अपनी आवाज उठा रहे थे’, लेकिन अंत में उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया, ताकि ‘लड़ाई आगे नहीं बढ़े।’ उल्लेखनीय है कि सुधाकर सिंह ने हाल ही में अपने विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का जिक्र करते हुए कहा था, ‘‘हमें नहीं लगता कि बिहार राज्य बीज निगम से मिले बीज किसान अपने खेतों में लगाते हैं।
150-200 करोड़ रुपये इधर ही खा जाते हैं बीज निगम वाले। हमारे विभाग में कोई ऐसा हिस्सा नहीं है, जो चोरी नहीं करता है। इस तरह हम चोरों के सरदार हुए। हम सरदार ही कहलाएंगे न। जब चोरी हो रही है तो हम उसके सरदार हुए न।’’ हालांकि, सुधारक सिंह अपने इस्तीफे की खबर पर टिप्पणी करने के लिए तत्काल उपलब्ध नहीं थे।
सुधाकर सिंह ने एकबार फिर से अपनी ही सरकार की फजीहत करा दी है। कृषि मंत्री कैमूर में एक बार फिर अपने विभाग के अधिकारियों को चोर बताते हुए कहा कि उनके विभाग के अधिकारी भ्रष्ट हो चुके हैं। माप-तौल विभाग के अधिकारी लोगों से 25 हजार से लेकर 50 हजार रुपए तक की वसूली करते हैं।
बिहार सरकार में राजद कोटे से कृषि मंत्री बने सुधाकर सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कठघरे में खड़ा करने से नहीं चूक रहे हैं। उन्होंने एक बार फिर अपनी ही सरकार पर सवाल उठा दिया है। कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने नीतीश सरकार के दूसरे और तीसरे कृषि रोड मैप को बेकार बताते हुए कहा कि इससे किसानों को कोई लाभ नहीं मिला है।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार के पहले के कार्यकाल में सुधाकर सिंह पर 2013 में चावल घोटाले का आरोप लगा था। उनके खिलाफ रामगढ़ थाने में दो मामले दर्ज हुए थे। प्राथमिकी के अनुसार, सुधाकर सिंह की चावल मिल का सरकार के साथ चावल प्रसंस्करण समझौता था और उन्होंने सरकार द्वारा दिए गए चावल का कथित तौर पर गबन कर लिया।