पटना: बिहार में कोरोना के कहर में कमी आने का दावा भले ही किया जा रहा है, लेकिन मौतों का आंकड़ा थमने का नाम नही ले रहा है. अगर सरकारी आंकड़े पर ही गौर करें तो सूबे में पिछले 50 दिनों के अंदर कोरोना के कारण 85 डॉक्टरों की भी मौत हो चुकी है, जबकि इतनी अवधि में ही कोरोना से 2465 लोगों की मौत हो चुकी है.
जानकारों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में डॉक्टरों की मौत देश के किसी सूबे में नहीं हुई है. सूबे में जारी कोरोना की दूसरी लहर में मौत का तांडव का आलम यह है कि हर दिन किसी न किसी की जान गई है. 30 मार्च तक बिहार में कुल 1574 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन 50 दिन में ही यह आंकड़ा 4039 हो गया है.
इसके मायने ये हुए आठ माह का रिकॉर्ड 50 दिन में ही टूट गया. इन 50 दिनों में 2465 लोगों की जान गई जो कोरोना की खतरनाक स्थिति बताने के लिए काफी है. यह भी सरकारी आंकड़े के अनुसार है, जबकि बगैर निबंधित ऐसे बडे पैमाने पर लोगों की जान गई है, जिसका कोई रिकार्ड सरकार के पास नही है.
कोरोना से हो रही मौतों की रफ्तार रोकना चुनौती
ऐसे में सरकार के सामने संक्रमण की रफ्तार के साथ मौत की रफ्तार को रोकना बडी चुनौती साबित हो रही है. पहले केवल कोरोना का ही कहर था. अब ब्लैक फंगस के साथ-साथ व्हाइट फंगस ने भी कोहराम मचा दिया है. कोरोना जब अपने चरम पर था तब भी इतनी ही मौत हो रही थी, जितनी आज हो रही है.
इस तरह से जानकारों का कहना है कि कोरोना संक्रमण का नया स्ट्रेन पहले से काफी जानलेवा साबित हो रहा है. संक्रमण के साथ ही मौत का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है. अब तो आम लोगों के साथ ही डॉक्टरों की हो रही मौत यह बता रही है कि कोरोना की दूसरी लहर कितनी खतरनाक है.
कोरोना की दूसरी लहर में 85 डॉक्टरों की मौत
प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरोना की पहली लहर में 42 डॉक्टरों की मौत हुई थी. दूसरी लहर में हालांकि बिहार में 85 डॉक्टरों की जान चली गई है. 15 अप्रैल 2021 के 19 मई तक 85 डॉक्टरों ने दम तोड़ा है जो देश के अन्य प्रदेशों में सबसे अधिक है.
आईएमए का कहना है कि अब तक राज्य में 127 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है. बिहार ने डॉ. प्रभात कुमार जैसे धरोहर कार्डियोलाजिस्ट को खो दिया. दूसरी लहर में ऐसे कई डॉक्टरों की मौत हुई है जिसकी भरपाई नहीं हो पाएगी.