10 वर्षों के अथक प्रयासों के बाद बेंगलुरु की पुत्तनहल्ली झील पुनर्जीवित, पक्षियों की 120 से ज्यादा प्रजातियों की वापसी हुई

By अनुभा जैन | Published: April 25, 2023 01:04 PM2023-04-25T13:04:25+5:302023-04-25T13:06:40+5:30

जैव विविधता विशेषज्ञों ने झील में प्रजनन करने वाली 49 पक्षी प्रजातियों की खोज की है। प्रजनन के मौसम के दौरान यहां 7,000 से अधिक पक्षियों को देखा जा सकता है। लगातार 10 वर्षों के अथक प्रयासों के बाद, सरकार द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत 37-एकड़ पुत्तनहल्ली झील को बेंगलुरु में पहले शहरी पक्षी संरक्षण रिजर्व के रूप में घोषित किया गया।

Bengaluru's Puttanahalli lake revived after 10 years of tireless efforts | 10 वर्षों के अथक प्रयासों के बाद बेंगलुरु की पुत्तनहल्ली झील पुनर्जीवित, पक्षियों की 120 से ज्यादा प्रजातियों की वापसी हुई

अथक प्रयासों के बाद बेंगलुरु की पुत्तनहल्ली झील पुनर्जीवित

Highlightsबेंगलुरु शहर की येलहंका की पुत्तनहल्ली झील बनी विशिष्ट झीलविशेषज्ञों के लगातार 10 वर्षों के अथक प्रयासों के बाद हुई पुनर्जीवितपक्षियों की 120 से ज्यादा प्रजातियों और अन्य जीवों की कई प्रजातियों की वापसी देखी गई

बेंगलुरु: जब अधिकांश झीलें आज सूख रही हैं या फिर उद्योगों और विभिन्न प्रकार के कचरों से अवरुद्ध हो गई हैं, तब बेंगलुरु शहर की येलहंका की पुत्तनहल्ली झील नागरिकों के प्रयासों के माध्यम से एक विशिष्ट झील बन चुकी है। 2015 में येलहंका पुत्तनहल्ली लेक और बर्ड कंसरवेषन ट्रस्ट, विभिन्न नागरिक संगठनों और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी) और गांधी कृषि विज्ञान केंद्र (जीकेवीके) के विशेषज्ञों के लगातार 10 वर्षों के अथक प्रयासों के बाद, सरकार द्वारा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत 37-एकड़ पुत्तनहल्ली झील को बेंगलुरु में पहले शहरी पक्षी संरक्षण रिजर्व के रूप में घोषित किया गया।

जैव विविधता विशेषज्ञों ने झील में प्रजनन करने वाली 49 पक्षी प्रजातियों की खोज की है। प्रजनन के मौसम के दौरान यहां 7,000 से अधिक पक्षियों को देखा जा सकता है।हाल ही के कुछ वर्षों में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस और जीकेवीके, कर्नाटक वन विभाग के विशेषज्ञों, स्थानीय शासी निकाय, पक्षी विशेषज्ञ, और स्थानीय निवासियों द्वारा किये प्रयासों के माध्यम से विभिन्न देशों से पक्षियों की 120 से ज्यादा प्रजातियों और झील में अन्य जीवों की कई प्रजातियों की वापसी देखी गई है।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि झील उत्तरी हिमालय और साइबेरिया से लुप्तप्राय और प्रवासी पक्षी प्रजातियों का निवास स्थान है, जिनमें से कई प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ (आई.यू.सी.एन) की संकटग्रस्त श्रेणी के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस  के भौतिक विज्ञान के सेवानिवृत्त प्रोफेसर और येलहंका पुत्तनहल्ली लेक और बर्ड कंसरवेषन ट्रस्ट के अध्यक्ष के.एस. सांगुनी ने ट्रस्ट के सदस्यों के साथ मिलकर येलहंका की पुत्तनहल्ली झील को पुनर्जीवित करने और पुनर्स्थापित करने के लिए पूरी दृढ़ता से कार्य किया।

लोकमत से बातचीत में संगुन्नी ने कहा, "मैंने 1990 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस और जीकेवीके में अपने दोस्तों के माध्यम से झील के बारे में सुना। जब हमने देखा कि झील सीवेज पूल बन रही है और पक्षियों की आबादी में गिरावट आ रही है, तो हमने इस मुद्दे को उठाने का फैसला करने के साथ इसके जैव विविधता वाले हिस्से को ध्यान में रखते हुए लेक के कायाकल्प करने का निष्चय किया। विभिन्न क्षेत्रों के समान विचारधारा वाले लोगों के साथ मिलकर येलहंका पुत्तनहल्ली लेक और बर्ड कंसरवेषन ट्रस्ट का गठन किया।"

झील के कायाकल्प के प्रयास की शुरुआत कैसे हुई, इसका जवाब देते हुए संगुन्नी ने कहा, "1980 के दशक में कई पक्षी इस झील में आते थे। इसके बीच में द्वीप थे और यह मानवीय गतिविधियों से छिपा हुआ था। 1990 के दशक की शुरुआत में झील की सुंदरता मंत्रमुग्ध कर देने वाली थी। वर्ष 2000 के बाद उद्योगों, हवाई अड्डों और आवासीय गतिविधियों में वृद्धि के कारण सीवेज की मात्रा में वृद्धि हुई। साथ ही, झील से लगता हुआ एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट है और येलहंका के पांचवे फेज का सारा सीवेज इस प्लांट में पहुंचता है। सरकार ने इस चैनलीकृत सीवेज को मैनहोल के माध्यम से झील में छोड़ने का फैसला किया। फिर 2010 तक, झील गंदे बदबूदार पानी का स्थल बनी जहां सभी सीवेज झील में जा रहा था। समूह के प्रयासों से, मैनहोल को झील के किनारे पर ले जाया गया और प्लांट से जोड़ा गया।

संगुन्नी ने कहा कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस द्वारा तकनीकी सहायता प्रदान की गई थी और कर्नाटक वन विभाग के सहयोग से झील को बहाल किया गया था और इस तरह से डिजाइन किया गया था कि यह झील में प्रवेश करने वाले सीवेज को संभाल सके। ट्रस्ट आज शिक्षा और अनुसंधान के केंद्र के रूप में येलहंका पुत्तनहल्ली पक्षी संरक्षण रिजर्व का उपयोग करता है। साथ ही, ट्रस्ट के सदस्य पर्यावरण चेतना और जुड़ाव पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।

अंत में, संगुन्नी ने कहा, "इस साल हमने उन पक्षियों की पहचान करने और उन्हें वापस लाने के लिए एक परियोजना शुरू की, जो कभी झील में बहुतायत से पाए जाते थे, लेकिन अब बहुत कम दिखाई देते हैं। हमारा विजन एक ऐसे मॉडल झील पारिस्थितिकी तंत्र बनाने का है जिसे शहरी स्थानों के भीतर स्वस्थ झील प्रणाली के नेटवर्क का निर्माण करते हुए दुनिया भर में दोहराया जा सकता है।"

Web Title: Bengaluru's Puttanahalli lake revived after 10 years of tireless efforts

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