असम के अल्पसंख्यक नेता जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने की आवश्यकता पर सहमत : मुख्यमंत्री

By भाषा | Updated: July 4, 2021 20:34 IST2021-07-04T20:34:38+5:302021-07-04T20:34:38+5:30

Assam's minority leaders agree on the need to check population growth: CM | असम के अल्पसंख्यक नेता जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने की आवश्यकता पर सहमत : मुख्यमंत्री

असम के अल्पसंख्यक नेता जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाने की आवश्यकता पर सहमत : मुख्यमंत्री

गुवाहाटी, चार जुलाई असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने रविवार को विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी 150 से अधिक मुस्लिम हस्तियों से मुलाकात की और कहा कि वे सभी इस बात पर सहमत थे कि जनसंख्या वृद्धि राज्य के विकास के लिए खतरा है।

सरमा ने बैठक के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अल्पसंख्यकों के विकास से संबंधित उपाय सुझाने के लिए आठ उप-समूह बनाए जाएंगे, जिनमें सदस्य के रूप में राज्य के जातीय मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘आज, मैंने 150 से अधिक बुद्धिजीवियों, लेखकों, डॉक्टरों, कलाकारों, इतिहासकारों और प्रोफेसरों तथा अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोगों से मुलाकात की। हमने असम के अल्पसंख्यक लोगों से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि बैठक में शामिल हुए सभी लोग इस बात पर सहमत थे कि असम के कुछ हिस्सों में ‘‘जनसंख्या विस्फोट’’ राज्य के विकास के लिए खतरा उत्पन्न कर रहा है।

सरमा ने कहा, ‘‘यदि असम भारत के पांच शीर्ष राज्यों में से एक बनना चाहता है तो हमें अपने जनसंख्या विस्फोट को प्रबंधित करना होगा। इस बात पर सभी सहमत हुए।’’

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार राज्य के जातीय मुस्लिम समुदाय के लोगों की सदस्यता वाले आठ उप-समूह गठित करेगी, जो समुदाय के विकास पर अगले तीन महीने में रिपोर्ट पेश करेंगे।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण, सांस्कृतिक पहचान, जनसंख्या स्थिरीकरण और वित्तीय समायोजन के लिए तीन उप समूहों का गठन किया जाएगा।

सरमा ने कहा, ‘‘ये उप समूह अल्पसंख्यक समुदाय से जुड़े हर मुद्दे पर चर्चा करेंगे। रिपोर्ट संकलन के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के विकास के लिए एक मसौदा तैयार किया जाएगा। हम अगले पांच साल में मसौदे के अनुरूप काम करेंगे।’’

उन्होंने कहा कि हर उप समूह में समुदाय से एक अध्यक्ष होगा और सरकार की तरफ से एक सदस्य सचिव होगा।

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अगले दौर की बैठकों में अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित राजनीतिक नेता और छात्र संगठन शामिल होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘अगले कुछ दिन में, मैं प्रवासी मुसलमानों या उन मुसलमानों के साथ बैठक करूंगा, जिनका मूल पूर्वी बंगाल से है...दोनों मुस्लिम समुदायों (राज्य के मूल निवासी और पूर्वी बंगाल से ताल्लुक रखने वालों) के बीच विशिष्ट सांस्कृतिक अंतर है और हम उसका सम्मान करते हैं।’’

बैठक में मौजूद अधिकारियों ने कहा कि जातीय मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों ने ‘‘अल्पसंख्यक’’ कहे जाने पर आपत्ति जताई और सरकार से आग्रह किया कि उन्हें ‘‘असम के निवासी’’ कहा जाए।

मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि बैठक में सरमा ने कहा कि असम सरकार ने बातचीत कार्यक्रम का आयोजन किया ताकि राज्य में समग्र विकास किया जा सके।

इसमें कहा गया, ‘‘जातीय मुस्लिम आबादी असम के समाज का अभिन्न अंग हैं जिन्हें तीव्र विकास की जरूरत है ताकि समुदाय राज्य में विकास में बड़ी भूमिका निभा सके और अपनी सांस्कृतिक पहचान भी अक्षुण्ण रख सके।’’

पद्म श्री पुरस्कार से नवाजे गए डॉ. इलियास अली और अली अहमद उन प्रमुख हस्तियों में शामिल थे जिन्होंने बैठक में हिस्सा लिया, वहीं सरकार की तरफ से सरमा के साथ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री चंद्र मोहन पटवारी तथा शिक्षा मंत्री रनोज पेगु ने शिरकत की।

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