Mangalyaan: बैटरी और ईंधन खत्म- संपर्क टूटा, पूरे 8 साल की लंबी पारी के बाद आखिरकार मंगलयान की हुई विदाई
By भाषा | Published: October 3, 2022 09:22 AM2022-10-03T09:22:16+5:302022-10-03T09:52:59+5:30
मंगलयान की पारी पर बोलते हुए एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘चूंकि उपग्रह बैटरी को केवल एक घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि के हिसाब से डिज़ाइन किया गया था, इसलिए एक लंबा ग्रहण लग जाने से बैटरी लगभग समाप्त हो गई।’’
बेंगलुरु: भारत के मंगलयान में प्रणोदक खत्म हो गया है और इसकी बैटरी एक सुरक्षित सीमा से अधिक समय तक चलने के बाद खत्म हो गई है, जिससे ये अटकलें तेज हो गई हैं कि देश के पहले अंतर्ग्रहीय मिशन ने आखिरकार अपनी लंबी पारी पूरी कर ली है।
2013 में एमओएम को प्रक्षेपित किया गया था
साढ़े चार सौ करोड़ रुपए की लागत वाला ‘मार्स ऑर्बिटर मिशन’ (एमओएम) पांच नवंबर, 2013 को पीएसएलवी-सी25 से प्रक्षेपित किया गया था और वैज्ञानिकों ने इस अंतरिक्ष यान को पहले ही प्रयास में 24 सितंबर, 2014 को सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में स्थापित कर दिया था।
उपग्रह की बैटरी और संपर्क खत्म होने पर इसरो से कोई बयान नहीं आया
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सूत्रों ने कहा, ‘‘अब, कोई ईंधन नहीं बचा है। उपग्रह की बैटरी खत्म हो गई है। संपर्क खत्म हो गया है।’’
हालांकि, इसरो की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। इसरो पहले एक आसन्न ग्रहण से बचने के लिए यान को एक नई कक्षा में ले जाने का प्रयास कर रहा था। अधिकारियों ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा, ‘‘लेकिन हाल ही में एक के बाद एक ग्रहण लगा, जिनमें से एक ग्रहण तो साढ़े सात घंटे तक चला।’’
लंबा ग्रहण को नहीं झेल पाया मंगलयान
वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘चूंकि उपग्रह बैटरी को केवल एक घंटे और 40 मिनट की ग्रहण अवधि के हिसाब से डिज़ाइन किया गया था, इसलिए एक लंबा ग्रहण लग जाने से बैटरी लगभग समाप्त हो गई।’’
मामले में इसरो के अधिकारियों ने क्या कहा
इसरो के अधिकारियों ने कहा कि मार्स ऑर्बिटर यान ने लगभग आठ वर्षों तक काम किया, जबकि इसे छह महीने की क्षमता के अनुरूप बनाया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘इसने अपना काम (बखूबी) किया और महत्वपूर्ण वैज्ञानिक परिणाम प्राप्त किए।’’