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भोपाल गैस त्रासदी : 36 वर्ष बाद भी मिल रहे हैं अनुग्रह राशि का दावा करने वाले आवेदन

By भाषा | Updated: February 28, 2021 13:57 IST

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(दीपक रंजन)

नयी दिल्ली, 28 फरवरी दुनिया के सबसे बड़े औद्योगिक हादसों में शुमार भोपाल गैस त्रासदी के 36 वर्ष गुजरने के बाद भी पीड़ितों की तरफ से अब भी अनुग्रह राशि का दावा करने वाले आवेदन प्राप्त हो रहे हैं। हालांकि सरकार ने ऐसे आवेदन प्राप्त करने के लिये कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की है ।

रसायन एवं उर्वरक संबंधी स्थायी समिति को रसायन एवं पेट्रो रसायन विभाग ने बताया कि जब तक अपील एवं पुनरीक्षण सक्षम अदालत द्वारा तय नहीं किये जाते तब तक अनुग्रह राशि के दावों के निपटान की कोई संभावित तारीख नहीं दी जा सकती है।

वहीं, रसायन एवं पेट्रो रसायन विभाग के एक अधिकारी ने ‘भाषा’ को बताया, ‘‘इस दुर्घटना से जुड़े कई मामले अदालत में सुनवाई के विभिन्न चरणों में हैं और अनुग्रह राशि से जुड़े दावों के निपटारे में देरी होने का यह भी एक कारण है ।’’

विभाग ने समिति को बताया कि 29 फरवरी 2020 तक पीड़ितों के अनुग्रह राशि का दावा करने वाले 21,200 आवेदन प्राप्त हुए हैं जिसमें से 14,779 मामले कैंसर और 6420 मामले गुर्दे काम करना बंद करने से संबंधित हैं । इन आवेदनों को प्राप्त करने के लिये कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की गई है ।

रसायन एवं पेट्रो रसायन विभाग ने कहा, ‘‘भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के दावों का निपटारा भोपाल गैस लीक आपदा (दावा प्रक्रिया) अधिनियम 1985 और इसके तहत बनाई गई योजना के माध्यम से किया जाता है और जब तक अपील एवं पुनरीक्षण समक्ष अदालत द्वारा तय नहीं किये जाते तब तक अनुग्रह राशि के दावों के निपटान की कोई संभावित तारीख नहीं दी जा सकती है । ’’

लोकसभा में 11 फरवरी को पेश रसायन एवं उर्वरक संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट के अनुसार, भोपाल गैस पीड़ित कल्याण आयुक्त कार्यालय, भोपाल ने फरवरी 2020 तक 5,74,393 पंचाट संबंधी मामलों में मूल मुआवजे के रूप में 1592.32 करोड़ रूपये प्रदान किये । वहीं, सम्पूर्ण राशि में प्रति व्यक्ति हिस्सेदारी के अनुपात (प्रो रेटा) आधार पर मुआवजे के रूप में 1517.85 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया, जबकि 61,575 निर्णीत मामलों में 837.11 करोड़ रूपये की अनुग्रह राशि का वितरण किया गया ।

बहरहाल, भोपाल गैस त्राासदी पीड़ितों को मुआवजा देने के लिये अतिरिक्त कोष की मांग करने वाली याचिका पर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है ।

गौरतलब है कि दिसंबर 1984 को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड के संयंत्र में गैस रिसाव के कारण काफी संख्या में लोगों की मौत हो गई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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