भारत में 2014-19 के बीच राजद्रोह के 326 मामले दर्ज हुए, महज छह लोगों को मिली सजा

By भाषा | Updated: July 18, 2021 17:49 IST2021-07-18T17:49:31+5:302021-07-18T17:49:31+5:30

Between 2014-19, 326 cases of sedition were registered in India, only six people got punishment. | भारत में 2014-19 के बीच राजद्रोह के 326 मामले दर्ज हुए, महज छह लोगों को मिली सजा

भारत में 2014-19 के बीच राजद्रोह के 326 मामले दर्ज हुए, महज छह लोगों को मिली सजा

(अचिंत बोरा)

नयी दिल्ली, 18 जुलाई राजद्रोह पर औपनिवेशिक काल के विवादित दंडात्मक कानून के तहत 2014 से 2019 के बीच 326 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से महज छह लोगों को सजा दी गई।

उच्चतम न्यायालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि आईपीसी की धारा 124 (ए) --राजद्रोह के अपराध-- का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया और उसने केंद्र से पूछा कि वह अंग्रेजों द्वारा आजादी आंदोलन को दबाने के लिए महात्मा गांधी जैसे लोगों को ‘‘चुप’’ कराने के लिए इस्तेमाल किए गए प्रावधानों को खत्म क्यों नहीं कर रही है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2014 और 2019 के बीच राजद्रोह कानून के तहत कुल 326 मामले दर्ज किए गए, जिनमें से सबसे अधिक 54 मामले असम में दर्ज किए गए। इन मामलों में से 141 में आरोपपत्र दायर किए गए जबकि छह साल की अवधि के दौरान इस अपराध के लिए महज छह लोगों को दोषी ठहराया गया।

अधिकारियों ने बताया कि गृह मंत्रालय ने अभी तक 2020 के आंकड़े एकत्रित नहीं किए हैं। असम में दर्ज किए गए 56 मामलों में से 26 में आरोपपत्र दाखिल किए गए और 25 मामलों में मुकदमे की सुनवाई पूरी हुई। हालांकि, राज्य में 2014 और 2019 के बीच एक भी मामले में किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया।

झारखंड में छह वर्षों के दौरान आईपीसी की धारा 124 (ए) के तहत 40 मामले दर्ज किए गए जिनमें से 29 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए गए और 16 मामलों में सुनवाई पूरी हुई जिनमें से एक व्यक्ति को ही दोषी ठहराया गया ।

हरियाणा में राजद्रोह कानून के तहत 31 मामले दर्ज किए गए जिनमें से 19 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए गए और छह मामलों में सुनवाई पूरी हुई जिनमें महज एक व्यक्ति की दोषसिद्धि हुई।

बिहार, जम्मू कश्मीर और केरल में 25-25 मामले दर्ज किए गए। बिहार और केरल में किसी भी मामले में आरोप पत्र दाखिल नहीं किए जा सके जबकि जम्मू कश्मीर में तीन मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए गए। हालांकि तीनों राज्यों में 2014 से 2019 के बीच किसी भी मामले में किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया ।

कर्नाटक में राजद्रोह के 22 मामले दर्ज किए गए जिनमें 17 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए गए लेकिन सिर्फ एक मामले में सुनवाई पूरी की जा सकी। हालांकि, इस अवधि में किसी भी मामले में किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया।

उत्तर प्रदेश में 2014 और 2019 के बीच राजद्रोह के 17 मामले दर्ज किए गए और पश्चिम बंगाल में आठ मामले दर्ज किए गए। उत्तर प्रदेश में आठ और पश्चिम बंगाल में पांच मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए गए लेकिन दोनों राज्यों में किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया।

दिल्ली में 2014 और 2019 के बीच राजद्रोह के चार मामले दर्ज किए गए लेकिन किसी भी मामले में आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया।

मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, सिक्किम, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, पुडुचेरी, चंडीगढ़, दमन और दीव, दादरा और नागर हवेली में छह वर्षों में राजद्रोह का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। तीन राज्यों महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तराखंड में राजद्रोह का एक-एक मामला दर्ज किया गया।

गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में 2019 में सबसे अधिक राजद्रोह के 93 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद 2018 में 70, 2017 में 51, 2014 में 47, 2016 में 35 और 2015 में 30 मामले दर्ज किए गए। देश में 2019 में राजद्रोह कानून के तहत 40 आरोपपत्र दाखिल किए गए जबकि 2018 में 38, 2017 में 27, 2016 में 16, 2014 में 14 और 2015 में छह मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए गए।

जिन छह लोगों को दोषी ठहराया गया, उनमें से दो को 2018 में तथा एक-एक व्यक्ति को 2019, 2017, 2016 और 2014 में सजा सुनाई गई। साल 2015 में किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया।

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Web Title: Between 2014-19, 326 cases of sedition were registered in India, only six people got punishment.

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