Ayodhya Dispute: RSS ने कहा- अयोध्या मामले के निर्णय को सभी को खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए

By भाषा | Updated: October 30, 2019 22:11 IST2019-10-30T22:11:30+5:302019-10-30T22:11:30+5:30

आरएसएस ने ट्वीट करके कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर उत्पन्न होने वाले मुद्दे पर राष्ट्रीय राजधानी में आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों की दो दिवसीय बैठक में चर्चा की जा रही है।

Ayodhya Dispute: All should accept the decision of Ayodhya case with open heart Says RSS | Ayodhya Dispute: RSS ने कहा- अयोध्या मामले के निर्णय को सभी को खुले दिल से स्वीकार करना चाहिए

Ayodhya Dispute: All should accept the decision of Ayodhya case with open heart Says RSS

Highlightsआरएसएस ने साथ ही यह भी कहा कि फैसला चाहे जो भी हो सौहार्द बनाये रखना सभी की जिम्मेदारी है। आरएसएस ने कहा कि यद्यपि प्रचारकों की बैठक टाल दी गई है, उसके वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बुधवार को कहा कि अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के आने वाले निर्णय का सभी को खुले दिल से स्वागत किया जाना चाहिए। आरएसएस ने साथ ही यह भी कहा कि फैसला चाहे जो भी हो सौहार्द बनाये रखना सभी की जिम्मेदारी है।

आरएसएस ने ट्वीट करके कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर उत्पन्न होने वाले मुद्दे पर राष्ट्रीय राजधानी में आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारियों की दो दिवसीय बैठक में चर्चा की जा रही है। यह फैसला 17 नवम्बर से पहले आने की उम्मीद है जब प्रधान न्यायाधीश सेवानिवृत्त होंगे। यह बैठक पहले हरिद्वार में 30 अक्टूबर से पांच नवम्बर तक प्रचारकों के सम्मेलन के साथ आयोजित होनी थी।

आरएसएस ने कहा कि यद्यपि प्रचारकों की बैठक टाल दी गई है, उसके वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया है। आरएसएस के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने कहा, ‘‘श्रीराम के जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय का फैसला आने वाले कुछ दिनों में आने की उम्मीद है। फैसला चाहे जो भी हो, सभी को इसका खुले दिल से स्वागत करना चाहिए। यह सुनिश्चित करना सभी की जिम्मेदारी है कि देश में साम्प्रदायिक सौहार्द बना रहे। बैठक में मुद्दे पर भी चर्चा होगी।’’

आरएसएस का यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान के कुछ दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने याद करते हुए कहा था कि किस तरह 2010 में अयोध्या में विवादास्पद भूमि पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले से पहले सरकार, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज ने तनाव उत्पन्न करने के प्रयासों को रोका था। उन्होंने इसका एक उदाहरण बताया था कि किस तरह से एक एकजुट आवाज देश को मजबूती प्रदान कर सकती है। 

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