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अयोध्या विवादः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- निर्मोही अखाड़ा 'राम लला विराजमान' की याचिका का अनावश्यक रूप से कर रहा विरोध

By भाषा | Updated: August 27, 2019 06:00 IST

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामलाः प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अखाड़े द्वारा यह कहे जाने की निन्दा की कि ‘शबैत’ (उपासक) होने के नाते केवल उसकी याचिका ही विचार योग्य है और अनुचर देवकी नंदन अग्रवाल के जरिए देवता ‘रामलला विराजमान’ की ओर से दायर याचिका पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।

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ठळक मुद्देराम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में चल रही सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जमीन के स्वामित्व को लेकर हिन्दू पक्षकार निर्मोही अखाड़ा ‘राम लला विराजमान’ की याचिका का अनावश्यक रूप से विरोध कर रहा है। न्यायालय की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर शामिल हैं।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में चल रही सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जमीन के स्वामित्व को लेकर हिन्दू पक्षकार निर्मोही अखाड़ा ‘राम लला विराजमान’ की याचिका का अनावश्यक रूप से विरोध कर रहा है।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अखाड़े द्वारा यह कहे जाने की निन्दा की कि ‘शबैत’ (उपासक) होने के नाते केवल उसकी याचिका ही विचार योग्य है और अनुचर देवकी नंदन अग्रवाल के जरिए देवता ‘रामलला विराजमान’ की ओर से दायर याचिका पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।

पीठ ने दशकों पुराने और राजनीतिक रूप से संवेदनयशील मामले में 12वें दिन दलीलें सुनते हुए कहा, ‘‘आपके (अखाड़ा) के वाद और वादी संख्या-1 (रामलला...) द्वारा दायर वाद के बीच कोई द्वंद्व नहीं है...यदि वादी (देवता और अन्य) के वाद को मंजूरी दी जाती है तो ‘शबैत’ के रूप में आपका अधिकार बरकरार रहता है।’’

न्यायालय की संविधान पीठ में न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर शामिल हैं। पीठ ने कहा, ‘‘आप (अखाड़ा) अपने ‘शबैत’ अधिकार का स्वतंत्र रूप से दावा कर सकते हैं। आप विरोधाभासी क्षेत्र में अनावश्यक रूप से प्रवेश कर रहे हैं जहां आपको जाने की जरूरत नहीं है। यह करना सुन्नी वक्फ बोर्ड का काम है।’’

न्यायालय ने ‘निर्मोही अखाड़े’ की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील जैन से पूछा कि यदि देवता की याचिका खारिज कर दी जाती है तो अखाड़ा किसका ‘शबैत’ रहेगा। इसने कहा, ‘‘आप मस्जिद के ‘शबैत’ नहीं हो सकते। यदि आपका वाद सफल होता है तो यह देवता के खिलाफ होगा।’’

पीठ ने जैन से कहा कि वह मंगलवार को इस बारे में अखाड़े का रुख बताएं कि क्या वह देवता और अन्य द्वारा दायर वाद को खारिज करने की अब भी मांग कर रहा है।

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