अयोध्या फैसला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होंगे कौन से दो कानूनी विकल्प, जानिए

By अभिषेक पाण्डेय | Updated: November 9, 2019 10:16 IST2019-11-09T09:11:01+5:302019-11-09T10:16:53+5:30

Ayodhya Verdict: अयोध्या के राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होंगे कौन से विकल्प, जानिए

Ayodhya Verdict: Know what are the legal options after SC verdict | अयोध्या फैसला: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होंगे कौन से दो कानूनी विकल्प, जानिए

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होंगे कौन से दो विकल्प

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने 40 दिन की सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को सुरक्षित रख लिया था फैसलासुप्रीम कोर्ट 2010 में आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर की सुनवाई

अयोध्या के राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद पर 70 साल के इंतजार के बाद सुप्रीम कोर्ट शनिवार को फैसला सुनाने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर 6 अगस्त से 40 दिनों तक हुई मैराथन सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। 

सुप्रीम कोर्ट 2010 में इस मामले पर आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल याचिकाओं की सुनवाई करने के बाद आज फैसला सुनाएगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 के अपने फैसले में अयोध्या की 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को रामलाल विराजमान, निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बांटने का आदेश दिया था।    

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होंगे कौन से विकल्प

हालांकि अयोध्या पर आने वाल सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को वैसे आखिरी माना जा सकता है लेकिन इस फैसले से अंतुष्ट फैसले के बाद इसके बाद भी कानूनी विकल्प बचे होंगे। इस फैसले से असहमत पक्ष इसके बाद 30 दिनों के भीतर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकता है। 

साथ ही अगर किसी पक्ष को इस फैसले से असहमति है तो वह सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन भी दाखिल कर सकता है। रिव्यू पिटिशन या पुनर्विचार याचिका की तरह ही क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए भी 30 दिन का समय मिलता है। 

पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले पक्ष को कोर्ट में ये साबित करना होगा है कि फैसले में क्या त्रुटि है। खास बात ये है कि पुनर्विचार याचिका में वकीलों द्वारा जिरह नहीं होती, बल्कि अदालत अपने पहले दिए फैसले की फाइलों और रिकॉर्ड्स पर विचार करती है।
 
तो वहीं क्यूरेटिव पिटिशन पुनर्विचार याचिका के फैसले पर पर भी ऐतराज होने के बाद दाखिल किया जाता है। क्यूरेटिव पिटिशन की सुनवाई के दौरान केस के पहलुओं पर चर्चा के बजाय मामले के कानूनी पहलुओँ पर ही चर्चा होती है।

क्यूरेटिव पिटिशन मामले की सुनवाई में तीन वरिष्ठतम जज और मामले का फैसला देने वाले तीन जज शामिल होते हैं। ऐसे में क्यूरेटिव पिटिशन की सुनवाई में अधिकतम छह जज शामिल होते हैं।

 

Web Title: Ayodhya Verdict: Know what are the legal options after SC verdict

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