Ayodhya Verdict: मुद्दई इकबाल अंसारी ने कहा- सबसे ज्यादा खुशी है कि यह मसला सुलझ गया

By भाषा | Updated: November 9, 2019 15:47 IST2019-11-09T12:50:23+5:302019-11-09T15:47:42+5:30

अंसारी ने कहा कि वह न्यायालय के फैसले से बहुत खुश हैं। उन्हें इस बात की सबसे ज्यादा खुशी है कि यह मसला सुलझ गया है। उन्होंने कहा कि वह अदालत के निर्णय को अपनी तरफ से कोई चुनौती नहीं देंगे।

Ayodhya Verdict: Mudai Iqbal Ansari said - happy with the decision of the court, most happy that this issue was resolved | Ayodhya Verdict: मुद्दई इकबाल अंसारी ने कहा- सबसे ज्यादा खुशी है कि यह मसला सुलझ गया

न्यायालय ने केंद्र को मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने में योजना तैयार करने और न्यास बनाने का निर्देश दिया। 

Highlightsअंसारी ने कहा कि न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया है कि वह अयोध्या में किसी और स्थान पर मस्जिद के निर्माण के लिये जमीन दे।अब यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अयोध्या में किसी जगह मस्जिद के लिये जमीन दे।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के मुद्दई इकबाल अंसारी ने इस मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा शनिवार को दिए गए फैसले पर खुशी जाहिर की।

अंसारी ने कहा कि वह न्यायालय के फैसले से बहुत खुश हैं। उन्हें इस बात की सबसे ज्यादा खुशी है कि यह मसला सुलझ गया है। उन्होंने कहा कि वह अदालत के निर्णय को अपनी तरफ से कोई चुनौती नहीं देंगे। अंसारी ने कहा कि न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया है कि वह अयोध्या में किसी और स्थान पर मस्जिद के निर्माण के लिये जमीन दे।

यह एक तरह से मुसलमानों की जीत है। अब यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह अयोध्या में किसी जगह मस्जिद के लिये जमीन दे। गौरतलब है कि न्यायालय ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुए अपने फैसले में सरकार को निर्देश दिया कि वह अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिये किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन दे। न्यायालय ने केंद्र को मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने में योजना तैयार करने और न्यास बनाने का निर्देश दिया। 

 

जानिए क्या है मामला

उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को सर्वसम्मति के फैसले में अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि पर राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ करते हुये केन्द्र को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिये किसी वैकल्पिक लेकिन प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आबंटित किया जाये।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 1045 पेज का सर्वसम्मति का निर्णय सुनाकर राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि को लेकर चल रहे करीब 134 साल पुराने विवाद का पटाक्षेप कर दिया जिसने देश के सामाजिक और साम्प्रदायिक सद्भाव के ताने बाने को तार तार कर दिया था। उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हालांकि, इस निर्णय पर असंतोष व्यक्त करते हुये कहा है कि वह इस पर पुनर्विचार के लिये याचिका दायर करेगा।

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं। संविधान पीठ ने कहा कि मस्जिद का निर्माण केन्द्र सरकार या उप्र सरकार द्वारा ‘प्रमुख स्थल’ पर आबंटित पांच एकड़ के भूखंड पर किया जाना चाहिए और उस स्थान पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट गठित किया जाना चाहिए जिसके प्रति हिन्दुओं की यह आस्था है कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था।

अयोध्या में इस स्थान पर 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद थी जिसका निर्माण मीर बाकी ने किया था और जिसे कार सेवकों ने छह दिसंबर, 1992 को गिरा दिया था। संविधान पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला विराजमान को सौंप दिया जाये, जो इस मामले में एक वादकारी हैं लेकिन यह भूमि केन्द्र सरकार के रिसीवर के कब्जे में ही रहेगी।

राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर फैसला सुनाते हुये पीठ ने स्पष्ट किया कि विवादित संपत्ति पर सरकार द्वारा नियुक्त रिसीवर का कब्जा अयोध्या कानून, 1993 की धारा छह के तहत एक अधिसूचना जारी करके इस संपत्ति को किसी ट्रस्ट या अन्य संस्था को सौंप दिए जाने तक रहेगा।

English summary :
Mudai Iqbal Ansari of Ram Janmabhoomi-Babri Masjid case expressed happiness over the decision given by the Supreme Court in this case on Saturday.


Web Title: Ayodhya Verdict: Mudai Iqbal Ansari said - happy with the decision of the court, most happy that this issue was resolved

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