अयोध्या फैसले से पहले बीजपी ने अपने नेताओं, कार्यकर्ताओं के लिए जारी की आचार संहिता, कहा, 'भड़काऊ बयानों से बचें'
By अभिषेक पाण्डेय | Updated: November 5, 2019 12:57 IST2019-11-05T12:57:57+5:302019-11-05T12:57:57+5:30
Ayodhya Verdict: बीजेपी ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए आचार संहिता जारी की है

अयोध्या मामले पर फैसले से पहले बीजेपी ने अपने नेताओं, कार्यकर्ताओं के लिए जारी की आचार संहिता
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए एक आचार संहिता जारी करते हुए उन्हें अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद भड़काऊ या उत्तेजक बयानों से बचने को कहा है।
इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी ने क्षेत्रवार बैठकें करके अपने नेताओं को चेतावनी दी है कि वे फैसले के दिन तब तक कोई भी बयान न जारी करें जब तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह का बयान न आ जाए।
बीजेपी ने अपने नेताओं को जारी की भड़काऊ बयानों से बचने की चेतावनी
सोमवार को बीजेपी के महासचिवों ने कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ दिल्ली में इस पर और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक की। पार्टी ने साथ ही दक्षिणी क्षेत्र के लिए बेंगुलुरु, पूर्वी क्षेत्र के लिए कोलकाता, पश्चिमी क्षेत्र के लिए मुंबई पर भी फैसले वाले दिन आचार संहिता पर चर्चा के लिए बैठकें की।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'फैसले वाले दिन नेताओं के लिए बहुत सारे डूज और डोंट की लिस्ट है। किसी भी नेता को इस पर बयान नहीं देना है। सरकार की तरफ से, फैसला आने के बाद प्रधानमंत्री बयान देंगे और मंत्रियों को निर्देश प्राप्त करने के लिए इंतजार करना है। पार्टी की तरफ से सबसे पहले अध्यक्ष की तरफ से बयान आएगा।'
अयोध्या मामले पर फैसला चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के 17 नवंबर को रिटायर होने से पहले आने की उम्मीद है।
सूत्रों ने कहा कि हर राज्य के लिए एक कड़ी चेतावनी जारी कर दी गई है क्योंकि बीजेपी अयोध्या मामले पर अपने नेताओं के व्यवहार को लेकर आलोचना से बचना चाहती है। पार्टी नेताओं को जारी संदेश में कहा गया है, 'जिम्मेदारी से व्यवहार करें। क्योंकि ये एक कानूनी मामला है और कानूनी फैसला है। इसे भीड़ द्वारा अपने हाथों में लेने जैसा कुछ नहीं है।'
इससे पहले आरएसएस ने भी अपने कार्यकर्ताओं को फैसले के बाद शांत रहने को कहा था। 10 नंवबर से 20 नवंबर तक प्रस्तावित संघ और उसके सहयोगियों के कई कार्यक्रमों को रद्द या स्थगित कर दिया है और नेताओं को उनके मुख्यालय में ही रहने को कहा गया है।
पिछले हफ्ते आरएसएस ने एक बयान जारी कर कहा था कि 'हर किसी को खुले दिमाग से सुप्रीम कोर्टका आदेश स्वीकार करना चाहिए।'