अयोध्या विवादः सुनवाई के दौरान SC ने कहा- शीर्ष न्यायालय को देश का शीर्ष न्यायालय रहने दें
By भाषा | Updated: August 7, 2019 14:49 IST2019-08-07T11:50:05+5:302019-08-07T14:49:05+5:30
अयोध्या के राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई बुधवार (7 अगस्त) को दूसरे दिन भी जारी है। मामले की सुनवाई कर रही पीठ में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं।

अयोध्या विवादः सुनवाई के दौरान SC ने कहा- शीर्ष न्यायालय को देश का शीर्ष न्यायालय रहने दें
उच्चतम न्यायाल में राजनीतिक रूप से संवेदनशील अयोध्या के राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई बुधवार दूसरे दिन शुरू की। न्यायालय ने मध्यस्थता प्रक्रिया विफल होने के बाद नियमित सुनवाई का फैसला किया है।
मामले में पक्षकार निर्मोही अखाड़े की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सुशील जैन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दूसरे दिन भी दलीलें जारी रखी।
निर्मोही अखाड़े ने मंगलवार को मजबूती के साथ शीर्ष अदालत में विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर दावेदारी पेश की और तर्क दिया कि 1934 से मुस्लिमों का उस स्थान पर प्रवेश नहीं हुआ है। यहां जानें पल-पल की अपडेट्स...
-राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील ‘राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद’ मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को एक वकील के हस्तक्षेप करने पर उच्चतम न्यायालय ने नाराजगी जाहिर की। जब एक वकील ने अपनी बारी आए बगैर कुछ कहने की कोशिश की, तब प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा, ‘‘देश के इस शीर्ष न्यायालय को किसी अन्य चीज में तब्दील नहीं करें। इसे देश का शीर्ष न्यायालय ही रहने दें।’’ न्यायालय ने यह टिप्पणी उस वक्त की गई, जब पीठ निर्मोही अखाड़े का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील जैन को अयोध्या में विवादित स्थल पर कब्जे को लेकर दावे के समर्थन में साक्ष्य का जिक्र करने को कह रही थी।
- चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने निर्मोही अखाड़ा से दो घंटे के भीतर सबूत मांगा है। इसके बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप हमें रामजन्मभूमि से जुड़े असली दस्तावेज दिखाएं। जिसके बाद निर्मोही अखाड़े के वकील ने जवाब दिया कि सभी दस्तावेज इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजमेंट में दर्ज हैं।
CJI Ranjan Gogoi asks Sushil Kumar Jain, lawyer for Nirmohi Akahara, "In the next two hours, we would like to see the oral and documentary evidence."Justice Dhananjay Chandrachud says "show us the original documents,". Jain replied documents are quoted in Allahabad (HC) Judgment. https://t.co/nDbH9mDDPc
— ANI (@ANI) August 7, 2019
- मीडिया रिपोर्ट्स के मतुबाकि जस्टिस चंद्रचूड़ ने निर्मोही अखाड़ा से कहा कि आप बिना मालिकाना हक के पूजा-अर्चना कर सकते हैं, लेकिन पूजा करना और मालिकाना हक जताना अलग-अलग बात है।
-अयोध्या के राम जन्मभूमि- बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई बुधवार दूसरे दिन शुरू है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा से पूछा कि आप किस आधार पर जमीन पर अपना हक जता रहे हैं।
मामले की सुनवाई कर रही पीठ में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर भी शामिल हैं। पीठ ने पिछले शुक्रवार को तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट पर संज्ञान लिया था। इस समिति की अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला कर रहे थे। समिति चार महीने की कोशिश के बावजूद किसी सर्वमान्य अंतिम नतीजे पर पहुंच नहीं पाई थी।
जानिए अयोध्या राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद का पूरा टाइमलाइन :
2 अगस्त 2019: मध्यस्थता रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने साफ कर दिया है कि मध्यस्थता के जरिए यह मामला नहीं सुलझाया जा सकता है। इस मामले को लेकर छह अगस्त से खुली अदालत में रोजाना सुनवाई की जाएगी।
8 मार्च, 2019: राम जन्मभूमि मसले में मध्यस्थता को सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी, श्री श्री रविशंकर, श्रीराम पंचू और जस्टिस जस्टिस एफएम खलीफुल्ला मध्यस्थ होंगे।
6 मार्च, 2019: मध्यस्थता पर सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला। सुनवाई के दौरान जहां मुस्लिम पक्ष मध्यस्थता के लिए तैयार दिखा, वहीं हिंदू महासभा और रामलला पक्ष ने इस पर सवाल उठाए। हिंदू महासभा ने कहा कि जनता मध्यस्थता के फैसले को नहीं मानेगी।
26 फरवरी, 2019: सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अपनी निगरानी में मध्यस्थ के जरिए विवाद का समाधान निकालने पर सहमति जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि एक फीसदी गुंजाइश होने पर भी मध्यस्थ के जरिए मामला सुलझाने की कोशिश होनी चाहिए।
27 जनवरी, 2019: कोर्ट ने 29 जनवरी को प्रस्तावित सुनवाई को 27 जनवरी को रद्द कर दिया था क्योंकि न्यायमूर्ति बोबडे उस दिन उपलब्ध नहीं थे। अगली सुनवाई की तारीख 26 फरवरी तय।
