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बिहारः 420 अधिकारियों ने जालसाजी कर सरकार को लगा दी करोड़ों रुपये की चपत, RTI से हुआ खुलासा 

By एस पी सिन्हा | Updated: February 6, 2020 19:29 IST

बिहार राज्य खाद्य निगम के पदाधिकारियों ने चावल मिल मालिकों से मिलकर सरकार के अरबों रुपये का वारा न्यारा कर दिया है. कॉरपोरेशन के पदाधिकारियों ने किसानों से खरीदे गए धान को चावल मील में जमा तो करा दिया, लेकिन उनसे चावल वसूल नहीं पाए.

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ठळक मुद्देबिहार में सरकार के 420 पदाधिकारी जालसाजी की धारा 420 के तहत मामले में आरोपी हैं.आरटीआई से खुलासा हुआ है कि 420 पदाधिकारियों ने चावल मिल मालिकों से मिलकर सरकार को करोड़ों रूपये का चपत लगाया है।

बिहार में सरकार के 420 पदाधिकारी जालसाजी की धारा 420 के तहत मामले में आरोपी हैं. आरटीआई से खुलासा हुआ है कि 420 पदाधिकारियों ने चावल मिल मालिकों से मिलकर सरकार को करोड़ों रूपये का चपत लगाया है और सरकार ने इस मामले में सभी पर केस दर्ज कराया है. इसमें 10 तो बिहार प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी हैं, जो आज भी कई महत्वपूर्ण पदों पर तैनात हैं.

प्राप्त जानकारी के अनुसार, बिहार राज्य खाद्य निगम के पदाधिकारियों ने चावल मिल मालिकों से मिलकर सरकार के अरबों रुपये का वारा न्यारा कर दिया है. कॉरपोरेशन के पदाधिकारियों ने किसानों से खरीदे गए धान को चावल मील में जमा तो करा दिया, लेकिन उनसे चावल वसूल नहीं पाए. आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय इस मामले को लेकर कोर्ट गए. उसके बाद ही ये सरकार ने अपने पदाधिकारियों पर केस दर्ज करना शुरू किया. 

2011-12 से लेकर अबतक हुई गड़बड़ी को लेकर सरकार 1775 प्राथमिकी अपने पदाधिकारियों और चावल मिल मालकों पर किया है. बिहार राज्य खाद्य निगम के नियम के अनुसार 100 किलो धान के बदले चावल मिल 67 किलो चावल देते है. लेकिन राज्य खाद्य निगम के पदाधिकारियों ने धान तो मील मालिकों को दे दी, लेकिन चावल नहीं लिये और ऐसा 2011 से लगातार होता आ रहा है .

बताया जाता है कि 2011 -12 में 2,159087 मीट्रिक टन धान किसानों से लिया गया, लेकिन 17149 मीट्रीक टन धान को बर्बाद घोषित कर दिया गया. वहीं, 2012-13 में 1946612 मीट्रिक टन धान किसानों से लिया गया, जिसमें 58588 मीट्रीक टन धान बर्बाद घोषित किया गया. 

2013-14 में 1404837 मीट्रिक टन धान किसानों से लिया गया, जिसमें 69020 मीट्रीक टन धान बर्बाद घोषित कर दिया गया. इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय बताते हैं कि सरकार की मिलीभगत से ही इस धान घोटाले को अंजाम दिया गया. जिन पदाधिकारियों पैसा गबन का मामला दर्ज है वो महत्वपूर्ण पदों पर तैनात है. 

हालांकि धान घोटाले का मामला तो पहले से ही चल रहा है. लेकिन यह पहली बार खुलासा हुआ है कि बिहार के 420 पदाधिकारियों पर सरकारी पैसे का गबन का मामला थाने में दर्ज कराया गया हो. लगभग 250 करोड़ के इस घोटाले को यदि जिलावार तरीके से देखा जाए तो 2011-12 से लेकर 2013-14 तक हर जिले में राज्य खाद्य निगम के पदाधिकारियों ने गड़बड़ी की है. 

टॅग्स :बिहारलोकमत समाचार
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