नयी दिल्ली, 24 जून दिल्ली की एक अदालत ने सामूहिक बलात्कार के एक मामले में बृहस्पतिवार को आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि उसपर लगे आरोप बेहद गंभीर हैं और जेल से रिहा गया तो वह फरार हो सकता है।
दिल्ली पुलिस ने कहा कि आरोपी अजय गुप्ता ने राजस्थान की निवासी महिला को कथित रूप से सोने की चेन और बालियां देने का लालच दिया और उसे एक सह-आरोपी की झोपड़ी में ले गया, जहां छह लोगों ने एक-एक कर उसके साथ बलात्कार किया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेश मलिक ने उसकी जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, ''अपराध की गंभीरता इस तथ्य से प्रदर्शित होती है कि आरोपियों ने उसे देखा और अपनी झुग्गी में ले गए। शराब पिलाई और बारी-बारी से बलात्कार किया। ''
न्यायाधीश ने यह भी कहा कि इस बात की संभावना है कि आरोपी अभियोजन पक्ष के गवाहों को प्रभावित कर सकता है या आरोपों की गंभीर प्रकृति को देखते हुए न्याय से भाग सकता है। इसलिए उसे जमानत पर रिहा करने का कोई मामला नहीं बनता है।
पुलिस की ओर पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक आरएस मंगल मूर्ति ने अदालत को बताया कि महिला 13 अप्रैल को राजस्थान के सीकर शहर से असम जाने वाली ट्रेन में सवार हुई थी, लेकिन दिल्ली पहुंचने पर उसका पति उसे स्टेशन पर छोड़ कर वापस चला गया।
उन्होंने कहा, ''पीड़िता भटककर दिल्ली के पीतमपुरा इलाके में पहुंची, जहां उसकी मुलाकात अजय गुप्ता से हुई। गुप्ता ने उसे सोने की चेन और झुमके का लालच दिया और उसे सह-आरोपी दीपक की झोपड़ी में ले गया, जहां पांच लोग मौजूद थे।''
अभियोजक ने कहा, “गुप्ता ने उसके साथ बलात्कार किया और फिर आरोपी दीपक, अंकित, कुणाल, अनुराग और सनी ने भी उसकी इज्जत लूटी। इसके बाद, आरोपी उसे पीतमपुरा के बस स्टॉप पर छोड़कर मौके से फरार हो गए। ”
हालांकि आरोपी के वकील ने कहा कि महिला के बयान में विरोधाभास है और उनके मुवक्किल को फंसाने के लिए झूठी कहानी गढ़ी गई है।
वकील ने कहा, ''उसके पति ने यह कहकर उसका खंडन किया है कि वे बस से दिल्ली पहुंचे थे, जबकि, उसने प्राथमिकी में उल्लेख किया कि वह ट्रेन से दिल्ली पहुंची थी।''
उन्होंने यह भी कहा कि मेडिकल जांच के समय महिला के शरीर पर चोट के निशान नहीं थे, जबकि उसने आरोप लगाया कि उसके साथ बलात्कार किया गया था।
गुप्ता और सह आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की बलात्कार की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
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