10 जनवरी, 2019: मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने जस्टिस यूयू ललित पर उठाया सवाल। संविधान पीठ से अलग हुए जस्टिस ललित। धवन ने पीठ को बताया कि जस्टिस ललित उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की पैरवी करने के लिए 1994 में अदालत में पेश हुए थे। सुनवाई 29 जनवरी तक टली।
जनवरी, 2019: अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की संवैधानिक पीठ का गठन। इस बेंच में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई के अलावा, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस बोबडे और जस्टिस एनवी रमन्ना शामिल।
4 जनवरी, 2019: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 10 जनवरी तक के लिए टली। तीन जजों की बेंच करेगी अब सुनवाई।
29 अक्टूबर, 2018: शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह मामला जनवरी के प्रथम सप्ताह में उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा जो इसकी सुनवाई का कार्यक्रम निर्धारित करेगी।
27 सितंबर, 2018: तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2:1 के बहुमत से 1994 के एक फैसले में की गयी टिप्पणी पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास नये सिरे से विचार के लिये भेजने से इनकार कर दिया था। इस फैसले में टिप्पणी की गयी थी कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है।
9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। अब इस विवाद की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है।
24 सितम्बर 2010 को हाईकोर्ट लखनऊ के तीन जजों की बेंच ने फैसला सुनाया जिसमें मंदिर बनाने के लिए हिन्दुओं को जमीन देने के साथ ही विवादित स्थल का एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए दिए जाने की बात कही गयी। मगर यह निर्णय दोनों को स्वीकार नहीं हुआ। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर स्थगनादेश दे दिया।
8 सितंबर, 2010: अदालत ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की।
26 जुलाई, 2010: रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुनवाई पूरी।
20 मई, 2010: बाबरी विध्वंस के मामले में लालकृष्ण आडवाणी और अन्य नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने को लेकर दायर पुनरीक्षण याचिका हाईकोर्ट में ख़ारिज।
24 नवम्बर, 2009: लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश। आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया और नरसिंह राव को क्लीन चिट दी।
7 जुलाई, 2009: उत्तर प्रदेश सरकार ने एक हलफ़नामे में स्वीकार किया कि अयोध्या विवाद से जुड़ी 23 महत्वपूर्ण फाइलें सचिवालय से गायब हो गई हैं।
30 जून 2009: बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जांच के लिए गठित लिब्रहान आयोग ने 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी।
19 मार्च 2007 : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चुनावी दौरे के बीच कहा कि अगर नेहरू-गांधी परिवार का कोई सदस्य प्रधानमंत्री होता तो बाबरी मस्जिद न गिरी होती। उनके इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया हुई।
जुलाई 2006 : सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया। इस प्रस्ताव का मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया और कहा कि यह अदालत के उस आदेश के ख़िलाफ़ है जिसमें यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए थे।
20 अप्रैल 2006 : कांग्रेस के नेतृत्ववाली यूपीए सरकार ने लिब्रहान आयोग के समक्ष लिखित बयान में आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा था और इसमें भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बजरंग दल और शिवसेना की मिलीभगत थी।
04 अगस्त 2005: फैजाबाद की अदालत ने अयोध्या के विवादित परिसर के पास हुए हमले में कथित रूप से शामिल चार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा।
28 जुलाई 2005 : लालकृष्ण आडवाणी 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में गुरुवार को रायबरेली की एक अदालत में पेश हुए। अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ आरोप तय किए।
06 जुलाई 2005 : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के दौरान 'भड़काऊ भाषण' देने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी को भी शामिल करने का आदेश दिया। इससे पहले उन्हें बरी कर दिया गया था।
जुलाई 2005: पांच हथियारबंद आतंकियों ने विवादित परिसर पर हमला किया जिसमें पांचों आतंकियों सहित छह लोग मारे गए, हमलावर बाहरी सुरक्षा घेरे के नजदीक ही मार डाले गए।
जनवरी 2005: लालकृष्ण आडवाणी को अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी कथित भूमिका के मामले में अदालत में तलब किया गया।
जुलाई 2004: शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने सुझाव दिया कि अयोध्या में विवादित स्थल पर मंगल पांडे के नाम पर कोई राष्ट्रीय स्मारक बना दिया जाए।
