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दिल्ली रेलवे लाइन के किनारे से फिलहाल नहीं हटेंगी 48 हजार झुग्गियां, मोदी व केजरीवाल सरकार 4 हफ्ते में निकालेंगे हल

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 14, 2020 14:40 IST

पिछले दिनों उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में 140 किलोमीटर तक रेल पटरियों के किनारे बनीं 48,000 झुग्गी बस्तियों को तीन माह के भीतर हटाने का निर्देश दिया था। इस मामले में सोमवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 4 हफ्ते का समय मांगा है।

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ठळक मुद्देपिछली सुनवाई पर कहा था कि इस पूरी कवायद पर जरूरी खर्च का 70 प्रतिशत हिस्सा रेलवे और तीस प्रतिशत राज्य सरकार उठाएगी।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मानव श्रम दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, रेलवे और सरकारी एजेंसियों की तरफ से मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने इलाके में अतिक्रमण हटाने के संबंध में यह फैसला दिया था।

नई दिल्ली:दिल्ली में रेलवे लाइन के किनारे बनी 48 हजार झुग्गियों को फिलहाल नहीं हटाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कहा कि रेलवे, भारत सरकार व दिल्ली सरकार मिलकर इस मामले में आपस में बात कर 4 हफ्ते में कोई हल निकालेंगे। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी। 

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के इस पक्ष से निश्चित तौर पर रेलवे लाइन के किनारे रहने वाले हजारों परिवार के लोगों को फिलहाल राहत मिली है। उम्मीद है कि केंद्र सरकार दिल्ली सरकार के साथ मिलकर इन लोगों को यहां से किसी दूसरे स्थान पर ले जाकर बसाने में मदद करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ये फैसला सुनाया था-

बीते दिनों उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में 140 किलोमीटर तक रेल पटरियों के किनारे बनीं 48,000 झुग्गी बस्तियों को तीन माह के भीतर हटाने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस कदम के क्रियान्वयन में किसी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने इलाके में अतिक्रमण हटाने के संबंध में किसी भी अदालत को किसी तरह की रोक लगाने से भी रोका है और कहा है कि रेल पटरियों के पास अतिक्रमण के संबंध में अगर कोई अंतरिम आदेश पारित किया जाता है तो वह प्रभावी नहीं होगा।

पीठ ने कहा, “हम सभी हितधारकों को निर्देश देते हैं कि झुग्गियों को हटाने के लिए व्यापक योजना बनाई जाए और उसका क्रियान्वन चरणबद्ध तरीके से हो। सुरक्षित क्षेत्रों में अतिक्रमणों को तीन माह के भीतर हटाया जाए और किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप, राजनीतिक या कोई और, नहीं होना चाहिए और किसी अदालत को ऐसे इलाकों में अतिक्रमण हटाने के संबंध में किसी तरह की रोक नहीं लगानी चाहिए।”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस पूरी प्रक्रिया में 70 फीसद खर्च करेगी रेलवे-

बता दें कि कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर कहा था कि इस पूरी कवायद पर जरूरी खर्च का 70 प्रतिशत हिस्सा रेलवे और तीस प्रतिशत राज्य सरकार उठाएगी। मानव श्रम दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, रेलवे और सरकारी एजेंसियों की तरफ से मुफ्त उपलब्ध कराया जाएगा। शीर्ष अदालत ने एसडीएमसी, रेलवे और अन्य एजेंसियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उनके ठेकेदार रेल पटरियों के किनारे कूड़ा न डालें। रेलवे को एक लॉन्‍ग्‍ टर्म प्‍लान भी बनाना होगा कि कि पटरियों के किनारे कूड़े के ढेर न लगाए जाएं। 

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