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भोपाल जमीन विवाद : अदालत के फैसले पर रोक के लिए व्यक्ति पहुंचा वक्फ न्यायाधिकरण

By भाषा | Updated: January 23, 2021 20:05 IST

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भोपाल, 23 जनवरी भोपाल में जमीन के एक टुकड़े को लेकर आए अदालत के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए एक व्यक्ति ने मध्यप्रदेश वक्फ न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाया है।

अदालत का फैसला अपने पक्ष में आने के बाद एक न्यास द्वारा इस जमीन पर निर्माण कार्य प्रारंभ किए जाने के मद्देनजर जिला प्रशासन ने ऐहतियातन शहर के तीन पुलिस थाना क्षेत्रों में 17 जनवरी को कर्फ्यू और 11 पुलिस थाना इलाकों में धारा 144 लगाई थी।

यह जमीन राजदेव जनसेवा न्यास के कब्जे में है और पुराने शहर के कबाड़खाना इलाके में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संभागीय कार्यालय ‘केशव नीडम’ के पास स्थित है।

याचिकाकर्ता मोहम्मद सुलेमान के वकील रफी जुबैरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को शनिवार को कहा कि मेरे मुवक्किल ने अदालत के आदेश का हवाला देते हुए इस जमीन को न्यास को जल्दबाजी में कब्जा दिलाए जाने पर रोक लगाने एवं यथास्थिति बनाए रखने के लिए मध्यप्रदेश वक्फ न्यायाधिकरण से तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था।

जुबैरी ने कहा, ‘‘सार्वजनिक तौर पर ऐसा कोई अदालती आदेश नहीं है। मध्यप्रदेश वक्फ न्यायाधिकरण में शनिवार को हमारे आवेदन पर सुनवाई की और अपना आदेश देने के लिए 27 जनवरी की तारीख तय की है।’’

दूसरी ओर, न्यास के वकील बंसीलाल इसरानी ने बताया कि राजदेव कॉलोनी को बनाने वाले ने 1964 में 37,000 वर्ग फीट जमीन एक निजी व्यक्ति से खरीदी थी, जिसके परिवार की इस जमीन पर दो कब्रें थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह जमीन न्यास को हस्तांतरित कर दी गई, लेकिन वक्फ बोर्ड ने 10 साल बाद (न्यास के नाम पर हस्तांतरण के बाद) अपने रिकॉर्ड में जमीन दिखा दी। आज से लगभग 20 साल पहले, इस जमीन पर इमारत के निर्माण के लिए अनुमति मिल गई थी, जिसे प्राधिकरण ने बाद में रद्द कर दिया।’’

इसरानी ने कहा, "इसके बाद न्यास ने अदालत का दरवाजा खटखटाया, जिसने फैसला सुनाया कि इमारत के लिए अनुमति रद्द नहीं की जा सकती क्योंकि उक्त भूमि निजी संपत्ति थी।’’

उन्होंने कहा कि हालांकि, मोहम्मद सुलेमान मध्यप्रदेश वक्फ न्यायाधिकरण में गया और उसने वहां पर दावा किया कि जमीन एक कब्रिस्तान का हिस्सा है, इसके बाद सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) की अदालत ने 2018 में न्यास के पक्ष में आदेश दिया, जिसके बाद हाल ही में जमीन के टुकड़े का कब्जा ले लिया गया।

इसरानी ने बताया कि प्लॉट के चारों ओर चारदीवारी बनाई गई और इस पर किसी भी अदालत से कोई रोक का आदेश नहीं है।

वक्फ बोर्ड के वकील शरीफ खान ने कहा कि यह जमीन वक्फ बोर्ड के रिकॉर्ड में है, लेकिन न्यास ने कहा है कि उसने इसे एक निजी पक्ष से खरीदा था।

उन्होंने कहा, ‘‘अदालत तय करेगी कि इस जमीन का मालिक कौन है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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