भारत बंद: बिहार में जनजीवन प्रभावित हुआ, 125 बंद समर्थकों को हिरासत में लिया गया

By भाषा | Updated: December 8, 2020 20:44 IST2020-12-08T20:44:13+5:302020-12-08T20:44:13+5:30

Bharat Bandh: Life affected in Bihar, 125 bandh supporters detained | भारत बंद: बिहार में जनजीवन प्रभावित हुआ, 125 बंद समर्थकों को हिरासत में लिया गया

भारत बंद: बिहार में जनजीवन प्रभावित हुआ, 125 बंद समर्थकों को हिरासत में लिया गया

पटना, आठ दिसंबर नये कृषि कानूनों के विरोध में आह्वान किए गए राष्ट्रव्यापी बंद से बिहार में मंगलवार को जनजीवन प्रभावित हुआ। राज्य में विपक्षी दलों ने बंद का समर्थन किया था।

अपर पुलिस महानिदेशक :मुख्यालय: जितेंद्र कुमार ने बंद को शांतिपूर्ण बताते हुए कहा कि इस दौरान कहीं से कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।

उन्होंने बताया कि बंद के दौरान प्रदेश में कुल 125 लोगों को हिरासत में लिया गया, जिसमें से नालंदा में 50, जमुई में 37 और पटना में 35 लोगों को हिरासत में लिया गया।

पूर्व मध्य रेल सूत्रों ने बंद का रेलवे पर कोई खास असर नहीं होने की बात कही। उन्होंने बताया कि कुल 13 स्थानों, लहेरियासराय, दरभंगा, सुपौल, हायाघाट, कुपरिया, मधुबनी, पावापुरी, बिहारशरीफ, झाझा, परसा बाजार एवं भाना में तथा हाजीपुर में तथा पूर्णिया एवं कटिहार के मध्य दनौली फुलवरिया के बीच बंद समर्थकों द्वारा विभिन्न ट्रेनों को रोके जाने से थोडी देर के लिए उनका परिचालन बाधित हुआ।

उन्होंने बताया कि हालांकि, जल्द ही रेलवे सुरक्षा बल द्वारा बंद समर्थकों को पटरियों से हटा दिए जाने से ट्रेनों के आगे रवाना हो जाने पर यात्रियों को यात्रा में कोई कठिनाई नहीं हुई।

बिहार की राजधानी पटना में मुख्य विपक्षी पार्टी राजद और जन अधिकार पार्टी के कार्यकर्ताओं ने विभिन्न स्थानों पर दुकानदारों से अपनी दुकानें बंद करवाते और सड़क से गुजर रहे वाहनों के टायरों की हवा निकालते दिखे।

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और भाजपा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर दावा किया कि भारत बंद के दौरान बिहार में किसान कहीं भी सडक पर नहीं दिखें क्योंकि वे सालाना 6 हजार रुपये खाते में पहुंचाने वाली किसान सम्मान योजना और आय दोगुनी करने में सहायक कृषि कानूनों से संतुष्ट हैं।

उन्होंने राजद नेता तेजस्वी यादव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बंद के दौरान विपक्ष के नेता दिल्ली में छुट्टी मना रहे थे, जिससे जाहिर है कि वे इस मुद्दे पर गंभीर नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘‘ वंशवादी राजनीति के राजकुमार उत्तर बिहार में चमकी बुखार और भीषण बाढ के समय भी बिहार से लापता थे।’’

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बार-बार कहा है कि तीन नए कृषि कानून लागू होने के बाद भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मंडी व्यवस्था लागू रहेगी, लेकिन गरीबों-किसानों को धोखा देकर मतपेटी से बहुमत का जिन्न निकालना जिनके लिए मुश्किल हो गया है, उन सबने मिलकर चुनावी पराजय (हाल में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव) का जनता से बदला लेने के लिए बंद कराने की कोशिश की।

सुशील ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह ट्वीट में कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के किसानों को कुएं में धकेल दिया है। जबकि ‘‘ राहुल गांधी को मालूम होना चाहिए कि एपीएमसी एक्ट को बरकरार रखने वाले पंजाब की 2011 से 2019 के बीच औसत विकास दर 7.5 प्रतिशत, जबकि बिहार की 13.03 प्रतिशत रही।

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