चुनाव बाद हिंसा की जांच के लिए गठित एनएचआरसी समिति पर बंगाल सरकार ने न्यायालय में सवाल उठाए

By भाषा | Updated: September 13, 2021 23:23 IST2021-09-13T23:23:19+5:302021-09-13T23:23:19+5:30

Bengal government raised questions in court on NHRC committee constituted to investigate post-poll violence | चुनाव बाद हिंसा की जांच के लिए गठित एनएचआरसी समिति पर बंगाल सरकार ने न्यायालय में सवाल उठाए

चुनाव बाद हिंसा की जांच के लिए गठित एनएचआरसी समिति पर बंगाल सरकार ने न्यायालय में सवाल उठाए

नयी दिल्ली, 13 सितंबर पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) द्वारा गठित समिति के सदस्यों को लेकर राज्य सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में सवाल उठाए।

राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ को बताया कि समिति के प्रमुख राजीव जैन ने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के तहत गुप्तचर ब्यूरो के निदेशक के रूप में काम किया है।

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘जब माननीय प्रधानमंत्री गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब जैन 2005 से 2008 तक अहमदाबाद में सहायक खुफिया ब्यूरो प्रमुख थे।"

समिति के एक अन्य सदस्य के बारे में सिब्बल ने कहा कि आतिफ रशीद ने भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के दिल्ली राज्य प्रभारी के रूप में कार्य किया था और अभी भी वह भाजपा के समर्थन में ट्वीट करते हैं।

सिब्बल ने कहा, ‘‘क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इन लोगों को आंकड़े एकत्र करने के लिए नियुक्त किया गया है? क्या यह भाजपा की जांच समिति है?"

उनकी दलील पर टिप्पणी करते हुए पीठ ने कहा, "अगर किसी का राजनीतिक अतीत रहा हो और अगर वह आधिकारिक पद पर आ जाता है तो क्या हम उसे उसी तथ्य के आधार पर पूर्वाग्रह से ग्रस्त मानेंगे?"

सिब्बल ने इस दौरान अंतरिम आदेश का अनुरोध किया, लेकिन शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मामले में 20 सितंबर को सुनवाई करेगी।

पीठ ने कहा, ‘‘कुछ नहीं होगा। हम सोमवार (आगामी) को सुनवाई करेंगे।’’

राज्य सरकार ने अपनी विशेष अनुमति याचिका में कहा है कि उसे सीबीआई से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है, जो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ मामले गढ़ने में व्यस्त है।

इससे पूर्व, जनहित याचिका दायर करने वालों में से एक अधिवक्ता अनिंद्य सुंदर दास ने शीर्ष अदालत में कैविएट याचिका दायर कर आग्रह किया था कि यदि राज्य सरकार या अन्य वादी अपील दायर करते हैं तो उन्हें सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।

जनहित याचिका पर ही कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 19 अगस्त को अपना आदेश दिया था।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल के नेतृत्व वाली उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इस साल तृणमूल कांग्रेस को सत्ता में वापसी दिलाने वाले विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद हुई हिंसा के दौरान कथित जघन्य अपराधों के सभी मामलों की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था।

पीठ ने चुनाव बाद हुई हिंसा से जुड़े अन्य अपराधों की जांच एसआईटी से कराए जाने का आदेश भी दिया था।

उच्च न्यायालय ने पीठ के निर्देश पर गठित की गई राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) समिति, किसी अन्य आयोग या प्राधिकार और राज्य सरकार को मामलों से संबंधित रिकॉर्ड आगे की जांच के लिए तत्काल सीबीआई को सौंपने का भी निर्देश दिया है।

इसने कहा था कि अदालत सीबीआई और एसआईटी दोनों की जांच पर नजर रखेगी। पीठ ने दोनों एजेंसियों को छह सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था।

इस पीठ ने हालांकि पहले कहा था कि विशेष जांच दल के काम की निगरानी उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे, जिसके लिए अलग से आदेश पारित किया जाएगा, लेकिन बाद में यह जिम्मेदारी कलकत्ता उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश मंजूला चेल्लूर को सौंप दी गई।

पीठ ने कहा था कि राज्य कथित हत्या के कुछ मामलों में भी प्राथमिकी दर्ज करने मे विफल रहा है और इससे पता चलता है कि एक निश्चित दिशा में ही जांच करने का मन बनाया गया है तथा ऐसी स्थिति में इन घटनाओं की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने पर सभी के मन में विश्वास पैदा होगा।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की समिति ने अदालत को 13 जुलाई को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी थी।

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Web Title: Bengal government raised questions in court on NHRC committee constituted to investigate post-poll violence

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