आपराधिक मामलों में भाजपा नेताओं के खिलाफ दंडात्मक कारवाई न करे बंगाल पुलिस: न्यायालय

By भाषा | Updated: December 18, 2020 21:21 IST2020-12-18T21:21:42+5:302020-12-18T21:21:42+5:30

Bengal police should not take punitive action against BJP leaders in criminal cases: Court | आपराधिक मामलों में भाजपा नेताओं के खिलाफ दंडात्मक कारवाई न करे बंगाल पुलिस: न्यायालय

आपराधिक मामलों में भाजपा नेताओं के खिलाफ दंडात्मक कारवाई न करे बंगाल पुलिस: न्यायालय

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने भारतीय जनता पार्टी के पांच नेताओं को शुक्रवार को उनके खिलाफ पश्चिम बंगाल में दर्ज आपराधिक मामलों में अंतरिम संरक्षण प्रदान किया और राज्य की पुलिस को निर्देश दिया कि इन नेताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाये। भाजपा के इन नेताओं में मुकुल रॉय के अलावा दो सांसद कैलाश विजयवर्गीय और अर्जुन सिंह भी शामिल हैं।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति ऋषिकेष रॉय की पीठ ने भाजपा के दो अन्य नेताओं-सौरव सिंह और पवन कुमार को भी इसी तरह का अंतरिम संरक्षण प्रदान किया और कहा कि इस मामले में अगले साल जनवरी में सुनवाई होने तक पुलिस को कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामलों में अगली तारीख तक कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाये जाने चाहिए।’’ इसके साथ ही पीठ ने पश्चिम बंगाल के गृह सचिव तथा अन्य प्रतिवादियों से इन याचिकाओं पर जवाब मांगे हैं।

भाजपा नेताओं की ओर से पेश अधिवक्ताओं ने आरोप लगाया कि राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी के इशारे पर पार्टी नेताओं पर आपराधिक मामले थोपे जा रहे हैं।

इन सभी नेताओं ने अलग अलग दायर याचिकाओं में आरोप लगाया है कि विधानसभा के आसन्न चुनावों से संबंधित राजनीतिक गतिविधियों से उन्हें दूर रखने के लिये उन पर आपराधिक मामले थोपे जा रहे हैं।

भाजपा नेताओं ने पश्चिम बंगाल में उनके खिलाफ दर्ज मामलों की किसी स्वतंत्र और निष्पक्ष एजेन्सी से जांच कराने का अनुरोध किया है।

मुकुल रॉय, विजयवर्गीय और सिंह के अलावा भाजपा के दो अन्य नेताओं पवन कुमार सिंह और सौरव सिंह ने भी राज्य में उनके खिलाफ दर्ज मामलों में संरक्षण के लिये न्यायालय में याचिका दायर की हैं।

न्यायालय ने इन नेताओं को अंतरिम संरक्षण प्रदान करते हुये सीआईएसएफ से तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और पश्चिम बंगाल भाजपा नेता कबीर शंकर बोस के सुरक्षाकर्मियों के बीच हुयी झड़प के बारे में सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी है। कबीर शंकर बोस ने न्यायलाय में अलग से याचिका दायर की है।

बोस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने कहा कि इस नेता के पास सीआईएसएफ की सुरक्षा होने के बावजूद राज्य में उन पर हमला किया गया और इसके अलावा उनके खिलाफ एक आपराधिक मामला भी दर्ज किया गया है।

इस मामले की वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अर्जुन सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद से 2019 में उनके खिलाफ 64 मामले दर्ज किये जा चुके हैं।

अर्जुन सिंह एक जून, 2020 से पश्चिम बंगाल प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने यह आरोप भी लगाया है कि उनके मकान पर बम से हमला किया गया और टीएमसी के एक कार्यकर्ता ने उनकी कार क्षतिग्रस्त कर दी जिसने उन पर पथराव किया और बम फेंका था।

उन्होंने अपनी याचिका में राज्य सरकार, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस, राज्य के पुलिस महानिदेशक, सीबीआई और गृह मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया है।

रोहतगी ने कहा, ‘‘मैं एक सांसद हूं और यह मामले मेरे टीएमसी छोड़ने के बाद दर्ज किये गये हैं। अर्जुन सिंह के खिलाफ पहला मामला 24 मार्च, 2019 को उनके टीएमसी छोड़ने के बाद दर्ज हुआ।’’

विजयवर्गीय के वकील ने पीठ से कहा कि वह मध्य प्रदेश से सांसद हैं और पश्चिम बंगाल में उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किये गये हैं।

विजयवर्गीय के वकील ने कहा, ‘‘मैं मध्य प्रदेश से सांसद हूं और सिर्फ इसलिए कि मैं पार्टी के काम से पश्चिम बंगाल जाता रहता हूं, मेरे खिलाफ झूठे मामले दर्ज कर लिये गये हैं।

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Web Title: Bengal police should not take punitive action against BJP leaders in criminal cases: Court

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