भागवत ने संघ को हिंदू राष्ट्र विचारधारा पर अडिग बताया, ‘लिंचिंग’ शब्द के इस्तेमाल पर उठाए सवाल

By भाषा | Updated: October 9, 2019 05:31 IST2019-10-09T05:31:01+5:302019-10-09T05:31:01+5:30

मोहन भागवत ने भारत में भीड़ हिंसा की घटनाओं का जिक्र करने के लिए ‘लिंचिंग’ शब्द के प्रयोग पर आपत्ति जताई। उन्होंने साथ ही कहा कि ”तथाकथित” अर्थिक मंदी के बारे में ‘‘बहुत अधिक चर्चा” करने की जरूरत नहीं है

Bhagwat described Sangh as adamant on Hindu Rashtra ideology, raising questions on the use of the term 'lynching' | भागवत ने संघ को हिंदू राष्ट्र विचारधारा पर अडिग बताया, ‘लिंचिंग’ शब्द के इस्तेमाल पर उठाए सवाल

भागवत ने संघ को हिंदू राष्ट्र विचारधारा पर अडिग बताया, ‘लिंचिंग’ शब्द के इस्तेमाल पर उठाए सवाल

Highlights राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि संघ अपने इस नजरिये पर अडिग है भागवत ने कहा कि संघ स्वदेशी का समर्थन करता है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि दुनिया से संबंध तोड़ लिए जाएं, बल्कि इसका अर्थ आत्म-निर्भरता से है। भाषा सिम्मी अविनाश अविनाश

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि संघ अपने इस नजरिये पर अडिग है कि “भारत एक हिंदू राष्ट्र” है। भागवत ने यहां संघ के पारम्परिक विजयादशमी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इस बात से इनकार किया कि संघ ‘इस्लामोफोबिक’ या गैर हिंदू धर्मावलंबियों के खिलाफ है। उन्होंने भारत में भीड़ हिंसा की घटनाओं का जिक्र करने के लिए ‘लिंचिंग’ शब्द के प्रयोग पर आपत्ति जताई।

उन्होंने साथ ही कहा कि ”तथाकथित” अर्थिक मंदी के बारे में ‘‘बहुत अधिक चर्चा” करने की जरूरत नहीं है क्योंकि इससे कारोबार जगत तथा लोग चिंतित होते हैं और आर्थिक गतिविधियों में कमी आती है। उन्होंने संकेत दिया कि संघ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के खिलाफ नहीं है। भागवत ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के सरकार के कदम को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की सराहना की।

उन्होंने कहा कि कुछ निहित स्वार्थों वाले लोग यह नहीं चाहते हैं कि देश मजबूत बने। उन्होंने भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या की घटनाओं पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा, ‘‘ ‘लिंचिग’ शब्द की उत्पत्ति भारतीय लोकाचार से नहीं हुई, ऐसे शब्द को भारतीयों पर ना थोपें।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ ‘भीड़ हत्या’ (लिंचिंग) पश्चिमी तरीका है और देश को बदनाम करने के लिये भारत के संदर्भ में इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।’’ भागवत ने कहा कि कुछ लोग संघ को बदनाम करने के लिए भीड़ हिंसा से उसे जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यहां तक कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी हर चीज के लिए संघ को दोषी ठहराना सीख लिया है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ साल में ‘‘ भारत की सोच की दिशा में’’ बदलाव आया है।

संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘एक विकसित भारत निहित स्वार्थों के मन में भय पैदा करता है... ये तत्व भारत को दृढ़ और शक्ति संपन्न नहीं होने देना चाहते।’’ भाषण से पहले भागवत ने शस्त्र पूजा की। इस मौके पर एचसीएल के संस्थापक शिव नादर मुख्य अतिथि थे। भागवत ने हिंदू राष्ट्र की संघ की अवधारणा के बारे में कहा कि राष्ट्र के वैभव और शांति के लिये काम कर रहे सभी भारतीय “हिंदू” हैं। उन्होंने कहा,“संघ की अपने राष्ट्र की पहचान के बारे में, हम सबकी सामूहिक पहचान के बारे में, हमारे देश के स्वभाव की पहचान के बारे में स्पष्ट दृष्टि एवं घोषणा है, वह सुविचारित एवं अडिग है, कि भारत हिंदुस्तान, हिंदू राष्ट्र है।” भागवत ने कहा, “जो भारत के हैं, जो भारतीय पूर्वजों के वंशज हैं तथा सभी विविधताओं का स्वीकार, सम्मान व स्वागत करते हुए आपस में मिलजुल कर देश का वैभव तथा मानवता में शांति बढ़ाने का काम करने में जुटे हैं वे सभी भारतीय हिंदू हैं।”

संघ प्रमुख ने इन आरोपों को भी खारिज किया कि संघ और उसके सहयोगी संगठन ‘इस्लामोफोबिक’ या गैर हिंदू धर्मावलंबियों के खिलाफ हैं। भागवत ने अर्थव्यवस्था के बारे में कहा कि अर्थिक मंदी के बारे में बात करना नुकसानदेह हो सकता है क्योंकि इससे लोग और कारोबारी चिंतित हो सकते हैं जिससे आर्थिक गतिविधियों में कमी आती है। उन्होंने कहा कि आवश्यकता पड़ने पर विनिवेश किया जाना चाहिए। भागवत ने भारत की जीडीपी विकास दर को लेकर चिंताओं के बीच कहा कि सकल घरेलू उत्पाद एक ‘‘त्रुटिपूर्ण’’ पैमाना है। उन्होंने कहा, ‘‘हम इससे (मंदी) बाहर निकल आएंगे। सरकार कोशिश कर रही है। हमें धन की आवश्यकता है और इसके लिए सरकार एफडीआई को बढ़ावा दे रही हैं। कुछ बड़े उद्योगों में विनिवेश किया जा रहा है। जब यह (विनिवेश) आवश्यक है, तो ऐसा करने में दिक्कत नहीं होनी चाहिए। यह एक समाधान है।’’ भागवत ने कहा कि संघ स्वदेशी का समर्थन करता है लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि दुनिया से संबंध तोड़ लिए जाएं, बल्कि इसका अर्थ आत्म-निर्भरता से है। भाषा सिम्मी अविनाश अविनाश

Web Title: Bhagwat described Sangh as adamant on Hindu Rashtra ideology, raising questions on the use of the term 'lynching'

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