अधिकारियों द्वारा ऋण चुकाने की मांग करना, आत्महत्या के लिये उकसाना नहीं : अदालत

By भाषा | Updated: January 7, 2021 14:07 IST2021-01-07T14:07:57+5:302021-01-07T14:07:57+5:30

Authorities demand repayment of debt, no abetment to suicide: court | अधिकारियों द्वारा ऋण चुकाने की मांग करना, आत्महत्या के लिये उकसाना नहीं : अदालत

अधिकारियों द्वारा ऋण चुकाने की मांग करना, आत्महत्या के लिये उकसाना नहीं : अदालत

नागपुर, सात जनवरी बम्बई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने एक फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी के खिलाफ ऋण चुकाने की मांग करने पर आत्महत्या के लिये उकसाने के आरोप में दर्ज प्राथमिकी रद्द करते हुये कहा है कि यह कमर्चचारी के कर्तव्य का हिस्सा है । अदालत ने यह भी कहा कि इसे आत्महत्या के लिये उकसाने वाला कृत्य नहीं कहा जा सकता है ।

न्यायमूर्ति विनय देशपांडे और न्यायमूर्ति अनिल किलोर की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता रोहित नलवड़े केवल अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा था और उधार लेने वाले प्रमोद चौहान से इसे वसूल करने का प्रयास कर रहा था ।

चौहान ने बाद में आत्महत्या कर ली थी और और सुसाइड नोट में याचिकाकर्ता पर ऋण की वसूली के लिये उसे परेशान करने का आरोप लगाया था । इस मामले में रोहित नलवड़े के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिये उकसाने वाला) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा, ‘‘आरोप केवल इस प्रभाव के हैं कि आवेदक (नलवडे) ने बकाया ऋण राशि की मांग की, फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी के रूप में यह उसकी नौकरी का हिस्सा था ।’’

पीठ ने कहा कि बकाया ऋण राशि की मांग करने को किसी भी प्रकार से आत्महत्या के लिये उकसाने वाला नहीं कहा जा सकता है।

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Web Title: Authorities demand repayment of debt, no abetment to suicide: court

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