अप्रैल 2004: आडवाणी ने अयोध्या में अस्थायी राममंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण जरूर किया जाएगा।
अगस्त 2003: भाजपा नेता और उप प्रधानमंत्री ने विहिप के इस अनुरोध को ठुकराया कि राम मंदिर बनाने के लिए विशेष विधेयक लाया जाए।
जून 2003: कांची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की और उम्मीद जताई कि जुलाई तक अयोध्या मुद्दे का हल निश्चित रूप से निकाल लिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
मई 2003: सीबीआई ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किए।
अप्रैल 2003: इलाहाबाद हाइकोर्ट के निर्देश पर पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने विवादित स्थल की खुदाई शुरू की, जून महीने तक खुदाई चलने के बाद आई रिपोर्ट में कहा गया है कि उसमें मंदिर से मिलते जुलते अवशेष मिले हैं।
मार्च 2003: केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित स्थल पर पूजापाठ की अनुमति देने का अनुरोध किया जिसे ठुकरा दिया गया।
जनवरी 2003: रेडियो तरंगों के जरिए ये पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर के नीचे किसी प्राचीन इमारत के अवशेष दबे हैं, कोई पक्का निष्कर्ष नहीं निकला।
22 जून, 2002: विश्व हिन्दू परिषद ने मंदिर निर्माण के लिए विवादित भूमि के हस्तांतरण की मांग उठाई।
15 मार्च, 2002: विश्व हिन्दू परिषद और केंद्र सरकार के बीच इस बात को लेकर समझौता हुआ कि विहिप के नेता सरकार को मंदिर परिसर से बाहर शिलाएं सौंपेंगे। रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत परमहंस रामचंद्र दास और विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल के नेतृत्व में लगभग आठ सौ कार्यकर्ताओं ने सरकारी अधिकारी को अखाड़े में शिलाएं सौंपीं।
13 मार्च, 2002: सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी और किसी को भी सरकार द्वारा अधग्रिहीत जमीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी। केंद्र सरकार ने कहा कि अदालत के फैसले का पालन किया जाएगा।
फरवरी 2002: भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया। विश्व हिन्दू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी। सैकड़ों हिन्दू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए. अयोध्या से लौट रहे हिन्दू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे, उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए।
जनवरी 2002: अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री वाजपेयी ने अयोध्या समिति का गठन किया। वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को हिन्दू और मुसलमान नेताओं के साथ बातचीत के लिए नियुक्त किया गया।
2001: बाबरी विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया और विश्व हिन्दू परिषद ने विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण करने का अपना संकल्प दोहराया।
1998: अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने गठबंधन सरकार बनाई।
1992: विश्व हिन्दू परिषद, शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने 6 दिसम्बर को बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया। इसके परिणामस्वरूप देश भर में हिन्दू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे जिसमें 2000 से ज्यादा लोग मारे गए।
1990: विश्व हिन्दू परिषद के कार्यकर्ताओं ने बाबरी मस्जिद को कुछ नुक़सान पहुंचाया। तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने वार्ता के जरिए विवाद सुलझाने के प्रयास किए मगर अगले वर्ष वार्ताएं विफल हो गईं।
1989: विश्व हिन्दू परिषद ने राम मंदिर निर्माण के लिए अभियान तेज किया और विवादित स्थल के नजदीक राम मंदिर की नींव रखी।
1986: फैजाबाद के ज़िला मजिस्ट्रेट ने हिन्दुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित मस्जिद के दरवाजे पर से ताला खोलने का आदेश दिया। मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति का गठन किया।
1984: कुछ हिन्दुओं ने विश्व हिन्दू परिषद के नेतृत्व में भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहाँ राम मंदिर का निर्माण करने के लिए एक समिति का गठन किया। बाद में इस अभियान का नेतृत्व भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संभाल लिया।
1949: भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गयीं। कथित रूप से कुछ हिन्दुओं ने ये मूर्तियां वहां रखवाई थीं। मुसलमानों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और दोनों पक्षों ने अदालत में मुकदमा दायर कर दिया। सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित करके ताला लगा दिया।
1859: ब्रितानी शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिन्दुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दे दी।
1853: पहली बार इस स्थल के पास सांप्रदायिक दंगे हुए।
1528: अयोध्या में मस्जिद का निर्माण। माना जाता है कि मुगल सम्राट बाबर ने यह मस्जिद बनवाई थी। इस कारण इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था। हिन्दू उस स्थल को अपने आराध्य भगवान राम का जन्मस्थान मानते हैं और वहां राम मंदिर बनाना चाहते हैं।